
- पद खाली होने तक हो जाएंगे सेवानिवृत्त
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश पुलिस की कमान किस अफसर को मिलेगी, यह इसी हफ्ते तय हो जाएगा। इसकी वजह है इसके लिए केन्द्र सरकार से तीन नामों का पैनल प्रदेश सरकार के मिल गया है और मौजूदा डीजीपी भी 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसके साथ ही यह भी तय है कि अब पुलिस के पांच वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को प्रदेश के मुखिया बनने का मौका नहीं मिलेगा। इसकी वजह है जब तक डीजीपी का पद रिक्त होगा , जब तक वे सेवानिवृत्त हो चुके होंगे। माना जा रहा है कि कल 24 नवंबर को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के विदेश यात्रा पर जाने के पहले भावी डीजीपी की पुलिस मुख्यालय में ओएसडी के तौर पर पदस्थ करने के आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
दरअसल, नए डीजीपी का कार्यकाल 30 नवंबर, 2026 तक रहेगा। सेवानिवृत्ति आयु होने के बाद भी डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो वर्ष का रहता है। डीजीपी के लिए पैनल बनाने के संबंध में दिल्ली में 21 नवंबर को बैठक हो चुकी है, जिसमें मुख्य सचिव अनुराग जैन और वर्तमान डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना भी शामिल हुए थे। इस बैठक में जिन तीन नामों के पैनल पर मुहर लगाई गई है , उसमें 1988 बैच के अधिकारी और डीजी होमगार्ड अरविंद कुमार, इसी बैच के मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के चेयरमैन कैलाश मकवाना, 1989 बैच के डीजी ईओडब्ल्यू अजय शर्मा का नाम शामिल है। अब इन तीन नामों में से किसी एक पर मुख्यमंत्री को फैसला करना है। अभी डीजीपी के लिए सबसे अधिक चर्चा कैलाश मकवाना के नाम की है। अजय शर्मा डीजीपी बनते हैं तो पांच अधिकारी उनके बाद आगे डीजीपी बनने की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। इसमें कैलाश मकवाना, जीपी सिंह, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर गए आलोक रंजन, योगेश मुद्गल और पवन श्रीवास्तव शामिल हैं। पवन श्रीवास्तव एडीजी और बाकी स्पेशल डीजी हैं। सेवानिवृत्त होने के पहले पवन श्रीवास्तव भी स्पेशल डीजी बन जाएंगे। इसी तरह से कैलाश मकवाना डीजीपी बनते हैं तो इनके सेवानिवृत्त होने के पहले अजय शर्मा सहित यही चार अधिकारी सेवानिवृत्त हो जाएंगे। छह माह से कम सेवा बची होने के कारण स्पेशल डीजी शैलेश सिंह, सुधीर शाही और विजय कटारिया इस बार ही डीजीपी की दौड़ से बाहर हो गए हैं। नए डीजीपी के नवंबर, 2026 में सेवानिवृत्त होने के बाद सबसे वरिष्ठ अधिकारी वरुण कपूर और उसके बाद उपेन्द्र जैन बचेंगे।