शाह इस्तीफा न देने की जिद पर अड़े पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

  • कांग्रेस को थमा दिया बड़ा मुद्दा

गौरव चौहान
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव समाप्त हो गया है, लेकिन प्रदेश के बड़बोले मंत्री विजय शाह के विवादित बयान से भाजपा में भारी तनाव की स्थिति बनी हुई है। पूरे मामले को शांत करने के लिए संगठन व सरकार उनसे मंत्री पद से इस्तीफा चाह रही थी , लेकिन शाह ने साफ इंकार कर दिया है। वे मंत्री पद न छोड़ने की जिद पर अड़ गए हैं। इसके साथ ही वे अब इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। यह बात अलग है कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिले या न मिले, लेकिन उन्हें जनता से राहत मिलती नहीं दिख रही है। अपने बयानों की वजह से वे लगातार सुर्खियों में बने रहते हैं और पार्टी के लिए भारी मुश्किलें खड़ी करते रहते हैं। इसके बाद भी वोटों की राजनीति के लिए उन्हें पार्टी व सरकार झेलने के लिए मजबूर बनी रहती है। हाईकोर्ट के निर्देश पर उनके खिलाफ महू के मानपुर थाने में जिन गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है, उनमें अब तक आम आदमी होता तो गिरफ्तार कर लिया जाता , लेकिन शाह के मामले में अब तक ऐसा नहीं हुआ है। उधर उनके इस बयान ने कांग्रेस को एक बार फिर से बड़ा मुद्दा थमा दिया है। कांग्रेस अब इस मामले को पूरी ताकत के साथ उठा रही है। अहम बात यह है कि शाह के बयान से आम आदमी भी इत्तेफाक नहीं रख रहा है।
अपने बयानों की वजह से विवादों में रहने वाले शाह ऐसे नेता बन चुके हैं, जिनकी वजह से पार्टी को लगातार वैकफुट पर आना पड़ता है। उनका इस बार मामला पार्टी हाईकमान से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक पहुंच चुका है। इससे मामले की गंभीरता को समझा जा सकता है। यही वजह है कि इस मामले में बीती देर रात मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से लेकर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद तक को मंथन करना पड़ा है। इस मामले में तो उमाभारती जहां खुलकर शाह पर कार्रवाई करने की मांग कर चुकी हैं, वहीं पार्टी के भी तमाम नेता अंदर ही अंदर कार्यवाई होते देखना चाहते हैं। इसकी वजह है अब उन्हें जनता के बीच जबाव देते नहीं बन रहा है। उधर, मंत्री पद से इस्तीफा नहीं होने की वजह से अब पार्टी के नेता भी इस मामले में चुप्पी साधने पर मजबूर हो गए हैं। इस मामले में पार्टी का कोर वोटर भी खुश नहीं है। फिलहाल शाह के बयान से पार्टी की पूरे देश में किरकिरी हो रही है।
मामले को ठंडे बस्ते में डालने की थी तैयारी
मंत्री विजय शाह के खिलाफ फूटे आक्रोश के बावजूद भाजपा संगठन ने मामले को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी की थी। प्रदेश संगठन ने मंत्री ने उनसे माफी मंगवा दी थी। कर्नल सोफिया कुरेशी के नौगांव में रहने वाले परिजन के घर भाजपाइयों को भी भेजा, लेकिन बुधवार को भी मंत्री के खिलाफ लोगों का आक्रोश कम नहीं हुआ। शाम होते-होते हाईकोर्ट के फैसले के बाद फिर मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने मांगा इस्तीफा
मंत्री शाह मामले को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निवास पर हुई बैठक में भाजपा के प्रदेश के वरिष्ठ नेता व मंत्री शाह शामिल हुए। बताया जा रहा है कि इस दौरान मंत्री शाह से इस्तीफा मांगा गया, लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हुए और मोहलत मांगी। बैठक के बाद सीएम ने एक्स कर कहा कि माननीय हाईकोर्ट के निर्देश के पालन का आदेश दिया गया है। विवादित बयान के बाद मामला जब गरमाने लगा तो भाजपा संगठन ने मंत्री शाह को मंगलवार को भोपाल तलब किया। वे हवाई चप्पल में ही पार्टी कार्यालय पहुंचे और वरिष्ठ नेतागणों की फटकार खाने के बाद अपने बयान पर खेद प्रकरण करते नजर आए। इसके बाद उन्होंने माफी भी मांगी और कर्नल सोफिया कुरैशी को अपनी सगी बहन से ज्यादा बताया था, लेकिन उनकी यह माफी काम नहीं आ रही है।  
उमा भारती ने भी मांगा इस्तीफा
शाह की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद से राजनीतिक और सामाजिक इलाकों में भारी नाराजगी देखने को मिली। पूरे प्रदेश में प्रदर्शन शुरू कर दिए थे और मंत्री के इस्तीफे की मांग की थी। वहीं भाजपा के भीतर भी इस बयान को लेकर असहजता थी। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती समेत कई भाजपा नेताओं ने भी लाह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। उमा भारती ने शाह को तत्काल बर्खास्त करने और एफआईआर की मांग की थी।
हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
महिला सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह के बयान पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए इसे कैंसर जैसा और खतरनाक बताया है। हाईकोर्ट ने डीजीपी को विजय के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया, जिसके बाद देर यह पुलिस ने विजय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। हाईकोर्ट ने कहा कि मंत्री ने गटर छाप भाषा का इस्तेमाल किया, जो अस्वीकार्य है। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने कर्नल कुरैशी को पहलगाम हमले के आतंकियों की बहन कहने वाले बयान को अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला बताया। साथ ही कहा कि यह भारत की एकता, अखंडता को खतरे में डालने वाला है। कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बल संभवत: देश में मौजूद आखिरी संस्था हैं, जो ईमानदारी अनुशासन, त्याग, बलिदान, स्वार्थहीनता व अदम्य साहस को प्रतिबिंबित करती है, जिससे देश का कोई भी नागरिक खुद को इससे जोड़कर देख सकता है। इसे विजय ने निशाना बनाया है। पीठ ने कहा कर्नल कुरैशी व विंग कमांडर व्योमिका सिंह सुरक्षाबलों के चेहरे थे, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को प्रगति के बारे में मीडिया को जानकारी दी थी।
कांग्रेस ने खोला मोर्चा
शाह के बयान से कांग्रेस को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया। कांग्रेस ने कई जिलों में मंत्री शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए उनके बयान की निंदा की है।  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी बुधवार को भोपाल के श्यामला हिल्स थाने पहुंचे। मंत्री के खिलाफ एफआईआर कराने आवेदन दिया। पटवारी ने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा। आग्रह किया कि मंत्री शाह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए। उनके खिलाफ देशद्रोह के तहत कठोर कार्रवाई हो। इस तरह के बयान रोकने के लिए पीएमओ नीतिगत व्यवस्था सुनिश्चित करे। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया, पीसी शर्मा, संगठन उपाध्यक्ष सुखदेव पांसे, विधायक आरिफ मसूद आदि शामिल थे। इसी तरह से कांग्रेस ने इंदौर, जबलपुर के अलावा कई अन्य शहरों में भी प्रदर्शन कर उनका पुतला फूंकते हुए मंत्री पद से हटाने की मांग की है।

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