बिना प्लान जाने बना दी 20 करोड़ की सडक़

सडक़
  • पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों की लापरवाही…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अक्टूबर 2018 में जब राजधानी में मेट्रो की डीपीआर को केंद्र की मंजूरी मिली थी, तभी यह तस्वीर साफ हो गई थी कि मेट्रो का रूट क्या होगा। लेकिन विडंबना यह है कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों और इंजीनियरों को इसकी सुध तक नहीं रही। शायद यही वजह है कि जिस रूट पर मेट्रो के पिलर लगने थे पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने वहां सडक़ बना दी।
पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों की लापरवाही के कारण सरकार के 20 करोड़ रूपए पानी में चले गए हैं, क्योंकि उस सडक़ पर अब पिलर के लिए गड्ढे खोदे जा रहे हैं। गौरतलब है की लोक निर्माण विभाग अपनी लापरवाही के लिए ख्यात है। विभाग के इंजीनियर मनमर्जी से जनता के पैसों को बर्बाद करने में तुले हुए हैं। दरअसल पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को मालूम था कि करोंद चौराहे से लेकर कृषि उपज मंडी तक मेट्रो का काम किया जाना है। फिर भी उधर लगभग डेढ़ साल पहले 20 करोड़ रुपये खर्च कर सीसी रोड बना दी। चूंकि वर्तमान में मेट्रो प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। ऐसे में लगभग दो किलोमीटर लंबी सडक़ पर जगह-जगह बेरिकेड्स लगाकर पिलर बनाने के लिए गड्ढे किए जा रहे हैं। इसके चलते न सिर्फ सडक़ संकरी हो गई है । बल्कि कई जगह से सडक़ की सूरत बिगड़ चुकी है। उक्त सडक़ पर ट्रैफिक जाम होना जैसे आम बात है। पीक अवर में निकलने में वाहन चालक और राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर इंजीनियरों की लापरवाही की वजह से जनता के करोड़ों रुपयों पर पानी फिर गया है। जहां से लोग आराम से निकलते थे। उस सडक़ पर आज खड़ा होना मुश्किल हो गया है।
आंदोलन के बाद बनी थी सडक़
बता दें कि स्थानीय लोगों के धरना-प्रदर्शन और आंदोलनों के बाद सडक़ का निर्माण 2023 में लगभग 20 साल बाद हुआ है, लेकिन सडक़ बनने के करीब आठ महीने बाद ही करोंद से मंडी तक इस पूरी सडक़ के बीचों बीच 80 फीट की सडक़ पर बैरिकेडिंग कर दी। अब सडक़ के दोनों तरफ आठ से दस फीट का हिस्सा ही निकलने के लिए बचा है। हालांकि ईएनसी पीडब्ल्यूडी केपीएस राणा का कहना है कि मेट्रो के काम से सडक़ का जितना हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है। उसका निर्माण मेट्रो प्रबंधन प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद करवा कर देगा।
खूबसूरत सडक़ हो गई बदहाल
करोंद चौराहे से लेकर कृषि उपज मंडी तक बनाई गई सडक़ पुराने शहर की सबसे खूबसूरत सडक़ में शुमार थी। विधानसभा चुनाव के पहले सडक़ का लोकार्पण किया गया था। उसके आठ-नौ माह बाद ही सडक़ पर मेट्रो का काम शुरू हो गया था। 80 फीट चौड़ी सडक़ के बीच सेंट्रल वर्ज में सजावटी पौधे लगाए गए थे। जिन्हें बुलडोजर से रौंद दिया गया। सडक़ पर सफेद रोशनी वाली स्ट्रीट लाइटें लगाई गई थी। आज वह मंडी परिसर के अंदर कबाड़ की तरह पड़ी हुई है। 80 फीट चौड़ी रोड पर मेट्रो के चल रहे काम की वजह से सडक़ पर आवाजाही मुश्किल हो गई है।

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