
- 926 की जगह महज 237 करोड़ रुपए ही मिले
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। केन्द्र और केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही कितना भी किसान हितैषी होने के दावे करे ,लेकिन वास्तविकता इससे अलग ही नजर आती है। यह हम नहीं कह रहे हैं , बल्कि उन आंकाड़ों से इसका खुलासा होता है ,जो प्रदेश का कृषि क्षेत्र में केन्द्र से मिलने वाली मदद के हैं। पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रही प्रदेश सरकार के सामने ऐसे में नई परेशानी खड़ी हो रही है। इतना जरुर है कि केन्द्र में प्रदेश के कोटे से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कृषि मंत्री बने तो, परंपरागत कृषि में पहले से तय राशि अधिक मिली है। यह राशि 90 करोड़ रुपए है, जबकि पूर्व में 30 करोड़ रुपए ही मिलने थे। दरअसल, कृषि से जुड़ी विभिन्न योजनाओं में प्रदेश को केंद्र से इस साल 926 करोड़ की राशि मिलनी थी, लेकिन केंद्र ने मप्र को महज 237 करोड़ रुपए ही दिए हैं। यह राशि तय राशि का 30 फीसदी से भी कम है। जबकि केंद्र में कृषि मंत्री स्वयं शिवराज सिंह चौहान हैं। वे मप्र से ही आते हैं और उन्हें कृषि पुत्र माना जाता है। मुख्यमंत्री रहते शिवराज सिंह चौहान किसानों को परंपरागत कृषि को बढ़ावा देने का दावा किया करते थे और इसके लिए किए जाने वाले कामों का उल्लेख करने में भी पीछे नही रहते थे। उनके द्वारा अपने मुख्यमंत्रितत्व कार्याकाल में किसानों की आय दोगुना करने पंचवर्षीय प्लान भी बनाया गया था, लेकिन ये सारे दावे थोथे ही साबित हुए हैं। यह जरूर है कि केंद्र में कृषि मंत्री बनते ही शिवराज सिंह चौहान ने परंपरागत कृषि के लिए 30 करोड़ के बदले मप्र को 94.35 करोड़ रुपए इस साल आवंटित करवा दिए हैं, जबकि मप्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में परंपरागत कृषि के लिए बजट में 50 करोड़ क प्रावधान किया था। इसमें 20 करोड़ रुपए मप्र सरकार और 30 करोड़ रुपए केंद्र द्वारा दिया जाना था, लेकिन केंद्र ने तीन गुना से ज्यादा पैसा इस योजना में प्रदान किया है।
केंद्र से नहीं मिला 589 करोड़
वित्त विभाग के पोर्टल के अनुसार, मप्र सरकार ने कृषि से जुड़ी विभिन्न योजनाओं के लिए वर्ष 2024-25 के बजट में 1542 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। इसमें 615 करोड़ रुपए राज्य और 926 करोड़ रुपए केंद्र सरकार से मिलने थे, लेकिन केंद्र सरकार ने 21 मार्च 2025 तक की स्थिति में मप्र को सिर्फ 237 करोड़ रुपए ही जारी किए हैं। जबकि केंद्र को कई योजनाओं में 57 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक हिस्सा देना था। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के बजट में राज्य सरकार ने 266 करोड़ का प्रावधान किया था, जिसमें राज्य द्वारा 106 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं, लेकिन केंद्र से मिलने वाला हिस्सा 159 करोड़ के बदले केंद्र ने 105 करोड़ रुपए ही जारी किए है, वहीं स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना, लघु सिंचाई गणना, पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नालॉजी, भंडार एवं विपणन, कृषि वानिकी सब मिशन, नेशनल ई-गर्वनेंस प्लान, सब मिशन ऑन सीड एंड प्लानिंग मटेरियल, सब मिशन ऑन फार्म वाटर मैनेजमेंट, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन आदि में 589 करोड़ रुपए की राशि जारी नहीं की गई है, जिससे प्रदेश में किसानों से जुड़ी योजनाओं को बड़ा झटका लगा है।