
- तबादलों की मियाद पूरी…
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादलों की समय सीमा समाप्त हो गई। लेकिन आधे से अधिक मंत्री ऐसे हैं जिनकी अपने विभाग के अफसरों के आगे नहीं चल पाई है। यानी अफसरों ने अपने मन से तबादले किए हैं। इनमें से ज्यादातर वे मंत्री है, जो तबादला नीति आने के बाद कई दिन तक आवेदनों पर निर्णय नहीं ले पाए। इसकी कई वजह रहीं। 17 जून को तबादलों की अंतिम तारीख थी। इसी दिन कैबिनेट बैठक का मौका आया। ऐसे मंत्रियों को अपनी बात रखने का अवसर मिला। सूत्रों का कहना है कि दो मंत्रियों ने तो साफ-साफ कह दिया कि तबादलों में हमारी नहीं सुनी गई। अफसरों ने सारे ट्रांसफर किए हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में तकरीबन 4 साल बाद तबादलों पर से बैन हटा था। तबादलों के लिए सरकार ने मंत्रियों के कहने पर तारीख भी बढ़ा दी। लेकिन उसके बाद भी मंत्रियों की शिकायत है कि उनके विभाग में उनसे पूछे बिना अधिकारियों ने तबादले कर दिए। वहीं अधिकारियों-कर्मचारियों की शिकायत है कि नियमानुसार तबादले नहीं हुए हैं।
कैबिनेट में सामने आई मंत्रियों की बेबसी
4 साल बाद तबादलों पर से हटे बैन की मियाद 17 जून को पूरी तो हो गई, लेकिन अंतिम दिन मंत्रियों की बेबसी उस समय सामने आ गई, जब राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कैबिनेट बैठक में अपने महकमे के अफसरों की मनमानी का मसला उठाया। वर्मा ने कहा कि साहब बताइए। मेरे विभाग के ट्रांसफर प्रमुख सचिव ने कर दिए। हमने जो भी नाम बताए, उनमें से एक का भी काम नहीं हुआ। मैंने जब पूछा तो पीएस कहने लगे कि सब ऊपर से हो रहा है। यह तो हम लोगों के साथ अन्याय है। इसी दौरान तोमर भी बोल पड़े कि नया-नया कार्यकर्ता पार्टी में आया है। उनके काम थे। जो भी नाम अफसर को दिए, उन्होंने नहीं किए। पार्टी के मैदानी कार्यकर्ता हैं। काम नहीं हुए तो अब कांग्रेस के लोग उन्हें भडक़ा रहे हैं कि देखा, तुम्हारे काम नहीं हुए। बेइज्जती हो रही है। कैबिनेट बैठक में अचानक दो मंत्रियों के इस तरह बोलने पर मुख्यमंत्री ने उन्हें टोका। वर्मा को बीच में रोकते हुए सीएम ने कहा, आप तो मुझे जानते हैं, पहचानते हैं। कैबिनेट में इस विषय को क्यों उठा रहे हैं। मैं अलग से सारी बातें कर लेंगे। सीएम ने तोमर को भी कहा कि यहां यह विषय बोलने का नहीं हैं। यहां बता दें कि वर्मा के विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल हैं जो कैबिनेट बैठक में उस समय मौजूद नहीं थे। दूसरी तरफ तोमर के विभाग के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई हैं। राजस्व विभाग में राजस्व निरीक्षकों के साथ पटवारियों के बड़े पैमाने पर तबादले हुए। एक ही सूची में 503 पटवारी बदले गए। इस बीच कुछ मंत्रियों ने तबादले की तिथि पर भी बात की, लेकिन इस पर कोई टीका-टिप्पणी नहीं हुई।
कई मंत्रियों की सिफारिश दरकिनार
वैसे तो कैबिनेट में दो मंत्रियों ने ही तबादलों में अपने अफसरों की मनमानी का जिक्र किया लेकिन कई विभागों में मंत्रियों की सिफारिशों को दरकिनार कर दिया गया है। एक मंत्री ने नाम नहीं देने की शर्त पर कहा कि कई विभागों में ऐसा हुआ, जब मंत्रियों की सिफारिशों को पूरी तरह तवज्जो नहीं मिली। गौरतलब है कि सरकार ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि विभागों और जिलों में मंत्री से सलाह-मशवरा करके अफसर तबादले करेंगे। लेकिन अधिकांश अफसरों ने अपने मन से ही तबादले कर दिए।
रिटायरमेंट वालों को पद के अनुसार वेतनमान
मंत्रिमंडल की बैठक में मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को मंजूरी प्रदान की गई। इस निर्णय से प्रदेश के चार लाख शासकीय कर्मचारियों को लाभ होगा। नए नियमों के तहत दो लाख से अधिक पदों का सृजन किया जाएगा तथा अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्गों को उनका वांछित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा। नए नियमों में अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है। साथ ही इन वर्गों के कर्मियों को मेरिट के आधार पर पदोन्नति का अवसर मिलेगा। कुल मिलाकर पदोन्नति के पद जिस दिन उपलब्ध होंगे, उसी दिन उपयुक्त योग्य एवं आरक्षित वर्गों के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखकर भरे जा सकेंगे। इस तरह से लगभग 2 लाख नए पद निर्मित होंगे। इससे प्रशासन में सुधार एवं कार्यक्षमता बढ़ेगी। सूत्रों का कहना है कि बैठक के दौरान जब प्रमोशन में रिजर्वेशन वाला मुद्दा आया तो पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि जिन लोगों का रिटायरमेंट हो चुका है, वे पूछेंगे। वे कह सकते हैं कि उनका क्या कसूर है। उन्हें भी पदोन्नति मिलना चाहिए। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी यह बात रखी। इस पर मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि जो लोग रिटायर हुए हैं, उन्हें पद जरूर नहीं मिला लेकिन उस पद का वेतनमान उन्हें मिलता रहा।