- तैयारियां शुरू, 5 दिसंबर तक विभागों से मांगा प्रस्ताव

विनोद उपाध्याय
मप्र की डॉ. मोहन यादव की सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट की तैयारियां शुरू कर दी है। इसे लेकर तिथि भी तय हो गई है। 5 दिसंबर तक विभागों को ऑनलाइन प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। मप्र का बजट पहली बार शून्य आधार पर बनेगा। जिसमें एक-एक योजना का मूल्यांकन होगा। विभागों को योजनाओं का लाभ, खर्च और फायदा बताना होगा। 23 दिसंबर से 15 जनवरी तक प्रमुख सचिव स्तरीय चर्चा होगी। 27 से 30 जनवरी तक मंत्री और वित्त मंत्री चर्चा करेंगे।
इस बजट प्रक्रिया के अंतर्गत सभी विभागों को अपने बजट प्रस्ताव को लेकर यह भी बताना होगा उनका बजट अनुमान किस आधार पर किया गया है। विभागों को पिछले साल के खर्च को ध्यान में रखकर प्रस्ताव तैयार करना होगा। इससे वर्तमान योजनाओं, कार्यक्रमों या गतिविधियों के वित्त पोषण और प्रदर्शन स्तरों की व्यवस्थित समीक्षा और औचित्य पर ध्यान केंद्रित करके संसाधनों को पुन: वंटित किया जा सकेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि ऐसी योजनाओं जो वर्तमान में अपनी उपयोगिता खो चुकी है और जिन्हें समाप्त किया जा सकता हो उन्हें चिन्हित कर उनका आंकलन किया जा सकेगा।
बजट कार्यक्रम जारी
वित्तीय वर्ष 2024-25 की बजट गतिविधियों एवं वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान की तैयारी का बजट कार्यक्रम जारी कर दिया गया है। प्रशासनिक विभागों द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान के प्रस्ताव को आईएफएमआईएस में भरा जाकर वित्त विभाग 31 अक्टूबर तक प्राप्त किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 में नई योजना के प्रस्ताव वित्त विभाग 5 दिसंबर तक स्वीकार करेगा। प्राप्तियाँ एवं व्यय के बजट के प्रस्तावों पर विभागीय अधिकारियों (विभागाध्यक्ष एवं उप सचिव) के साथ 1 नवंबर से 15 दिसंबर तक चर्चा की जाएगी। विभागों से एफआरबीएम के तहत प्रस्तुत होने वाले विवरण की जानकारी 1 जनवरी, 2025 तक प्राप्त की जाएगी। प्राप्तियों व व्यय के बजट के प्रस्तावों पर विभागीय अधिकारियों (प्रमुख सचिव/सचिव) के साथ 23 दिसंबर से 15 जनवरी तक चर्चा होगी। वित्त विभाग के भारसाधक डिप्टी सीएम द्वारा अन्य विभागों के मंत्रियों के साथ बजट प्रस्तावों पर 27 जनवरी से 30 जनवरी तक चर्चा होगी। वित्त विभाग के डिप्टी सीएम के बजट भाषण के लिए विभागों से 15 जनवरी तक जानकारी प्राप्त की जाएगी।
पारंपरिक बजट और शून्य आधारित बजट में अंतर
पारंपरिक बजट में पिछले साल के बजट को आधार बनाकर अगले साल का बजट तैयार किया जाता है। वहीं, शून्य-आधारित बजट में हर साल बजट की शुरुआत फिर से शुरू से की जाती है। पारंपरिक बजट में पिछले साल के बजट में बदलाव करके अगले साल का बजट तैयार किया जाता है। वहीं, शून्य-आधारित बजट में हर लाइन आइटम की जरूरत और लागत का विश्लेषण करने के बाद बजट तैयार किया जाता है। पारंपरिक बजट में इतिहास के आंकड़ों और भविष्य के अनुमानों के आधार पर आय और खर्चों का अनुमान लगाकर संसाधनों का आवंटन किया जाता है। वहीं, शून्य-आधारित बजट का मकसद असली खर्चों को पेश करना होता है। शून्य आधारित बजट में एक ऐसा बजट होता है जिसमे अनुमान शून्य से प्रारंभ किये जाते हैं। शून्य आधारित बजट में गत वर्षों के व्यय संबंधी आंकड़ों को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। इस प्रणाली में कार्य इस आधार पर शुरू किया जाता है कि अगली अवधि के लिए बजट शून्य है। इस प्रक्रिया में यह बताया जाना जरुरीं है कि चले आ रही योजनाओं और नवीन प्रोजेक्ट में खर्चा क्यों और कितना किया जाना चाहिए। इसका सीधा मतलब यह है कि कार्य अथवा परियोजना का जब तक औचित्य नहीं दिया जाता है तब तक नया पैसा जारी नहीं किया जाता है। शून्य-आधारित बजट बनाने में ज्यादा समय लगता है। इसमें पुरानी योजनाओं की समीक्षा करने और नई योजनाओं को शुरू करने में काफ़ी समय लग जाता है।
जीरो बेस बजटिंग के लिए प्रशिक्षण
जीरो बेस बजटिंग के लिए वित्त विभाग के अधिकारियों की ओर से विभिन्न विभागों के अधिकारियों को इस संबंध में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों की ओर से जीरो बेस बजटिंग के संबंध में जिज्ञासाओं का प्रमुखता से समाधान किया गया। वित्त अधिकारियों ने कहा कि जीरो बेस बजटिंग की प्रक्रिया में निश्चित ही समय ज्यादा लगेगा, इसलिए विभाग समय रहते एक्सरसाइज पूरी कर लें, ताकि बाद में किसी तरह की परेशानी नहीं हो। वित्त विभाग ने बजट निर्माण के संबंध में सभी बजट नियंत्रण अधिकारियों को निर्देश जारी कर विभागों को वर्तमान में चल सभी योजनाओं और नई योजनाओं के मूल्यांकन एवं विश्लेषण सूक्ष्मता से करने के लिए कहा है। साथ ही बजट निर्माण से संबंधित विभिन्न गतिविधियों की टाइम लाइन तय कर दी है। इसके अनुसार ही सभी विभागों को बजट निर्माण संबंधी एक्सरसाइज करना होगी। विभिन्न विभाग नई योजनाओं के संबंध में वित्त विभाग को 5 दिसंबर तक प्रस्ताव भेज सकते हैं। इसके बाद वित्त विभाग नई योजनाओं के प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेगा। अमूमन वित्त विभाग हर साल बजट की तैयारियां नवंबर से शुरू करता है, पर इस बार जीरो बेस बजटिंग के कारण बजट की तैयारियां करीब एक महीने पहले शुरू कर दी गई हैं, ताकि विभागों के सामने आने वाली परेशानियों का समय रहते समाधान किया जा सके।