कमाई के फेर में किताबों की गुणवत्ता से समझौता

  • एक करोड़ से अधिक स्कूली बच्चों की किताबों की घटिया क्वालिटी की छपाई

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्राथमिक स्तर पर शिक्षण में किताबों का महत्व ही अधिक होता है। इसके बाद फिर शिक्षक व स्कूल का माहौल। कक्षाओं का आकार, अन्य सुविधाएं और खेल का मैदान। ये सभी वह कारक हैं, जो बच्चे की नींव मजबूत करने के अहम कारक हैं। सरकार जहां एक तरफ गुणवत्तापरक व सभी को शिक्षा मुहैया कराने की बात करती है। लेकिन अधिकारी किताबों की घटिया छपाई कराकर सरकार की साख को बट्टा लगा रहे हैं। प्रदेश में एक करोड़ से अधिक स्कूली बच्चों की किताबों की घटिया क्वालिटी की छपाई की घटिया क्वालिटी अधिकारियों की पोल खोल रही है। प्रदेश के निजी स्कूल अभिभावकों की जेब काटने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। वहीं सरकारी स्कूलों में बंटने वाली किताबों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रदेश में एक करोड़ से अधिक स्कूली बच्चों की किताबों की घटिया क्वालिटी की छपाई कर अफसर सरकार की साख को बट्टा लगा रहे है। घटिया क्वालिटी की छपाई में प्रिंटरों से अफसर बसूली भी कर लेते हैं। इसका खुलासा इंदौर डिपो मैनेजर के एक पत्र से हुआ है। पत्र में किताबों की अमानक स्तर की छपाई की पूरी पोल खोली गई है।  
किताबों पर ढाई हजार करोड़ खर्च
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं तक के बच्चों को निशुल्क किताबें राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाती हैं। हैं। नि:शुल्क किताबों का वितरण सरकार की साख से जुड़ा हुआ है, जबकि एमपी बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों के बच्चों को यह किताबें खरीदना होती है। प्रदेश की स्कूली शिक्षा की किताबों की छपाई का जिम्मा मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के पास है। पाठ्यपुस्तक निगम हर साल करीब साढ़े छह करोड़ किताबें छापता है। किताबों के लिए कागज खरीदी व छपाई करीब ढाई हजार करोड़ रुपए की है। सत्र 2025-26 के लिए प्रिंटिंग की गई स्कूली किताबों का वितरण एक अप्रैल से शुरू हो चुका है। किताबों की प्रिटिंग अलग -अलग प्रिंटरों द्वारा की जाती है। प्रिंटिंग के लिए पूरे मापदंड तय किए गए है।
किताबों की प्रिंटिंग में खेल
 विभागीय सूत्रों का कहना है कि अमानक स्तर की प्रिंटिंग होने के बाद प्रिंटर को भुगतान कर दिया गया है। दरअसल, पाठ्यपुस्तक निगम स्कूली किताबों की छपाई के टेंडर ग्रुप वाइज जारी करता है। स्कूली किताबों की प्रिंटिंग राजधानी समेत अलग-अलग राज्यों में प्रिंटरों द्वारा की जाती है। बताया जाता है कि कई प्रिंटर ऐसे हैं, जो सेटिंग कर उंचे दामों पर किताबों की छपाई करते हैं। बाहरी राज्यों के प्रिंटर लो रेट पर प्रिंटिंग कर देते हैं। खास बात यह कि राजधानी भोपाल में ऊंचे दामों पर किताबों की प्रिंटिंग के टेंडर लिए जाते हैं, जबकि राजधानी के प्रिंटरों का किताबों को पहुंचाने के आवगमन का खर्च भी बचता है।  इंदौर डिपो मैनेजर की ओर से घटिया क्वालिटी की छपाई को लेकर रोहन प्रज्ञा एंड पैकेजिंग प्राइवेट लिमिटेड ग्रेटर नोएडा (उप्र) को बार-बार पत्र लिखा गया है।

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