
- प्रदेश के तीन गांवों में हमेशा रहता है कई राज्यों की पुलिस का डेरा
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के राजगढ़ जिले के तीन गांव ऐसे हैं जहां पर कहने को तो लेागों के पास कोई काम नहीं हैं, लेकिन उनके पास हर वो लग्जरी सुविधा है, जो किसी धन्नासेठ के पास भी नहीं होती है। इन सुविधाओं में रहने के लिए कोठी हो या फिर चमचमाती कार। कोठी भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि उसमें नहाने के लिए स्विमिंग पूल तो गांव की पगडंडियों पर चलने के लिए बेहद महंगी बाइकें और बात करने के लिए लाख रुपए से अधिक कीमत वाले बच्चों के हाथों में मोबाइल फोन। जी हां ऐसी ही लग्जरी जिंदगी गुजारते हैं राजगढ़ जिले के तीन गांवों के लोग। यह तीनों गांव हैं कडिय़ां सांसी, गुलखेड़ी और हुलखेड़ी। इन गांवों में सर्वाधिक आबादी सांसी सुमदाय की है। दरअसल इन तीनों ही गांवों में रहने वाले इस समुदाय के अधिकांश सदस्य आपराधिक किस्म के हैं। वे सिर्फ चोरियों को अंजाम देते हैं। इनके नाम देश की बड़ी-बड़ी चोरियां दर्ज हैं। वारदातों से मिले पैसे से उनके द्वारा रहने के लिए बड़ी-बड़ी सर्वसुविधायुक्त हवेलियां बनाई गई हैं। इनमें वे सभी लग्जरी सुविधाएं मौजूद हैं, जो किसी बड़े पांच सितारा होटलों में रहती हैं। यही नहीं गांव के युवकों के पास महंगी बाइक और मोबाइल हैं। बच्चे गले में सोने की चेन पहनते हैं। इन गांवों मे हालत यह है कि लगभग 80 फीसदी परिवारों के किसी न किसी सदस्य का वास्ता अपराध से है। इसकी वजह से तीनों छोटे -छोटे गांवों में रहने वाले करीब एक हजार लोगों के खिलाफ तो वांरट निकले हुए हैं। हालत यह है कि इन वारंटियों को पकडऩा पुलिस के लिए भी बेहद मुश्किलभरा काम होता है। यही वजह है कि इन दिनों इन वांरटियों को पकडऩे के लिए एक दो नहीं बल्कि राजगढ़ जिले के 17 थानों की पुलिस गांव में डेरा डाले हुए हैं। यहां सांसी समुदाय के शादी समारोह में शामिल होकर वारंटियों की पहचान कर उन्हें पकड़ रही है। पुलिस अब तक 23 वारंटियों को गिरफ्तार कर चुकी है और 22 पुलिस के सामने सरेंडर कर चुके हैं। इन गांवों में परिजनों द्वारा ही बच्चों को चोरी की ट्रेनिंग देने के साथ पुलिस से बचने के गुर भी सिखाए जाते हैं। यहां देश के किसी न किसी राज्य की पुलिस अक्सर डेरा डाले रहती है।
होता है शहर की पॉश कॉलोनी का अहसास
राजगढ़ के पचोर से महज 7 किमी दूर नरसिंहगढ़ रोड पर कडिय़ां सांसी गांव है। यहां पहुंचने पर ऐसा लगता है कि शहर की किसी पॉश कॉलोनी में घूम रहे हैं। गांव के सभी मकान पक्के होने के साथ आलीशान हैं। इनमें से कुछ मकानों को तो दिल्ली और मुंबई के आर्किटेक्ट्स ने डिजाइन किया है। गांव के लडक़े चमचमाती बाइक लेकर घूमते नजर आते हैं। यह ऐसे गांव हैं, जहां पर अघोषित रूप से किसी बाहरी व्यक्ति के आने पर प्रतिबंध है। पुलिस भी यहां जाने से पहले दस बार सोचती है।
इस तरह की लग्जरी सुविधाएं
इन गांवों में बड़े-बड़े हवेलीनुमा और आलीशान बंगले बने हुए हैं। कुछ घरों में तो स्विमिंग पूल तक भी है। हर घर में वॉशिंग मशीन, टीवी, फ्रिज, एसी और कई तरह की आधुनिक उपकरण भी हैं। दरअसल, यह सब चोरी से कमाए पैसों से हैं। इन गांवों में रहने वाले सांसी समुदाय के युवा देशभर में करोड़ों रुपए की चोरियां करते हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल में राजगढ़ पुलिस की मदद से देशभर की पुलिस गांव से 98 लाख से ज्यादा नकद और 32 करोड़ के सोने-डायमंड के जेवरात बरामद कर चुकी है।
बड़ी -बड़ी चोरियों की वारदातें
इस गांव के लोगों के नाम देश की कई बड़ी चोरियों के मामले दर्ज हैं। इसका उदाहरण है जयपुर में हुई 1.45 करोड़ की चोरी। यह वारदात बीते साल अगस्त मे हुई थी। तेलंगाना के एक कारोबारी के बेटे की राजस्थान के जयपुर में शादी थी। इस शादी से 1.45 करोड़ रुपए का कीमती सामान चोरी हो गया। राजस्थान पुलिस ने जब मामले की जांच की तो पता चला कि ये किशोर सांसी समुदाय से ताल्लुक रखता है और कडिय़ां सांसी के बगल के गुलखेड़ी गांव का रहने वाला है। जिसे बाद में गिरफ्तार भी किया गया था। इसी तरह से दूसरा मामला दिल्ली का है। ये मामला इसी साल फरवरी का है। दिल्ली में एक शादी समारोह में चोरी की वारदात हुई थी। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपी अज्जू, कुलजीत और कालू को पकड़ा था। तीनों की उम्र 22 से 25 साल की है। इसके पास से सवा दो लाख रुपए बरामद किए। तीनों गुलखेड़ी के रहने वाले थे। दिल्ली पुलिस ने बाद में उनके फरार साथी और पेशे से टीचर नटवर भानेरिया से 30 तोला सोना बरामद किया था।
बच्चों को दिया जाता है बाकायदा प्रशिक्षण
इस गांव में चोरी की वारदातों और पुलिस से बचने के लिए बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाता है। पूरे गांव के लोग चोरी नहीं करते, मगर ज्यादातर का यही पेशा है। गांव के धनी लोग गरीब ग्रामीणों के बच्चों को एक से दो साल के लिए खरीदते हैं। इसके लिए बाकायदा बोली लगती है। बच्चों को खरीदने की रकम एक से बीस लाख रुपए के बीच होती है। इन्हें शादियों में चोरी करने की ट्रेनिंग दी जाती है। जब बच्चा खरीदी की रकम से पांच-छह गुना कमाई करके दे देता है तो उसे आजाद कर दिया जाता है। वारदात के लिए गरीब बच्चों को हाई प्रोफाइल फैमिली के बच्चों की तरह मैनर्स सिखाए जाते हैं। इन्हें ठीक कपड़े पहनने से लेकर, ठीक खाना और बोलचाल का ढंग सिखाया जाता है। इसकी वजह है जहां चोरी करने जाते हैं वो हाई प्रोफाइल फैमिली होती है। शादियों में बैग चोरी करने और बचने के तरीके बताए जाते हैं।