जल संसाधन: वरिष्ठों को दरकिनार, जूनियरों को कमान

जल संसाधन
  • ईएनसी और प्रमुख अभियंता  का बड़ा उदाहरण  सामने

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा वाली कहावत जलसंसाधन विभाग पर पूरी तरह से लागू होती है। यही वजह है कि यह विभाग अपने अच्छे कामों की जगह अपनी विवादित कार्यशैली के लिए अधिक चर्चा में रहता है। हद तो यह है कि विभाग में मनमानी पर उच्च न्यायालय का भी हंटर चल चुका है , फिर भी विभाग के कर्ताधर्ता अपनी कार्यशैली बदलने को तैयार नजर नहीं आ रहे है। अभी लोग पूर्व अधीक्षण यंत्री शिरीष मिश्रा को संविदा नियुक्ति देकर प्रभारी ईएनसी बनाने के मामले को भूल भी नही पाए थे की अब जूनियर अधीक्षण यंत्री विनोद देवड़ा को प्रमुख अभियंता का प्रभार सौंप दिया गया। उधर, देवड़ा को ईएनसी का प्रभार देने की वजह से खाली हुए चीफ इंजीनियर का प्रभार बालाघाट में पदस्थ कार्यपालन यंत्री को सौंप दिया गया है। जल संसाधन विभाग में 10 अधीक्षण यंत्री पदस्थ हैं। इनमें से विभाग में चार और 6 अधीक्षण यंत्रियों को एनवीडीए में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ कर रखा है। अधीक्षण यंत्री के पद से करीब एक साल पहले रिटायर्ड हुए शिरीष मिश्रा को सरकार ने संविदा नियुक्ति देते हुए ईएनसी का प्रभार सौंप दिया था, जबकि संविदा नियुक्ति उसी पद के समकक्ष दी जा सकती है। इसके खिलाफ जोश सिंह कुसरे और विनोद सिंह टेकाम ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। सिंगल बेंच ने तो शिरीष मिश्रा की नियुक्ति को सही माना, लेकिन डबल बेंच ने सिंगल बेंच के निर्णय को पलटते हुए मिश्रा की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए पद से हटाने के आदेश सरकार को दिए थे। सरकार ने आदेश का पालन करते हुए इंदौर में चीफ इंजीनियर के पद पर पदस्थ अधीक्षण यंत्री विनोद देवड़ा को तब प्रभारी ईएनसी बना दिया, जबकि देवड़ा से सीनियर चार अधीक्षण यंत्री मौजूद हैं।
फिर सीनियर की अनदेखी
सरकार ने विभाग में पदस्थ सीनियर अधीक्षण यंत्रियों में सेवक राम उइके तथा बरगी में पदस्थ धन्नालाल वर्मा, भोपाल में पदस्थ जोश सिंह कुसरे तथा विनोद सिंह टेकाम को सुपरशीड करते हुए विनोद देवड़ा को ईएनसी का प्रभार दे दिया। जबकि जल संसाधन के 6 अधीक्षण यंत्री एनवीडीए में पहले से पदस्थ हैं। उधर, संचालक सिंचाई अनुसंधान के पद से जोश सिंह कुसरे को हटाते हुए एनवीडीए में पदस्थ कर दिया। वहीं हाई कोर्ट में याचिका लगाने की वजह से विनोद सिंह टेकाम को पहले ही जल संसाधन विभाग से हटाकर काडा का कमिश्नर बना दिया गया था। काडा में कोई काम ही नहीं है।
 दो पद ऊपर सीई का प्रभार
राज्य सरकार ने विनोद देवड़ा का इंदौर से ट्रांसफर करते हुए उन्हें प्रभारी ईएनसी बनाया है और चीफ इंजीनियर का पद खाली होने पर कार्यपालन यंत्री तथा प्रभारी अधीक्षण यंत्री बालाघाट प्रवीण चंद्र महाजन को शासकीय कार्य सुचारू रूप से संपादित किए जाने की दृष्टि से कार्यालय मुख्य अभियंता नर्मदा ताप्ती कछार इंदौर पदस्थ करते हुए चीफ इंजीनियर का प्रभार सौंप दिया है। यानि आठ साल से प्रमोशन नहीं होने की वजह से जूनियर अधिकारियों को विभाग में प्रभार का खेल धड़ल्ले से खेला जा रहा है।  

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