
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की डॉ. मोहन सरकार जिस तरह से एक के बाद एक आला अफसरों के खिलाफ लंबित अभियोजन की स्वीकृति के मामलों में अनुमतियां प्रदान कर रही है, ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही आइएएस अधिकारी पवन जैन के विरुद्ध भी अनुमति जारी की जा सकती है। दरअसल हाल ही में पूर्व की शिवराज सरकार के करीबी रहे कई अफसरों के खिलाफ सरकार द्वारा अभियोजन की स्वीकृत दी जा चुकी है। दरअसल, आइएएस अधिकारी पवन जैन के खिलाफ बीते डेढ़ वर्ष से अभियोजन की स्वीकृति का मामला मंत्रालय में अटका हुआ है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने जैन के खिलाफ वर्ष 2015 में प्रकरण कायम किया था।
पिछले वर्ष फरवरी में ईओडब्ल्यू की ओर से अभियोजन स्वीकृति के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेजा गया था। इसके बाद इस वर्ष भी स्मरण पत्र भी भेजा जा चुका है। उन पर इंदौर में जमीन से जुड़े एक मामले निर्धारित शुल्क नहीं लेकर शासन को 98 लाख रुपये हानि पहुंचाने का आरोप है। बताया जा रहा कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी होने के कारण केंद्र से इनके विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृत मांगी गई है जो अभी तक नहीं मिली है। इनके अतिरिक्त 30 से अधिक अन्य आरोपितों के विरुद्ध भी अलग अलग मामलों में अभियोजन की स्वीकृति अभी लंबित है। हालांकि, दो वर्ष पहले की तुलना में स्थिति सुधरी है। पहले 100 से अधिक आरोपितों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति लंबित थी। कांग्रेस ने कई बार विधानसभा में भी मामला उठाया। इसके बाद अलग से पोर्टल बनाकर निगरानी शुरू की गई तो इसमें सुधार आया है। अभी जो प्रकरण लंबित हैं उनमें अधिकतर बैंक के अधिकारी- कर्मचारी हैं। एक वर्ष बाद भी जिन मामलों में अभियोजन की स्वीकृति नहीं आई है उनमें विभाग प्रमुखों को सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से स्मरण पत्र भेजा गया है।
दो साल पहले चर्चा में आए थे जैन
वर्ष 2022 इंदौर में पदस्थापना के दौरान एडीएम पवन जैन जनसुनवाई में दिव्यांग सोनू पाठक से दुर्व्यवहार के चलते चर्चा में आए थे। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर उन्हें हटा दिया गया था। वर्ष 2006 से 2012 के बीच इंदौर की मालवा काउंटी कालोनी में निर्धारित शुल्क नहीं लेने से शासन को 98 लाख रुपये हानि के आरोप में वर्ष 2015 में उनके विरुद्ध केस दर्ज हुआ।
हाल ही में इन मामलों में मिली स्वीकृति
एक महीने के भीतर जल संसाधन विभाग के दो सेवानिवृत्त प्रमुख अभियंता के खिलाफ भ्रष्टाचार के अलग-अलग मामलों में शासन ने ईओडब्ल्यू को अभियोजन की स्वीकृति दी है। पहली अभियोजन की स्वीकृति जल संसाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता एमजी चौबे के खिलाफ दी थी। चौबे लंबे समय तक विभाग के प्रमुख अभियंता रह चुके हैं। उनके खिलाफ 11 साल बाद स्वीकृति दी गई है। दूसरी स्वीकृति कमलनाथ सरकार के जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता रहे राजीव कुमार सुकलीकर के खिलाफ दी है। खास बात यह है कि ईओडब्ल्यू ने इस मामले में मौजूदा प्रमुख अभियंता शिरीष कुमार मिश्रा को भी आरोपी बनाया था, लेकिन अभियोजन की स्वीकृति लेने से पहले ही प्रकरण से शिरीष मिश्रा का नाम हटा दिया गया था।