दूध खरीदी पर 5 रुपए प्रति लीटर बोनस देंगे… कब से मिलेगा अभी तय नहीं

दूध खरीदी
  • साल भर से घोषणा…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सीएम डॉ. मोहन यादव की घोषणा के साल भर बाद भी मप्र सरकार दूध खरीदी पर पशुपालकों को प्रति लीटर 5 रुपए बोनस देने को लेकर अंतिम निर्णय नहीं ले पाई है। इस मुद्दे पर सरकार भारी असमंजस में है। दूध उत्पादकों को बोनस दें या न दें, बोनस दें, तो किस फॉर्म में दें- नकद पैसे दें या फिर चारे-भूसे के लिए पैसे दें… जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार फैसले कर रही है। सरकार ने डॉ. अंबेडकर पशुपालन विकास योजना लागू की है। राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के साथ एमओयू भी किया गया है। जनवरी, 2024 में पहली बार दुग्ध उत्पादकों को दूध खरीदी पर प्रति लीटर 5 रुपए बोनस दिए जाने पर विचार किया गया था। पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने फरवरी, 2024 में इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर लिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री लगातार अलग-अलग कार्यक्रमों में किसानों को दूध खरीदी पर 5 रुपए प्रति लीटर बोनस देने की घोषणा करते रहे हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि दूध खरीदी पर बोनस कब से दिया जाएगा।
अभी 180 करोड़, फिर सालाना 900 करोड़ खर्च होंगे

वर्तमान में मप्र में भोपाल समेत सभी 6 दुग्ध संघ प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से हर दिन किसानों से 10 लाख लीटर दूध खरीदते हैं। सरकार दूध खरीदी पर बोनस देती है, तो अभी सालाना 180 करोड़ रुपए का वित्तीय भार सरकारी खजाने पर आएगा। सरकार ने एनडीडीबी के साथ आने वाले 5 साल में दूध का कलेक्शन 50 लाख लीटर प्रतिदिन करने का लक्ष्य तय किया है। दूध का कलेक्शन 50 लाख लीटर होने की स्थिति में सरकारी खजाने पर सालाना 900 करोड़ रुपए का भार आएगा।
बोनस देने पर इसलिए निर्णय नहीं ले पा रही सरकार
– अधिकारियों का कहना है कि यदि दुग्ध उत्पादको को दूध पर 5 रुपए प्रति लीटर बोनस देते हैं, तो इस क्षेत्र से प्राइवेट प्लेयर बाहर हो जाएंगे। लॉन्ग टर्म में इसका असर यह होगा कि सांची की मोनोपॉली हो जाएगी। भविष्य में इसका असर दूध के दामों और क्वालिटी पर पड़ सकता है। यही वजह है कि सरकार इस विकल्प पर भी विचार कर रही है कि दूध उत्पादकों को नकद राशि देने की बजाय चारे-भूसे के लिए राशि प्रदान की जाए।
– सरकार ने पिछले साल जब 5 रुपए प्रति लीटर बोनस देने का निर्णय लिया था, तब राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड से एमपी डेयरी फेडरेशन का करार नहीं हुआ था। अप्रैल, 2025 में एनडीडीबी के साथ एमपी डेयरी फेडरेशन का एमओयू हो चुका है, इसलिए प्रदेश में दुग्ध समितियों के गठन, किसानों को अच्छी प्रजाति के गाय-भैंस उपलब्ध कराने, अधिक से अधिक दूध कलेक्शन करने आदि की जिम्मेदारी एनडीडीबी की है।
– आने वाले पांच साल में दूध संकलन का लक्ष्य 5 गुना बढ़ाने का निर्णय लिया गया है, इसलिए बोनस देने पर सरकार पर वित्तीय भार भी लगातार बढ़ता जाएगा।
एनडीडीबी ने संभाली दुग्ध संघ की जिम्मेदारी: केंद्रीय
गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भोपाल में गत 13 अप्रैल को एनडीडीबी और एमपी डेयरी फेडरेशन के बीच अनुबंध हुआ था। अब प्रदेश में एमपी डेयरी फेडरेशन से जुड़े सभी 6 दुग्ध संघों का प्रबंधन और संचालन का जिम्मा एनडीडीबी के हाथों में चला गया है। प्रदेश में वर्तमान में 6 हजार दुग्ध समितियां हैं, जिन्हें बढ़ाकर 26 हजार किया जाएगा। हो गया है। ऐसे ही दूध का संकलन 10 लाख लीटर रोजाना से बढ़ाकर 50 लाख लीटर करने का लक्ष्य है।
दूध उत्पादन में देश में मप्र का तीसरा स्थान
दूध उत्पादन में पहले स्थान पर उप्र, दूसरे पर राजस्थान और मप्र तीसरे स्थान पर है। देश में दूध के कुल उत्पादन का राजस्थान में 15.05 प्रतिशत, उप्र में 14.93 प्रतिशत और मप्र में 9.0 प्रतिशत उत्पादन होता है। मप्र में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 545 ग्राम रोजाना है, जो राष्ट्रीय औसत (406 ग्राम) से ज्यादा है।

इनका कहना है
प्रदेश में दूध उत्पादकों को 5 रुपए प्रति लीटर बोनस देने को लेकर सीएम सचिवालय स्तर पर विचार-विमर्श चल रहा है। इस बारे में जल्द अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

  • लखन पटेल, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

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