
- डेढ़ दशक पुराने हुए अफसरों के 32 सौ वाहन
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। आर्थिक संकट का सामना कर रहे प्रदेश सरकार के खजाने पर अब एक भारी भरकम भार पडऩे वाला है। इसकी वजह है वे सरकारी वाहन (कारें) जो डेढ़ दशक पुराने हो चुके हैं। इन वाहनों की अवधि 15 साल हो जाने की वजह से अब उनका रजिस्ट्रेशन भी समाप्त हो गया है। इन वाहनों को बदलने के लिए नए वाहनों की जरुरत आने वाली है। नए वाहनों की खरीद पर सरकार को करीब 30 अरब रुपए खर्च करने होंगे। यह वाहन शासकीय विभागों, निगम मंडल, निकायों, पंचायतों, सार्वजनिक उपक्रमों के हैं। नियमानुसार सरकारी वाहनों के पंद्रह वर्ष की आयु पूरी करने के बाद पुन: रजिस्टे्रशन नहीं हो सकता है। किए गए प्रावधान के तहत यदि किसी विभाग ने पंद्रह वर्ष की आयु पूरी होने के पूर्व ही नवीनीकरण करा लिया है तो वह भी रद्द माना जाएगा। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक पुराने वाहन पुलिस विभाग के पास हैं। पुलिस विभाग का काम ही ऐसा है कि उनका उपयोग सर्वाधिक होता है। इसकी वजह से वे पंद्रह वर्ष में ये अपनी आयु पूरी कर चुके होते है। नवीन वाहनों का पंजीयन केवल पंद्रह वर्ष के लिए होता है और पंद्रह वर्ष बाद वाहन के पंजीयन का नवीनीकरण कराना अनिवार्य है। भारत सरकार की अधिसूचना के अनुसार जिन शासकीय वाहनों की आयु पंद्रह वर्ष पूरी हो चुकी है अब उन वाहनों के पंजीयन का नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है। ऐसे सभी वाहनों का निपटान आरवीएसएसएफ के माध्यम से कराया जाना अनिवार्य है।
शासकीय वाहनों को अनुपयोगी घोषित करने के लिए गृह विभाग ने प्रक्रिया और समिति के गठन और अधिकार तय किए है। परिवहन विभाग के सचिव मनीष सिंह ने इस संबंध में सभी विभागों को निर्देश जारी किए है कि पंद्रह वर्ष की आयु पूरी कर चुके वाहनों का पंजीयन नवीनीकरण नहीं होगा, बल्कि उन्हें स्क्रैप कराना होगा। आरवीएसफ के माध्यम से पंद्रह वर्ष से पुराने शासकीय वाहनों को स्क्रैप करने के लिए प्रत्येक विभाग प्रदेश स्तरीय, संभाग स्तरीय अथवा जिला स्तरीय समिति गठित कर इस प्रक्रिया का पालन कर रिजर्व प्राईज निर्धारित करेगा। ऐसे वाहनों को एमएसटीसी या जैम पोर्टल के माध्यम से नीलाम किया जाएगा। परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा का कहना है कि पंद्रह वर्ष से अधिक पुराने शासकीय वाहनों का पंजीयन निरस्त करने और उनके पंजीयन का नवीनीकरण नहीं करने के संबंध में आदेश जारी किये जा चुके है। ऐसे सभी वाहनों का निपटान आरवीएसफ सेंटर के माध्यम से विभाग नोडल अधिकारी की तैनाती कर करा सकेंगे। ऐसे वाहनों को एमएसटीसी या जेम पोर्टल पर दर्ज कर परिवनह विभाग को उनकी सूची भी उपलब्ध कराने को कहा गया है।