
- दलबदल कर विधायक बने नेता जी घर वापसी की तैयारी में
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर कांग्रेस में शामिल होकर विधायक बनने वाले एक नेता जी का इन दिनों पार्टी में मन नहीं लग रहा है। यही वजह है कि वे बीते लंबे समय से घर वापसी के प्रयासों में लगे हुए हैं। कहा तो यह जा रहा है कि इंतजार है तो बस उपचुनाव के परिणामों का। दरअसल, उन्हें लग रहा था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन जाएगी तो उनकी बल्ले-बल्ले हो जाएगी, विधायक तो बन गए लेकिन सरकार भाजपा की बन गई। इससे वे निराश है। यह विधायक मालवा-निमाड़ अंचल से आते हैं। उनके दलबदल करने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगना तय है। यह विधायक जी जिस क्षेत्र से आते हैं, वह क्षेत्र प्र्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार के प्रभाव वाला है। अहम बात यह है कि यह माननीय बगैर शर्त घर वापसी करने जा रहे हैं। इसकी वजह है आगे के चार साल तक सत्ता का सुख भोगने की लालसा। दरअसल विधायक जी भी जानते हैं कि अब घर वापसी के बाद पार्टी मंत्री तो बनाने से रही ऐसे में ऐसी शर्त रखना ही क्या , जिससे घर वापसी असंभव हो जाए। यह विधायक मध्यप्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री के धुर विरोधी माने जाते हैं। तीसरी बार विधायक चुने गए उक्त नेता की भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं से चर्चा हो चुकी है। इनमें एक नेता दिल्ली में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं तो दूसरे मध्यप्रदेश की राजनीति में। प्रदेश की भाजपा राजनीति में बदले समीकरण के चलते मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी उक्त विधायक को भाजपा में लाने में रुचि ले रहे हैं।
दरअसल उक्त विधायक कांग्रेस की सरकार न बनने और कांग्रेस संगठन में भी कोई बड़ा पद न मिलने से नाराज हैं। उनके निशाने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार दोनों हैं। विधायक अपने परिचितों और कांग्रेस नेताओं के सामने इन दोनों नेताओं की कार्यप्रणाली को लेकर अपनी नाराजगी का खुलकर इजहार कर चुके हैं। हालांकि इन विधायक ने चुनाव के दौरान सरकार की घेराबंदी में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी थी। इसके बावजूद विधानसभा की अलग-अलग समितियों के गठन में कांग्रेस ने उनकी उपेक्षा की। विधायक की नाराजगी को देखते हुए इसी दौर में भाजपा के कुछ नेताओं की उनसे बातचीत में इस बात के संकेत मिले कि यदि सम्मानजनक भूमिका मिलती है तो वह कांग्रेस छोड़ देंगे। तभी से चर्चा का दौर शुरू हुआ। केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका में रहने के बाद अब प्रदेश में संवैधानिक भूमिका निभा रहे भाजपा के बड़े नेता से उक्त विधायक के बहुत मधुर संबंध हैं और ये ही कांग्रेस विधायक को भाजपा में लाने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। दिल्ली में एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री की भी इस मामले में बड़ी भूमिका है।