मप्र कांग्रेस में बन रहा नया समीकरण

मप्र कांग्रेस
  • दिग्विजय को साधने में जुटे सिंघार

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में इस समय कांग्रेस का फोकस संगठन की मजबूती पर है। इसके लिए संगठन सृजन अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच कांग्रेस में नए सियासी समीकरण के संकेत देखने को मिल रहे हैं। यह समीकरण नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच बन रहा है। दरअसल, गतदिनों सिंघार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के घर पहुंचकर उनसे मुलाकात की। इस दौरान दोनों ही नेताओं के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई। वहीं प्रदेश में संगठन सृजन अभियानके बीच दोनों नेताओं की मुलाकात के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। मप्र कांग्रेस में नए सियासी समीकरण के भी संकेत है। हालांकि आधिकारिक रूप से इसे सौजन्य भेंट बताया जा रहा है।  दोनों नेताओं का इस तरह से मिलने को पार्टी में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश भी बताया जा रहा है। बता दें कि कई जिलों में जिला अध्यक्ष तय होने हैं। वहीं अगले महीने 28 जुलाई से विधानसभा का मानसून सत्र भी शुरू होना है। उमंग सिंघार राहुल गांधी की पसंद माने जाते हैं। वहीं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पार्टी के सबसे सीनियर नेताओं में शुमार है। इसके अलावा अभी यूथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और अन्य पदों पर भी चुनाव चल रहे हैं। इस बीच दोनों ही नेताओं की मुलाकात को अहम माना जा रहा है।
    कांग्रेस में दिग्विजय अभी भी दमदार
    प्रदेश कांग्रेस में इन दिनों एक नए समीकरण की चर्चा तेज हो गई है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का अपना अलग स्थान है। अब पार्टी युवा नेताओं को आगे बढ़ा रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी हों या फिर आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. विक्रांत भूरिया, सब दिग्विजय समर्थक माने जाते हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी अब उनसे समीकरण साधने में जुटे हैं। गुरुवार को उमंग सिंघार का दिग्विजय सिंह के भोपाल स्थित आवास पर पहुंचना और दोनों के बीच बंद कमरे में दो घंटे से अधिक बातचीत को नए समीकरण के रूप में देखा जा रहा है। भेंट का मुख्य केंद्र बिंदु युवा कांग्रेस का चुनाव है।
    ग्वालियर में बढ़ी थी बात
    उल्लेखनीय है कि इसी माह ग्वालियर में संविधान सत्याग्रह के अंतर्गत उपवास के दौरान दिग्विजय सिंह ने खुद सिंघार के घर आकर भेंट करने की बात कही थी। इस पर सिंघार ने कहा था कि आप नहीं, मैं ही आऊंगा आपसे मिलने। दोनों नेताओं के बीच इस तरह की भेंट इसलिए भी चर्चा में है, क्योंकि वर्ष 2019-20 में प्रदेश में 15 महीने की कांग्रेस सरकार रहने के दौरान उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह के विरुद्ध खुलकर बयानबाजी की थी। उनके रिश्तों में तब तल्खी देखी गई थी। हालांकि, दिग्विजय ने उस समय इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। दरअसल, उमंग सिंघार आदिवासी वर्ग से आते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर नेताओं से मधुर संबंध हैं, लेकिन बतौर प्रदेश स्तरीय नेता उनकी मजबूत छचि नहीं है।
    कभी सिंघार ने दिग्विजय के खिलाफ खोला था मोर्चा
    गौरतलब है कि 2018 में कांग्रेस की सरकार में सिंघार वन मंत्री थे। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और सिंघार के बीच विवाद हुआ था। उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह के ऊपर कई आरोप लगाए थे। साथ ही उन्हें ब्लैकमेलर और माफिया तक कह दिया था। उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह पर सरकार को अस्थिर करने व मंत्रियों से वसूली करने का आरोप लगाया था। सिंघार परिवार की दिग्विजय सिंह से पुरानी सियासी दुश्मनी रही है। कभी मध्य प्रदेश की उपमुख्यमंत्री रहते हुए उमंग सिंघार की बुआ जमुना देवी तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था। जमुना देवी ने एक बार कह दिया था कि मैं दिग्विजय सिंह के तंदूर में जल रही हूं। बता दें कि 1998 में कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को आगे रखकर चुनाव लड़ा था। चुनाव के परिणाम 1993 जैसे थे। कांग्रेस को 172 सीटें मिली थी तो भाजपा के हाथ 119 सीटें आई थीं। दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया था। वहीं, जमुना देवी को डेप्युटी सीएम बनाया गया था। प्रदेश में आदिवासी नेता के तौर पर पहचान बनाने वालीं जमुना देवी का 2010 में निधन हो गया था।

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