भोपाल से रखी जाएगी प्रदेशभर के नए निर्माणों पर नजर

  • जल्द शुरू होगी मप्र की पहली जीआईएस लैब

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र की पहली जियोग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम (जीआईएस) आधारित लैब भोपाल में जल्द शुरू होगी। लैब का काम तेजी से चल रहा है और जल्दी इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा। इस लैब के शुरू होते ही मप्र के विभिन्न शहरों में होने वाले नए निर्माणों पर भोपाल से नजर रखी जाएगी। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस लैब से यह पता चल सकेगा कि निर्माण अवैध या वैध हैं। इसके बाद आगे की कार्रवाई करने में आसानी होगी।
राज्य में 413 नगरीय निकाय है। इसमें 16 नगर निगम हैं। किसी भी निकाय के पास पानी व सीवेज की पाइप लाइन, सडक़ों , नाले-नालियों का डाटा एक जगह इकट्ठा नहीं है। निकाय के अलग-अलग विभागों के पास यह जानकारी रहती है। भोपाल जैसे कुछ नगर निगम का हाल ऐसा है कि वहां दशकों पहले बिछाई पाइप लाइन का रिकॉर्ड ही नहीं मिल पाता है। जेएनएनयूआरएम और फिर अमृत योजना के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाते समय इस तरह के कुछ मामले सामने आ चुके हैं। सर्वे में पता चला कि वहां बरसों पहले पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है। इसके अलावा प्रदेश के बड़े शहरों में तेजी से निर्माण हो रहे हैं। इसमें वैध और अवैध दोनों शामिल है। नगर निगमों के पास इनकी अपडेट जानकारी नहीं होती है। इन दिक्कतों को दूर करने और हर तरह के डाटा को एक जगह स्टोर करने के लिए जीआईएस लैब बनाई जा रही है।
 क्लिक करते ही पूरी जानकारी होगी सामने
 प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रॉपर्टी का डाटा एक क्लिक पर मिल सकेगा। यह पूरा डाटा जीआईएस आधारित लैब पर रहेगा। लैब का काम तेजी से चल रहा है और जल्दी इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा। अर्बन डाटा एंट्री सेंटर (जीआईएस लैब) की स्थापना के लिए नगरीय प्रशासन संचालनालय ने पिछले साल ऑफर बुलाए थे। इसमें नेटलिंक सॉफ्टवेयर कंपनी का चयन किया गया। कंपनी 13.14 करोड़ रुपए में यह कार्य कर रही है जबकि अफसरों ने 15 से 20 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया था। कंपनी को एक साल में नगरीय प्रशासन संचालनालय में लैब तैयार करने का समय दिया गया। अब इसका काफी कार्य हो चुका है और संचालनालय में इसके लिए स्थान तैयार किया जा रहा है। लैब बनाने के बाद कंपनी को तीन साल तक इसका संचालन और रखरखाव भी करना होगा।
इस तरह काम करेगी लैब
सैटेलाइट के साथ-साथ रिमोट सेंसिंग एजेंसी से मैप डेटा और लाइव फीड लेंगे। इसके लिए एजेंसी से टाइअप होगा। यहां 15 एक्सपर्ट की टीम होगी। शहर में कहां पाइप लाइन बिछी है और किन हिस्सों को पाइप नेटवर्क से जोडऩे की जरूरत है, इसकी जानकारी लैब में रहेगी, इसका उपयोग कर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट आसानी से बनाई जा सकेगी। भोपाल समेत प्रदेश के 34 शहरों का मास्टर प्लान जियोग्राफिकल इंर्फोमेशन सिस्टम (जीआईएस) से तैयार कराया जा रहा है। ऐसे में निकायों के बेस मैप को इससे जोड़ा जा सकेगा। वॉटर व सीवरेज नेटवर्क को इस पर दर्ज किया जा सकेगा। लैब शुरू होने पर रिमोट सेंसिंग एजेंसी जैसे ही डेटा देगी, उस आधार पर संबंधित नगर निगम को सूचना भेजकर कार्रवाई करवाई जाएगी। लैब द्वारा ली गई फोटो प्रत्येक 15 से 30 दिन में अपडेट होगी। इस दौरान यदि अवैध निर्माण होता दिखा, तो निगम की टीम मौके पर पहुंचेगी। इसके बाद भी यदि लापरवाही की गई तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।

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