
- कई-कई दिन तक लाइन में लगकर करना पड़ रहा है इंतजार
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश सरकार के कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना के गृह जिला मुरैना में किसान खाद के लिए परेशान हो रहे हैं। जिले में पिछले एक हफ्ते से खाद की जबरदस्त मांग बनी हुई है। किसान सुबह से ही खाद बिक्री केंद्रों के बाहर लाइनों में लग रहे हैं। उसके बावजूद किसानों की मांग के अनुरूप खाद नहीं मिल पा रहा है। जिले में अब खाद का संकट बेलगाम होता जा रहा है। किसानों का गुस्सा देख प्रशासन के हाथ-पांव भी फूलने लगे हैं। बुधवार को गोदाम में डीएपी खाद होने के बाद भी वितरण नहीं होने से किसान ऐसे भडक़े कि कतार तोडक़र सैकड़ों किसान गोदाम में घुसने लगे और खाद के बोरों को उठाने लगे। इस स्थिति के चलते कर्मचारियों को जैसे तैसे ताला लगाकर भागना पड़ा। दरअसल, सरसों व गेहूं की बोवनी के लिए जिले के किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल रहा है। किसान सुबह से ही खाद बिक्री केंद्रों के बाहर लाइनों में लग रहे हैं। उसके बावजूद किसानों की मांग के अनुरूप खाद नहीं मिल पा रहा है। इसमें कई किसान तो ऐसे हैं, जो पिछले चार दिन से खाद के लिए भटक रहे हैं। हालांकि टोकन मिलने के बाद भी इन लोगों की मुसीबतें कम नहीं होती, बल्कि फिर इन्हें खाद के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती हैं। ऐसे में किसानों की रवि की फसल का सीजन है। उन्हें खाद की सख्त जरूरत है। क्योंकि पहले से ही किसान खरीफ की फसल के लिए खाद अति बारिश के चलते नहीं खरीद पाए है। यही वजह है कि वह खाद के लिए सुबह से ही जद्दोजहद करने में लग जाते हैं। जिससे वह रबी की फसल को हाथ में ले सके। बीते रोज भी कृषि मंडी स्थित गोदाम पर टोकन व खाद के लिए किसान लाइन में लगे थे। टोकन बंटने के बाद दोपहर 12 बजे के करीब किसानों को खाद बंटना शुरू हुआ। किसानों को डीएपी की जगह एनपीके, यूरिया, पीडीएम पोटाश आदि खाद दिए जा रहे थे, जिन्हें लेने के लिए किसान राजी नहीं थे। इसी दौरान किसी ने अफवाह उड़ा दी कि विपणन संघ के गोदाम में डीएपी के हजारों बोरे हैं, लेकिन दिए नहीं जा रहे। यह सुनकर किसान भडक़ गए और गोदाम में घुसने लगे। गोदाम के एक हिस्से में डीएपी के बोरे रखे हुए मिल गए। वे गोदाम से डीएपी बोरों को खींचकर बाहर लाने लगे। कुछ किसान डीएपी के बोरों को जबरन ले गए। बता दें कि अलसुबह से ही खाद वितरित केंद्रो पर किसानों की लंबी कतारें लग जाती हैंं। खाद के लिए किसान रात 2 बजे से ही लाइन में लग जाते हैं। उसके बाद 200 से 300 किसानों को ही सिर्फ टोकन मिलते हैं और फिर टोकन बांटना बंद कर दिया जाता है। यह सिर्फ जिला मुख्यालय पर ही नहीं, बल्कि तहसील मुख्ययल पर भी हो रहा है, जिससे कई किसान तो बिना टोकन लिए ही लौट जाते हैं और दूसरे दिन टोकन के लिए लाइन में लगते है।
कालाबाजारी पर रोक नहीं
ग्वालियर चंबल अंचल में डीएपी खाद को लेकर सबसे ज्यादा संकट मुरैना में ही है, उधर बीते दस दिनों में यहां तीन स्थानों पर खाद के अवैध भंडारण और कालाबाजारी के मामले सामने आ चुके हैं। इस संबंध में मंत्री ऐंदल सिंह कंषाना का कहना है कि वे कलेक्टर को निर्देशित कर रहे हैं कि जमाखोरों पर मुकदमा हो जिससे किसानों को पर्याप्त खाद मिल सके।
यह है सकंट की वजह
इस साल मुरैना जिले में डीएपी खाद का संकट तो होना ही है, इसकी वजह है जिले को मांग अनुसार डीएपी नहीं मिल रहा है। कृषि विभाग के आंकड़े बता रहे हैं, कि 24000 मीट्रिक टन डीएपी खाद की जरूरत है। यही मांग शासन को भेजी गई , लेकिन 24000 की मांग के विपरीत अभी तक केवल 4370 मीट्रिक टन डीएपी खाद ही मिला है।
बाजार में मंहगे दाम पर मिल रहा खाद
एक किसान को आधार कार्ड दिखाने पर पांच बोरा यूरिया मिल रहा है। ऐसे में किसान खाद के लिए घर की महिला, बुजुर्गों को भी लाइन में खड़ा कर रहे हैं, जिससे खेती के लिए भरपूर खाद मिल सके। मुरैना जिला मुख्यालय जैसे हालात जौरा और कैलारस में भी दिख रहे हैं। जौरा व कैलारस में भी खाद के लिए सुबह पांच बजे से ही किसानों की कतारें लग जाती हैं। कई किसान दो से तीन-तीन दिन की जद्दोजहद के पास खाद ले पा रहे हैं। ग्रामीणों कहना है कि वह तीन दिन से रोज आ रहे हैं और खाली हाथ लौट जा रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल रहा है। बाजार में निजी दुकानों पर खाद महंगा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकारी रेट 270 है, जबकि बाजार में यही 350 से 400 में दिया जा रहा है।
किसानों का आरोप
खाद को लेकर के दोनारी गांव के किसानों का कहना है कि कर्मचारियों की लापरवाही है। वह खाद को ब्लैक में स्टॉक कर रहे हैं। सरकार को यह अधिकारी और कर्मचारी यूं ही बदनाम कर रहे हैं। सरकार के द्वारा तो खूब खाद भेजा जा रहा है, लेकिन यह लोग अपने लोगों को चुपचाप से टोकन दे देते हैं। इनके लिए कोई लाइन नहीं है। लाइन में लगकर तो हम चार-चार दिन से परेशान हो गए, लेकिन अभी तक टोकन भी नहीं मिला है। उधर इस पूरे मामले को लेकर के एसडीएम भूपेंद्र सिंह का कहना है कि खाद की कोई कमी नहीं है। पर्याप्त मात्रा में खाद है, लेकिन भीड़ अधिक हो जाने के चलते कुछ देर के लिए टोकन वितरित करना बंद कराया गया था।
डीएपी की जगह एनपीए खाद की सलाह
डीएपी खाद के लगातार बढ़ रहे संकट और किसानों के आक्रोश को देखकर कृषि विभाग ने किसानों को नसीहत दी है कि वह डीएपी की जगह एनपीके खाद का उपयोग करें। कृषि विभाग के उप संचालक पीसी पटेल ने कहा कि इस सप्ताह डीएपी की दो रैक आ रही हैं, उसके बाद किसानों को पर्याप्त खाद मिलेगा।