दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही मुस्लिम आबादी

मुस्लिम

रिसर्च में खुलासा:  हिंदुओं की जनसंख्या स्थिर, 18 फीसद लोग नास्तिक

नई दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम। मुस्लिमों की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। यह खुलासा प्यू रीसर्च सेंटर की स्टडी में हुआ है। इसके अनुसार 2010-2020 के बीच दुनिया में मुस्लिम आबादी 34.7 करोड़ से बढक़र 194.6 करोड़ हो गई है। इसकी के साथ मुस्लिम समुदाय की वैश्विक हिस्सेदारी 25.6 प्रतिशत हो चुकी है।
हिंदुओं की आबादी स्थिर
हिंदुओं की बात करें तो पिछले 10 साल में हिंदू आबादी में इजाफा देखने को मिला है, हालांकि हिंदुओं की वैश्विक हिस्सेदारी 15 प्रतिशत पर ही स्थिर बनी हुई है, यह न तो बढ़ी है और न ही घटी है। 2010-2020 के बीच हिंदुओं की आबादी 12.6 करोड़ से बढक़र 115.8 करोड़ हो गई है।
ईसाई, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समूह
प्यू की रीसर्च के अनुसार, ईसाई समुदाय दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समूह बन चुके है। पिछले 10 साल में इनकी आबादी 12.2 करोड़ से बढक़र 229 करोड़ हो गई है। इसके बावजूद ईसाई समुदाय की वैश्विक हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई है, जो 30 फीसदी से घटकर 28 फीसदी रह गई है। रीसर्च रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 2010 में दुनिया में कुल 113 लोग नास्तिक थे, जो किसी भी धर्म को नहीं मानते। 2020 तक इनकी आबादी बढक़र 140 करोड़ हो गई है, जोकि 27 करोड़ का इजाफा है। वहीं, वैश्विक हिस्सेदारी की बात करें तो नास्तिक 18.2 प्रतिशत हैं।प्यू की रीसर्च में अन्य धर्मों का भी विवरण मौजूद है। मसलन बौद्ध धर्म के लोगों की संख्या 1.9 करोड़ घटकर 32.4 करोड़ ही रह गई है और इनकी वैश्विक हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से कम होकर 4.2 प्रतिशत ही बची है। इसके अलावा यदूही समुदाय दुनिया की सबसे छोटी धार्मिक आबादी है, जिनकी आबादी 1.4 से बढक़र 1.5 करोड़ हो गई है। यहूदी समुदाय की वैश्विक हिस्सेदारी महज 0.2 प्रतिशत है। वहीं, अन्य धर्मों जैसे सिख, जैन और बहाई समुदाय की आबादी 1.8 करोड़ बढक़र 17.2 करोड़ हो गई है।
हम दो-हमारे दो से नीचे पहुंची भारत की जन्म दर
आबादी नियंत्रण का हम दो-हमारे दो का नारा सच साबित हो रहा है। देश की जन्म दर इससे भी नीचे 1.9 पर पहुंच गई है। यानी, एक महिला औसत 1.9 बच्चे ही पैदा कर रही है। यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम जनसांख्यिकी रिपोर्ट में हुआ है। हालांकि इसमें यह भी कहा गया कि 2025 के अंत तक भारत की आबादी दुनिया में सर्वाधिक 1.46 अरब तक पहुंच जाएगी। रिपोर्ट में दर्शाए गए जनसंख्या संरचना, प्रजनन क्षमता व जीवन प्रत्याशा में महत्वपूर्ण बदलावों से बड़े जनसांख्यिकीय परिवर्तन का संकेत मिलता है। रिपोर्ट के मुताबिक अगले 40 वर्ष में देश की आबादी 1.7 अरब तक जाएगी और उसके बाद कम होना शुरू होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा धीमी जन्म दर के बावजूद युवा आबादी महत्वपूर्ण बनी हुई है। इसमें 0-14 आयु वर्ग में 24 फीसदी, 10-19 में 17 फीसदी और 10-24 में 26 फीसदी है। अभी देश की 68 फीसदी आबादी कामकाजी आयु (15-64) की है, जो पर्याप्त रोजगार और नीतिगत समर्थन के साथ संभावित जनसांख्यिकीय लाभांश प्रदान करती है। लेकिन आने वाली पीढ़ी के लिए कम प्रजनन दर खतरा हो सकती है।रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बुजुर्ग आबादी वर्तमान में 7 फीसदी है। इस आंकड़े के आने वाले दशकों में जीवन प्रत्याशा में सुधार के साथ बढऩे की उम्मीद है। 2025 तक, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा पुरुषों के लिए 71 वर्ष और महिलाओं के लिए 74 वर्ष होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय सीमा भारत में प्रजनन स्वतंत्रता के लिए सबसे बड़ी बाधाओं में से एक हैं।

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