भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
वैसे तो शिक्षकों से लेकर प्रोफसर्स तक काम पढ़ाने लिखाने का ही है, लेकिन मप्र ऐसा राज्य है, जहां पर इसके साथ ही कई अन्य तरह के काम भी कराए जाते हैं। महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर अब किताबें कापीं छोडक़र छात्र और छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण कराने से लेकर या कंप्यूटर पर बैठकर छात्र-छात्राओं का हेल्थ रिकॉर्ड तैयार करने का काम करेंगे। दरअसल, इसकी वजह है, अब प्रोफेसरों को उच्च शिक्षा विभाग ने एक नया काम थमा दिया है।
इतना ही नहीं प्रोफसर्स को सभी छात्रों के आभा यानी आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट कार्ड भी बनवाने का जिम्मा सौंपा गया है। इसके साथ ही उन्हें कहा गया है कि सभी छात्रों के कार्ड तय सीमा में बनने हैं, इसलिए बकायदा टाइम टेबल बनाकर यह काम साल भर करना है। यह बात अलग है कि इस काम का जिम्मा तो वैसे स्वास्थ्य विभाग का है, लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे ने इसमें उच्च शिक्षा विभाग को भी शामिल कर लिया है। वजह है प्रदेश में 15 लाख से अधिक छात्र -छात्राओं का होना।
इस अभियान को सफल बनाने के लिए विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को आधार बना लिया है, जिसके मूल में है, शिक्षा विद्यार्थियों के जीवन के सभी पक्षों और क्षमताओं का संतुलित विकास करे। इसका फायदा यह होगा कि हर कॉलेज में हजारों की संख्या में स्टूडेंट मिल जाएंगे। इनमें से आधों ने भी आभा कार्ड बनवा लिये तो स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा कॉलेजों के जरिए ही 7- 8 लाख तक पहुंच जाएगा। केंद्र की योजना से जुड़ने वाले भी भरपूर संख्या में हो जाएंगे। अपने प्रोजेक्ट को सफल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नाम दिया है उमंग उच्च शिक्षा हेल्थ एवं वेलनेस कार्यक्रम।
हर संस्थान में बनाए जाएंगे नोडल अफसर
इस उमंग कार्यक्रम को पूरे उत्साह से अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी कॉलेज और यूनिवर्सिटी के स्पोर्ट्स ऑफिसर को नोडल अधिकारी या हेल्थ एवं वेलनेस एम्बेसडर बनाकर सौंपी जाएगी। कार्यक्रम के लगातार संचालन के लिए प्राचार्य के संरक्षण में एक समिति बनाई जाएगी। इस समिति में एनएसएस व एनसीसी अधिकारी, सीएमएचओ के प्रतिनिधि, एनसीसी एनएसएस से जुड़े दो स्टूडेंट, एक रेडक्रास समिति के प्रतिनिधि एवं एक महिला प्रोफेसर रहेंगे। यह समिति 10 से 14 सदस्यों की होगी। इसके कार्यक्रमों की हर मंगलवार समीक्षा भी होगी। यह समिति साल भर टाइम टेबल बनाकर खेल गतिविधियां, हेल्थ चैकअप, जागरुकता कार्यक्रम चलाएगी। साथ ही आभा कार्ड बनाने के लिए कैंप भी लगाएगी।
क्या है आभा कार्ड
आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट आभा केंद्र सरकार की एक योजना है। जिसके तहत लोगों के डिजिटल हेल्थ कार्ड बनाए जाते हैं। हालांकि यह अनिवार्य न होकर स्वैच्छिक है, जिसे बनवाना हो वो बनवाए। इसमें कार्ड होल्डर का पूरा पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड रहता है। इससे इलाज में तो कोई फायदा नहीं मिलता, लेकिन सरकार के पास व्यक्ति का हेल्थ रिकॉर्ड रहता है और आपकी सहमति से ही डॉक्टर्स या हास्पिटल के साथ साझा किया जाएगा।
14/10/2024
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