महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में परिवहन विभाग फिसड्डी

परिवहन विभाग
  • निर्भया फंड की एक पाई का नहीं किया इस्तेमाल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार विभागों को निर्भया फंड मुहैया कराती है, लेकिन मप्र में परिवहन विभाग महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में फिसड्डी साबित हुआ है। इसका प्रमाण इससे मिलता है कि परिवहन विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए निर्भया फंड के अंतर्गत मिले डेढ़ करोड़ रुपए में से एक भी पैसा खर्च नहीं किया है। यह आवंटन महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के उपायों के लिए था।
गौरतलब है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में प्रदेश का रिकार्ड अच्छा नहीं है, इसके बाद इस तरह की उदासी है। दूसरी ओर विभाग में 50 प्रतिशत से ज्यादा पद रिक्त हैं। इनमें उप परिवहन आयुक्त, क्षेत्रीय अतिरिक्त परिवहन अधिकारी, परिवहन निरीक्षक और अन्य पद हैं। कुल स्वीकृत 1698 पदों में से 899 रिक्त हैं। यह जानकारी विधानसभा में प्रस्तुत परिवहन विभाग के प्रशासनिक प्रतिवेदन में सामने आई है।  निर्भया फंड के अतिरिक्त सरकार ने विभाग के कुछ और क्रियाकलापों को जनता के लिए अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए 167.43 करोड़ रुपये का आवंटन किया था, पर विभाग ने दिसंबर 2024 तक इस आवंटन में से केवल 66.92 करोड़ रुपये का उपयोग ही किया। यानी आवंटित धनराशि में आधे से भी कम खर्च हो पाई। इस राशि में से 142.17 करोड़ रुपये वेतन और 21.72 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए थे।
विभाग में 50 प्रतिशत से अधिक पद खाली
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी से लेकर परिवहन निरीक्षक व अन्य को मिलाकर 50 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं। प्रतिनियुक्ति और अन्य तरीके से काम चलाया जा रहा है, जिसमें गड़बड़ी की आशंका ज्यादा रहती है। सच्चाई यह है कि क्षेत्रीय 4 अतिरिक्त परिवहन अधिकारियों के 38 पदों में से 37 पद खाली हैं। 70 परिवहन निरीक्षकों (गैर तकनीकी) में से 57, 50 वाहन निरीक्षकों (तकनीकी) में से 40 पद, 102 परिवहन उप निरीक्षकों में से 68 और 34 सहायक परिवहन उप-निरीक्षकों में से 33 पद रिक्त हैं। 120 प्रधान आरक्षकों में से 90 और 342 आरक्षकों में से 90 पद रिक्त हैं। ड्राइवर, सहायक ग्रेड-एक, दो और तीन और स्टेनोग्राफरों के पद भी बड़ी संख्या में रिक्त हैं।
कई मदों की राशि नहीं की खर्च
परिवहन विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि कई मदों की राशि भी खर्च नहीं की गई है। ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना के लिए दो करोड़ और ग्रामीण परिवहन नीति तैयार करने के लिए पांच करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, लेकिन विभाग ने इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की। परिवहन विभाग की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए 25 लाख रुपये आवंटित गए थे, लेकिन एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया। नए कार्यालय भवनों के निर्माण के लिए दो करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, लेकिन यह राशि भोपाल और इंदौर विकास प्राधिकरण को स्थानांतरित कर दी गई। पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा और करीबियों के यहां मिली 92 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति और छापे में टीएम एवं टीसी लिखी डायरी मिलने के बाद साफ हो गया है कि परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं।

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