- अवैध वसूली कर अपनी तिजोरी भर रहे अधिकारी
- गौरव चौहान

प्रदेश के सबसे कमाऊ विभागों में शामिल परिवहन विभाग भ्रष्टाचार और भर्राशाही की जकड़ में इस कदर फंसा हुआ है कि विभाग के अफसर राजमार्गों पर चेकपोस्ट (अब चेकपॉइंट)पर अवैध वसूली कर केवल अपनी तिजोरी भरने में लगे हुए हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि परिवहन विभाग लगातार राजस्व वसूली में पिछड़ता जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2022-23 में टारगेट से अधिक राजस्व संग्रह करने वाला परिवहन विभाग इस बार लक्ष्य की पूर्ति में पिछड़ गया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में सरकार ने परिवहन विभाग को 5,500 करोड़ रूपए का टारगेट दिया था, विभाग 4,770 करोड़ रूपए ही वसूल पाया। विभाग का कहना है कि स्टाफ की कमी के कारण परिवहन विभाग टारगेट पूरा नहीं कर पाया है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष के आखिरी महीने मार्च में परिवहन विभाग ने अपना राजस्व का टारगेट पूरा करने के लिए चैक पोस्ट पर सख्ती बढ़ा दी थी। साथ ही पुराने वाहनों से टैक्स वसूली के नोटिस दिए गए, ताकि राजस्व बढ़ सके। आरटीओ, उडऩ दस्ता प्रभारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए गए। लेकिन विभाग टारगेट पूरा करने में 730 करोड़ रूपए से पिछड़ गया। संयुक्त परिवहन आयुक्त, प्रशासन विनोद भार्गव का कहना है कि वित्तीय वर्ष वर्ष में मिले 5,500 करोड़ 99 रुपए के राजस्व लक्ष्य की पूर्ति के पूरे प्रयास किये गए थे लेकिन 4,770 करोड ही राजस्व आया। जानकारी के अनुसार परिवहन विभाग स्टाफ की कमी से जुझ रहा है। विभाग में अधिकांश पद खाली पड़े हैं। इस कारण काम करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
छापों में खुल रही विभाग की पोल
लोकायुक्त पुलिस ने विगत 1 मई को सौरभ के खास राजदार विभाग के दो आरक्षकों गौरव पाराशर और हेमंत जाटव से पूछताछ की गई। इसके बाद विभाग के कुछ आरटीआई, टीएसआई और आरक्षकों को बुलाकर पूछताछ की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि अलग-अलग पूछताछ में विभाग के इन कर्मचारियों ने खुद को बचाने की कोशिश जरूर की है, लेकिन अवैध वसूली सिस्टम की परतें लोकायुक्त के सामने जरूर खोली हैं। इसमें सौरभ के साथ-साथ सौरभ के उन संरक्षकों के नाम भी खोले हैं, जिनके पास वसूली का पैसा जाता था।
समन शुल्क वसूली लगातार गिर रही
प्रदेश में आंकड़ों का आकंलन करने पर यह तथ्य सामने आया है कि समन शुल्क वसूली में लगातार गिरावट आ रही है। 3 प्रमुख जिलों में वर्षवार समन शुल्क वसूली कम हो रही है। ग्वालियर में वर्ष 2021-22 में 41,94,000 रूपए की वसूली हुई थी। वहीं 2022-23 में 46,78,500, 2023-24 में 68,53,000 रूपए की वसूली हुई। वहीं 2024-25 में फरवरी तक 23,97,900 रूपए की वसूली हुई। इंदौर में 2021-22 में 6,95,000, 2022-23 में 2,83,000, 2023-24 में 1,77,000 और 2024-25 में फरवरी तक 5,89,000 रूपए की वसूली की गई है। रीवा में 2021-22 में 97,62,800, 2022-23 में 68,27,000, 2023-24 में 38,04,000, 2024-25 में फरवरी तक 11,49,000, भोपाल में 2021-22 में 1,69,000, 2022-23 में 1500 और 2024-25 में फरवरी तक 1,92,000 रूपए की वसूली की गई।
वसूली से ज्यादा वेतन ले गए अधिकारी
जानकारी के अनुसार परिवहन विभाग का मैदानी अमला हर महीने करोड़ों रुपये की अवैध वसूली करता रहा, वहीं शासन हित में राजस्व वसूली के प्रति पूरी तरह उदासीन बना रहा। राजमार्गों पर शमन शुल्क के रूप में वसूली गई राशि का राशि का आंकड़ा बताता है कि चेकपोस्टों पर नियम विरुद्ध संचालित वाहनों से जितना राजस्व वसूला गया, उससे कई गुना अधिक यहां अवैध वसूली हुई। परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके दोनों साथियों से पूछताछ के बाद लोकायुक्त पुलिस ने अब परिवहन विभाग के मैदानी अमले से अवैध वसूली के संबंध में पूछताछ शुरू कर दी है। इस पूछताछ में परिवहन विभाग की हर महीने की करोड़ों की वसूली की परतें एक-एक कर खुल रही हैं। वहीं विभाग के वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 45 जिलों में इस मैदानी अमले द्वारा शमन शुल्क के रूप में वसूली का आंकड़ा बताता है कि अधिकारी कर्मचारियों ने राजस्व वसूली में कभी रुचि नहीं ली। जबकि जुलाई 2024 में मुख्यमंत्री के आदेश पर चेकपोस्ट बंद होने के बाद कई जिलों में राजस्व वसूली से कहीं अधिक इस वसूली अमले को वेतन के रूप में बांट दिया गया।
लक्ष्य से 730 करोड़ पिछड़ गया विभाग
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार का कमाऊपूत परिवहन विभाग वित्तीय वर्ष 2024-25 में मिले 5,500 करोड़ के रेवेन्यू टारगेट को पूरा नहीं कर पाया। लक्ष्य ज्यादा नहीं बहुत ज्यादा था, इसलिए विभाग 31 मार्च तक 4,770 करोड़ ही राजस्व प्राप्त कर सका और लक्ष्य पूरा करने में 730 करोड़ से पिछड़ गया। ग्वालियर परिवहन कार्यालय की बात करें तो 340 करोड़ का टारगेट मिला था, मगर 317 करोड़ ही आ सके। उल्लेखनीय है कि परिवहन विभाग में राजस्व संग्रहण वाहनों के रजिस्ट्रेशन, वाहनों के रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल वाहनों के परमिट, वाहनों में ओवरलोडिंग से होता है। इसके अलावा बिना अनुमति के वाहनों का मार्ग पर संचालन, बिना हेलमेट, सीट बेल्ट के चार पहिया वाहन चलाने, मानक से ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर पेनाल्टी से भी राजस्व का संग्रहण किया जाता है। इसके अलावा विभाग ओवरलोडिंग पर भी कार्रवाई कर जुर्माना वसूलता है। इससे राजस्व अर्जित होता है। परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा ने 5500 करोड़ के टारगेट को पूरा करने के लिए परिवहन अधिकारियों को अवैध वाहनों पर कार्रवाई, बकाया टैक्स वसूलकर अधिक से अधिक राजस्व जुटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन निर्देश काम नहीं आए और 5,500 करोड़ का राजस्व लक्ष्य धरा का धरा रहा गया। विभाग को 6 हजार करोड़ का रेवेन्यू का नया टारगेट दिया जाएगा। ग्वालियर के अलावा इंदौर, जबलपुर और भोपाल भी राजस्व लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए। परिवहन विभाग वर्ष 2023-24 में मिले 4,800 करोड़ का टारगेट पूरा करने में 200 करोड़ से पिछड़ गया था। ट्रांसपोर्टर बलजीत सिंह का कहना है कि पिछले वर्ष में नई गाडिय़ां कम उठी है, इसलिए विभिन्न टैक्स सहित अन्य राजस्व परिवहन विभाग को कम मिला होगा। अगर विभाग के पिछले 6 साल के राजस्व लक्ष्य का आकंलन करें तो वर्ष 2019-20 में 3,600 करोड़ रूपए का टारगेट दिया गया था, उसमें से विभाग ने 3,266 करोड़ रूपए वसूले। वहीं वर्ष 2020-21 में 2,600 करोड़ रूपए का टारगेट और 2,746 करोड़ रूपए की वसूली वर्ष 2021-22 में 3,200 करोड़ रूपए का टारगेट और 3,026 करोड़ रूपए की वसूली वर्ष 2022-23 में 3,800 करोड़ रूपए का टारगेट और 4,012 करोड़ रूपए की वसूली वर्ष 2023-24 में 4,800 करोड़ रूपए का टारगेट और 4,600 करोड़ रूपए की वसूली और वर्ष 2024-25 में 5,500 करोड़ रूपए का टारगेट और 4,770 करोड़ रूपए की वसूली हुई।