बिना अध्यक्ष के 60 प्रतिशत जिला उपभोक्ता आयोग

  • हाईकोर्ट को पत्र लिखकर शीघ्र नियुक्ति की मांग


विनोद उपाध्याय
मप्र के 60 प्रतिशत जिला उपभोक्ता आयोग में अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है। पिछले सात वर्षों से रिक्त पदों पर नियुक्ति न होने के कारण लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है और उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। प्रदेश के 51 जिला उपभोक्ता आयोगों में से 31 आयोगों में अध्यक्ष पद खाली हैं। इस कारण एक ही अध्यक्ष को तीन-तीन जिलों में प्रभारी अध्यक्ष के रूप में काम करना पड़ रहा है। इससे न केवल मामलों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। इस मुद्दे को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में रिक्त पदों को शीघ्र भरने की मांग की है। पत्र के अनुसार, राज्य उपभोक्ता आयोग की वेबसाइट पर 31 जनवरी तक 31 जिलों में अध्यक्ष पद रिक्त होने की पुष्टि की गई है। नागरिक उपभोक्ता मंच ने 2018 में इस विषय पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। तब सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया था कि जल्द ही नियुक्तियां की जाएंगी। लेकिन अब तक नियुक्तियां नहीं हो सकीं। इस कारण 2021 में सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की गई, लेकिन तीन साल बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। उपभोक्ता मंच ने सरकार से अपील की है कि शीघ्र अध्यक्षों की नियुक्ति कर लंबित मामलों के निपटारे में तेजी लाई जाए, ताकि उपभोक्ताओं को समय पर न्याय मिल सके। जिन जिलों में अध्यक्ष नहीं हैं उनमें इंदौर , शिवपुरी, धार, सतना, मुरैना, हरदा, बुरहानपुर, सिहोर, बड़वानी, मंडलेश्वर, मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, सिवनी, बालाघाट, शाजापुर, देवास, रायसेन, झाबुआ, नीमच, उमरिया, सीधी, शहडोल, अनूपपुर, राजगढ़, अशोकनगर, दतिया, श्योपुर, टीकमगढ़, पन्ना व बैतूल शामिल हैं।
एक अध्यक्ष पर कई जिलों का प्रभार
गौरतलब है कि उपभोक्ताओं की सुनवाई के लिए उपभोक्ता आयोग का गठन किया गया है, लेकिन आज आयोग ही समस्या से जूझ रहा है। प्रदेश के 31 जिला उपभोक्ता आयोगों में अध्यक्षों के पद खाली हैं। एक अध्यक्ष पर कई जिलों का प्रभार है। इसके चलते उपभोक्ता अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिला उपभोक्ता आयोग जबलपुर (क्रमांक 1) के अध्यक्ष के हवाले ही डिंडोरी व मंडला आयोगों (क्रमांक 2) का भी प्रभार है। जिसका असर प्रकरणों के निराकरण में हो रहा है। अध्यक्ष की तरह सदस्यों की संख्या भी कम है। सरकार उपभोक्ता हितों को लेकर कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाईकोर्ट में अंडरटेकिंग देने के 7 साल बाद भी रिक्त पदों पर नियुक्तियां नहीं की गई हैं। वकीलों का मानना है कि बढ़ती पेंडेंसी की मुख्य वजह अध्यक्ष व सदस्यों के पद रिक्त होना है। जबलपुर में जिला उपभोक्ता आयोग की दो ब्रांच हैं। सूत्रों के अनुसार, दो वर्ष पूर्व जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक 1 में लगभग 900 व क्रमांक 2 में करीब 300 मामले लंबित थे। दोनों शाखाओं में हर दिन औसतन 5 नए मामले आ रहे हैं। बीते दो वर्षों में ही जबलपुर जिला उपभोक्ता आयोग की दोनों शाखाओं में लंबित मामलों की संख्या करीब 8 सौ बढ़ गई है। उपभोक्ता आयोग क्रमांक 1 के अध्यक्ष एनके सक्सेना डिंडोरी व मंडला जिला उपभोक्ता आयोग के भी प्रभारी हैं। वकीलों ने बताया, इसके चलते आयोग क्र. 1 में दोपहर 2 बजे तक ही स्थानीय मामले सुने जा रहे हैं। इसके बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये डिंडोरी व मंडला के मामले सुने जा रहे हैं। ऐसे में जबलपुर के साथ ही इन दोनों उपभोक्ता आयोगों में भी सुनवाई के लिए बहुत कम समय मिल पा रहा है।

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