अब मप्र को माइनिंग प्रदेश बनाने की तैयारी में मोहन

मप्र सरकार

प्रदेश में दो लाख नए रोजगारों का भी होगा सृजन

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र माइनिंग कॉन्क्लेव-2024 के जरिए मप्र को खनन और खनिज आधारित उद्योगों में देश के तीसरे नंबर के राज्य झारखंड के करीब पहुंचने का लक्ष्य तय किया जा रहा है। माइनिंग के माध्यम से झारखंड सरकार के खजाने में हर साल करीब 13 हजार करोड़ रुपए का राजस्व आता है। इसकी तुलना में अभी मप्र सरकार को हर साल महज साढ़े 10 हजार करोड़ रुपए ही मिलते हैं। अब माइनिंग कॉन्क्लेव के जरिए दो हजार करोड़ रुपए सालाना आय बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है। यदि मप्र खनिज विभाग इसमें कामयाब रहा तो यहां दो लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगारों का सृजन हो जाएगा। इस इंडस्ट्री के जरिए सबसे ज्यादा 40 हजार करोड़ रुपए सालाना राजस्व और रोजगार देने वाला राज्य ओडिशा है। जबकि छत्तीसगढ़ इस उद्योग से हर साल 15 हजार करोड़ रुपए राजस्व जुटाता है।
भोपाल में दो दिवसीय माइनिंग कॉन्क्लेव 17-18 अक्टूबर को कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में होने जा रही है। इसमें मिनरल प्रोसेसिंग और एंवायरन्मेंटल सस्टनेबिलिटी पर जोर दिया जाएगा। इस दौरान देश में खनिजों की खोज और खनन बढ़ाने पर भी चर्चा होगी। ये आयोजन मप्र, खान मंत्रालय भारत सरकार की मदद से हो रहा है। इसके माध्यम से सरकार मप्र को खनन और खनिज आधारित उद्योगों के लिए प्रमुख केंद्र के तौर पर स्थापित करने की कोशिश में है। इसमें आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग पर भी चर्चा की जाएगी। साथ ही जानकार खनन स्टार्टअप द्वारा आने वाली नई तकनीकों पर प्रेजेंटेशन भी देंगे।
मप्र में 10 मेजर मिनरल्स इन 5 पर जोर
मप्र देश का इकलौता ऐसा राज्य है, जहां हीरा उत्पादन होता है। पन्ना के मझगंवा हीरा खदान में हर साल एक लाख कैरेट हीरा उत्पादन का लक्ष्य है। छतरपुर के बंदर हीरा ब्लॉक में करीब 32 मिलियन कैरेट का भंडार है, जिसे नीलामी के लिए तैयार किया जा रहा है। मैगजीन अयस्क और तांबा अयस्क के उत्पादन में देश में मप्र काफी आगे है। कई औद्योगिक क्षेत्रों में इसकी जरूरत होती है। बालाघाट स्थित मलाजखंड की तांबा अयस्क की खदानों में देश का करीब 70 फीसदी तांबे के भंडार है। चूना पत्थर व रॉक फॉस्फेट के उत्पादन में मप्र देश में दूसरे नंबर पर है। इसका इस्तेमाल उर्वरक उद्योग में होता है। भारत के प्रमुख चूना पत्थर उत्पादक राज्यों में से मप्र एक है। सतना, रीवा, कटनी, पन्ना, दमोह, नीमच और धार जैसे प्रमुख क्षेत्र इसमें शामिल हैं।
कोयला
मप्र कोयले के उत्पादन में चौथे स्थान पर है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा में अपनी भूमिका निभाता है। प्रदेश के शहडोल जिले में कोल बेड मीथेन (सीबीएम) के भंडार पाए गए हैं, जो राज्य की वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देंगे।
निवेश के लिए भी प्रदेश उपयुक्त
मध्यप्रदेश में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज संसाधनों में कोयला, लाइमस्टोन, डायमंड और पायरोफ्लाइट है। मध्यप्रदेश देश का चौथा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है। यहां सिंगरौली, सीधी, छिंदवाड़ा, बैतूल, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया और नरसिंहपुर भरपूर कोयला भंडार है। कोयले का उपयोग थर्मल पावर प्लांट्स और कोल गैसीफिकेशन प्लांट्स में होता है। इनसे संबंधित उद्योगों के लिए निवेश की भरपूर संभावनाएं हैं। इसी प्रकार चूना पत्थर का भी प्रदेश में भरपूर भंडार है। यहां रीवा, सतना, सीधी, मैहर, दमोह, कटनी पन्ना, धार और नीमच में भरपूर भंडार है। देश के कुल लाइमस्टोन भंडार का 9 प्रतिशत मध्यप्रदेश में है। इस दृष्टि से सीमेंट उद्योग के लिए मध्यप्रदेश एक आदर्श निवेश स्थान है। यहां लॉजिस्टिक क्षेत्र में सुधार हुआ है। इस दृष्टि से भी मध्यप्रदेश से देश के सभी राज्यों का संपर्क बेहतर हो गया है। मध्यप्रदेश पायरोफ्लाइट के उत्पादन में भी अग्रणी राज्य है। यहां देश के उत्पादन का 41त्न उत्पादन हो रहा है। देश में सर्वाधिक भंडार 14 मिलियन टन मध्यप्रदेश में है, जो छतरपुर, शिवपुरी और टीकमगढ़ में है। इसके भंडारण को देखते हुए देश में सेरेमिक, पॉटरी, पोर्सलिन और टाइल्स उद्योगों के लिए सबसे लाभकारी निवेश स्थान है।
600 प्रतिनिधि होंगे शामिल
इस कॉन्क्लेव का मकसद अलग-अलग उद्योग, शिक्षाविदों और प्रमुख खनिज कंपनियों के प्रतिनिधियों को एकजुट करना है। इससे यहां निवेश के अवसरों की तलाश की जाएगी, ताकि मप्र में खनिज उद्योग में राजस्व के साथ रोजगार बढ़ाए जा सकें। इसमें देश-विदेश की नामी कंपनियों के 600 उद्योगपति व उनके प्रतिनिधियों ने शामिल होने की सहमति दी है। इनमें एनसीएल, एचसीएल, आईआरईएल, एमओआईएल, एनएमडीसी, ओएमसी आदि शामिल हैं।
कहां कौन से खनिज भंडार
पूरा मध्यप्रदेश खनिज संपदा से भरा पड़ा है। ग्वालियर और शिवपुरी में आयरन और क्वाट्र्ज और फ्लैगस्टोन पाया जाता है। झाबुआ और अलीराजपुर में रॉक फास्फेट डोलोमाइट, लाइमस्टोन, मैंगनीज और ग्रेफाइट मिलता है। नीमच में लाइमस्टोन, बैतूल में कोल, ग्रेफाइट ग्रेनाइट, लेड और जिंक मिलता है। छिंदवाड़ा में कोल, मैंगनीज और डोलोमाइट मिलता है बालाघाट में कॉपर, मैंगनीज, डोलोमाइट, लाइमस्टोन, बॉक्साइट, मंडला और डिंडोरी में डायमंड, डोलोमाइट और बॉक्साइट, सिंगरौली में कोल, गोल्ड, आयरन और शहडोल, अनूपपुर, उमरिया में कोल, कॉल बेड मीथेन, बॉक्साइट, सागर, छतरपुर और पन्ना में डायमंड, रॉक फॉस्फेट डायस्पोर, आयरन और ग्रेनाइट मिलता है। जबलपुर में डोलोमाइट, आयरन अयस्क, लाइमस्टोन, मैंगनीज, गोल्ड और मार्बल मिलता है।

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