आधे प्रदेश को रोशन करेगी सौर ऊर्जा

 सौर ऊर्जा
  • मप्र में आ रही मेगा सोलर पावर प्लांट परियोजनाएं

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरप्लस बिजली उत्पादन वाला राज्य है। मतलब यहां जितनी बिजली की खपत होती है, उससे ज्यादा निर्माण होता है। यही कारण है कि दिल्ली मेट्रो सहित कई परियोजनाओं को प्रदेश से बिजली सप्लाई की जाती है। अब मप्र एक कदम आगे बढ़ते हुए कदम उठाने वाला है। एमपी सौर ऊर्जा की दिशा में आगे बढऩे जा रहा है। राज्य अपनी जरूरत की 50 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति सौर ऊर्जा के माध्यम से करेगा। नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने इसके लिए कार्ययोजना बनाई है। प्रदेश में सोलर की बिजली बढ़ाने के लिए सरकार नई-नई योजनाएं ला रही है। इसके तहत ऊर्जा विकास निगम ने प्रदेश के 6 जिलों में 15000 हेक्टेयर जमीन चिन्हित कर ली है। यहां 7500 मेगावॉट क्षमता के सोलर प्लांट स्थापित किए जाने की तैयारी है। प्रदेश में सोलर एनर्जी क्षमता लगातार बढ़ रही है। साल 2012 में सोलर एनर्जी की क्षमता 438 मेगावॉट थी, जो अब बढकऱ 7339 मेगावॉट हो गई है।
अधिकारियों के अनुसार मप्र में वर्ष 2030 तक बिजली की जरूरत लगभग 40 हजार मेगावाट होगी। इसमें से आधी यानी 20 हजार मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा के द्वारा बनाई जाएगी। गौरतलब है कि प्रदेश में वर्तमान समय में 26 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत होती है, अभी सौर ऊर्जा से सात हजार मेगावाट बिजली की पूर्ति की जा रही है। जबकि सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 में जब 40 हजार मेगावाट बिजली की आवश्यकता हो सकती है। तब आधी बिजली की पूर्ति सौर ऊर्जा से हो सकती है। इन सोलर प्लांट से उत्पादित होने वाली बिजली को सरकार खरीदेगी। इसके लिए सरकार सोलर प्लांट लगाने वालों से 25 साल का अनुबंध करेगी। इसकी प्रक्रिया ऊर्जा विकास निगम ने शुरू कर दी। सोलर प्लांट लगाने वालों से पंजीयन कराए जा रहे हैं। हर महीने की 15 तारीख तक सोलर प्लांट के लिए रजिस्ट्रेशन होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद एनओसी संबंधित क्षेत्र के सब स्टेशन से लेना होगी।
17 फीसदी का इजाफा
 मप्र सौर ऊर्जा पर अपनी निर्भरता में वृद्धि करने जा रहा है। सरकार का प्लान है कि 2030 तक अपनी आधी बिजली की आपूर्ति सोलर एनर्जी से की जाए। इसके लिए  प्रदेश में बंजर, अनुपयोगी कृषि भूमि पर सोलर प्लांट लगाए जाएंगे। इनके जरिए किसानों को बिजली उत्पादक बनाया जाएगा। यह सोलर प्लांट किसान और निवेशक मिलकर भी लगा सकते हैं। दरअसल, आठ हजार मेगावाट वाली सौर ऊर्जा की परियोजना मुरैना में स्थापित करने को लेकर मप्र और उत्तर प्रदेश के बीच सहमति बन गई है। वहीं भिंड, शिवपुरी, आगर, धार, अशोकनगर और सागर में साढ़े सात हजार मेगावाट ऊर्जा क्षमता की परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। सोलर एनर्जी में 17 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही कुसुम सी और कुसुम ए योजना के तहत प्रदेश में नए सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं। अकेले कुसुम सी योजना के तहत प्रदेश में 15 हजार मेगावॉट के सोलर प्लांट लगाए जाने का टारगेट ऊर्जा विकास निगम ने तय किया है। कुसुम सी योजना के तहत लगने वाले सोलर प्लांट के लिए 1900 सब स्टेशन का चयन किया गया है। सोलर प्लांट लगने से किसानों को दिन के समय कम लागत में अधिक बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी। इस योजना में किसानों को ज्यादा सुविधा दी जा रही है। अगर किसान अपनी जमीन पर कुसुम सी योजना के तहत सोलर प्लांट स्थापित करना चाहते हैं, तो बिना किसी शर्त के टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं। इस योजना में निवेशकों के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं।
अगले पांच साल में लगेंगे सोलर प्लांट
जानकारी के अनुसार प्रदेश में आगामी पांच साल के दौरान कई सोलर प्लांट लगने वाले हैं। इनमें  बिरसिंहपुर इंदिरा सागर और गांधी सागर फ्लोटिंग सोलर पार्क 1400 मेगावॉट, ओकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्लांट 240 मेगावॉट, मुरैना सोलर पार्क 500 मेगावॉट, सागर सोलर पार्क 500 मेगावॉट, आगर चरण दो और 3 के तहत 2000 मेगावॉट, धार सोलर पार्क 3000 मेगावॉट और कुसुम योजना के तहत रूफ टॉप ग्रीन पंचायत 3600 मेगावॉट शामिल हैं। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की बिजली मांग को पूरा करने के लिए 2034-35 तक 29956 मेगावाट सौर और 5293 मेगावाट पवन ऊर्जा की जरूरत होगी। रिपोर्ट में बताया है कि प्रदेश में 5.36 फीसदी की दर से सौर ऊर्जा में इजाफा हो रहा है। प्रदेश में बिजली की डिमांड 18 हजार मेगावॉट से ऊपर पहुंच चुकी है। यह डिमांड 20 हजार मेगावॉट को पार कर सकती है। अगले कुछ सालों में प्रदेश में बिजली की डिमांड 25 हजार मेगावॉट को पार कर जाएगी। इसके देखते हुए सरकार ग्रीन-एनर्जी हब तैयार कर रही है। वर्तमान में राज्य में 5 बड़ी सौर परियोजनाएं हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 2.75 गीगावाट (2,750 मेगावाट) है। सरकार वर्ष 2030 तक नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 20 गीगावाट (20,000 मेगावाट) तक करने का टारगेट तय किया है। प्रदेश में बड़ी सौर परियोजनाएं आकार ले रही है, जिनमें नीमच 170 मेगावाट सौर परियोजना और मुरैना हायब्रिड उत्पादन और स्टोरेज पार्क शामिल हैं। नीमच सौर परियोजना में अब तक 100 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है और परियोजना का काम शुरू हो गया है।

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