
- सौरभ शर्मा पर अभी और कसी जाएगी नकेल
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। परिवहन विभाग में कांस्टेबल के पद पर रहने के दौरान करोड़ों का खेल करने के आरोपी सौरभ शर्मा की पीछा ईडी छोडऩे को तैयार नहीं है। ईडी ने भोपाल जिला अदालत में दलील दी कि सौरभ शर्मा को जमानत नहीं मिलनी चाहिए। क्योंकि इनसे अभी पूछताछ बकाया है। इसे देखते हुए भोपाल जिला अदालत ने इन दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी। लेकिन सवाल उठता है कि परिवहन विभाग में अन्य दागदारों पर कार्रवाई कब की जाएगी। गौरतलब है कि परिवहन विभाग में कई अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायतें दर्ज हैं, लेकिन उनकी फाइलों पर धूल जम गई है। गौरतलब है कि परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के पास करोड़ों की आय से अधिक संपत्ति की शिकायत होने पर एफआईआर दर्ज किए बिना ही लोकायुक्त पुलिस ने भोपाल स्थित दो ठिकानों पर छापा मार दिया था। परिवहन विभाग के ही दूसरे अधिकारियों और कर्मचारियों की आय से अधिक संपत्ति, रिश्वत की मांग, पद के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार, शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने, गबन, फर्जी बिल और फर्जी नियुक्ति जैसी कई शिकायतें लंबित हैं। इन शिकायतों में आरोपी तत्कालीन परिवहन आयुक्त से लेकर परिवहन निरीक्षक, बाबू सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी शामिल हैं। 2019 से अब तक की शिकायतें फाइलों में दबी पड़ी हैं। लोकायुक्त टीम के पास इन्हें खोलकर जांच पूरी करने का समय नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पूर्व परिवहन आरक्षक की तरह इन अधिकारियों और कर्मचारियों की शिकायत पर कार्रवाई आगे क्यों नहीं बढ़ पा रही है।
इनके खिलाफ दर्ज हैं प्रकरण
प्रदेश में आयकर विभाग के कई अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज है। इनमें अरुण कुमार सिंह, प्रधान आरक्षक, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय जबलपुर, निवासी-इंदौर, जितेन्द्र सिंह बघेल, सहायक वर्ग-2 एवं सुखेन्द्र तिवारी और राजेन्द्र सिंह (दोनों प्रायवेट व्यक्ति), क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय, कटनी, सुनील गौड़, प्रधान आरक्षक, परिवहन विभाग, चांदपुर बैरियर, जिला अलीराजपुर, निवासी इंदौर एवं अन्य, सौरभ शर्मा, सेवानिवृत्त आरक्षक, मप्र परिवहन विभाग भोपाल, श्रीमती दिव्या तिवारी पत्नी सौरभ शर्मा, निवासी-ई-7/78 अरेरा कॉलोनी, भोपाल, शरद जायसवाल पिता कैलाश प्रसाद जायसवाल, निवासी-ई-8/99 शिवकुंज, 12 नं. बस स्टॉप के पास, भोपाल और चेतन सिंह गौड़, पिता प्रताप सिंह गौड़, निवासी-ई-7/657, अरेरा कॉलोनी, भोपाल। वहीं 01 अक्टूबर 2019 को केपी अग्निहोत्री निरीक्षक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, 10 जनवरी 2020 को दशरथ पटेल, रमेश खरे, अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, 22 दिसम्बर 2020 को दशरथ पटेल निरीक्षक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, 18 नवम्बर 2021 को जगदीश मीना निरीक्षक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, 04 मई 2022 को आरटीओ एवं कर्मचारी अनूपपुर के खिलाफ गाडिय़ों को छोडऩे के लिए रिश्वत, 02 अगस्त 2023 को सुनील गौड़ आरक्षक के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण से नियुक्ति, 16 फरवरी 2024 को सत्यप्रकाश शर्मा लिपिक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति,19 अप्रैल 2024 को सचिव एवं क्लर्क ग्वालियर के खिलाफ पद का दुरुपयोग, गलत परमिट जारी,13 जून 2024 को निधि सिंह, संजय तिवारी, अन्य आरटीओ एवं अन्य के खिलाफ पद के दुरुपयोग से शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने, 24 जुलाई 2024 को वीरेन्द्र सिंह यादव आरटीओ/देवास के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर भष्टाचार, 25 मार्च 2024 को डीपी गुप्ता तत्का. परि. आयुक्त के खिलाफ भष्टाचार, जालसाजी, आर्थिक क्षति, 2 फरवरी 2024 को एसपीएस चौहान, अजय भारद्वाज के खिलाफ, 4 दिसम्बर 2024 को राजेश मीणा के खिलाफ गलत परमिट से मोटरयान कर चोरी, 2 जनवरी 2025 को अर्चना मिश्रा, तेजकरण एवं अन्य के खिलाफ लाखों रुपये का गबन, 15 जनवरी 2005 को परिवहन आयुक्त, अन्य अधिकारी उज्जैन एवं अन्य के खिलाफ शहर दलालों के सहयोग से भ्रष्टाचार करने का मामला दर्ज है।
15 शिकायतों में अभी सिर्फ जांच पंजीबद्ध
जानकारी के अनुसार लोकायुक्त में परिवहन विभाग से संबंधित 15 शिकायतें ऐसी हैं, जिनमें अभी सिर्फ जांच पंजीबद्ध हुई है। इनमें 5 शिकायतें ऐसी हैं, जिनमें आय से अधिक संपत्ति अर्जित किए जाने की शिकायत की गई हैं। एक शिकायत में गाडिय़ों को छोडऩे के बदले में रिश्वत मांगे जाने, एक आरक्षक की फर्जी जाति प्रमाण-पत्र से नियुक्ति, सचिव व क्लर्क की पद का दुरुपयोग कर गलत तरीके से परमिट जारी किए जाने की जांच को लेकर की गई है। इसी प्रकार, भोपाल के तत्कालीन क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी संजय तिवारी एवं अधिकारी निधि सिंह पर आरोप है कि इन्होंने नगरीय विकास एवं आवास विभाग व परिवहन विभाग से संबंधित जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन मिशन मामले में पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई है। देवास के तत्कालीन आरटीओ वीरेन्द्र यादव पर पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार किए जाने एवं पूर्व परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता, (आईपीएस) पर आरोप हंै कि इन्होंने पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार, जालसाजी तथा शासन को आर्थिक हानि पहुंचाई है। ग्वालियर के पूर्व आरटीओ एसपीएस चौहान और लिपिक अजय भारद्वाज पर बस मालिक अनूप शिवहरे से मिलकर परमिट देने एवं एक करोड़ रुपये का मोटरयान कर चोरी करने का आरोप है। मप्र सडक़ परिवहन निगम के संभागीय प्रभारी राजेश मीणा पर लाखों रुपये के गमन का आरोप है। इंदौर की तत्कालीन आरटीओ अर्चना मिश्रा, लिपिक तेजकरण अहिरवार एवं हीरो मोटरकार्प के पदाधिकारियों सुनील शाह, निरंजन गुप्ता, विकाश शर्मा एवं अन्य पर आरोप हैं कि एक फर्जी विक्रय बिल के संबंध में जांच नहीं की गई है।