अध्यक्ष विहीन कर्मचारियों की समिति का अस्तित्व खतरे में

अध्यक्ष
  • लाखों कर्मचारियों की बात नहीं पहुंच पा रही सरकार तक

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में विभिन्न सरकारी विभागों, निगम-मंडलों में कार्यरत लाखों कर्मचारियों की समस्याओं, मांगों को सरकार तक पहुंचाने वाली कर्मचारी कल्याण समिति के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कर्मचारी कल्याण समिति पिछले आठ माह से अध्यक्ष विहीन है। समिति में अध्यक्ष नहीं होने के कारण कर्मचारियों की समस्याएं और मांगें सरकार तक नहीं पहुंच पा रही है। कर्मचारियों को आशंका है कि अध्यक्षविहीन कर्मचारी कल्याण समिति का अस्तित्व ही खत्म न हो जाए।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने शासकीय सेवकों की मांगों का समाधान करने कर्मचारी कल्याण समिति का गठन किया है। उसमें पिछले आठ माह से किसी भी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है। जबकि इसी प्रतिष्ठान के माध्यम से समस्त विभागों के करीब चालीस कैडरों की विभिन्न मांगें पूरी हुई हैं।
अब फरवरी से यह पद खाली पड़ा है। ऐसे हालातों में विभागों और निगम-मंडलों के लाखों कर्मचारी सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए छटपटा रहे हैं।  मप्र कर्मचारी कल्याण समिति के पूर्व चेयरमैन रमेशचन्द्र शर्मा का कहना है कि यह सही है कि कर्मचारी कल्याण समिति सरकारी सेवकों के लिए बड़ी ताकत है। इस पद पर तत्काल नियुक्ति होना चाहिए। उन्होंने अपने कार्यकाल में कोशिश की कि अधिक से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिले।
समिति के माध्यम से सरकार तक पहुंचती है मांगे
मौजूदा वर्ष में लोकसभा चुनाव के पूर्व सभी निगम मंडलों में अध्यक्षों का कार्यकाल भंग किया गया था। तभी कर्मचारी कल्याण समिति के चेयरमैन और दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रमेशचन्द्र शर्मा ने भी इस्तीफा दे दिया था। उसी समय से यह पोस्ट खाली पड़ी है। हालात यह हैं कि राज्य में मान्यता और गैर मान्यता प्राप्त 70 से अधिक कर्मचारी संघ हैं। अभी तक यह संगठन कल्याण समिति के माध्यम से ही अपनी बात सरकार तक पहुंचाते रहे हैं। हर कैडर अपना पत्र समिति को देता था। यहां की अनुशंसा के बाद यही पत्र संबंधित विभाग को जाता था। ऐसे मामलों का जीएडी विस्तार से अवलोकन कर समस्या समाधान पर विचार करता था। फिर पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री तक पहुंचती थी। यह व्यवस्था पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है।
समिति में अध्यक्ष नियुक्ति की मांग
पिछले आठ माह से खाली कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष के पद को भरने के की मांगें उठने लगी है। निगम-मंडल के समकक्ष कल्याण समिति में अध्यक्ष पद पर शीघ्र नई नियुक्ति के लिए कर्मचारी संघों ने सरकार पर दबाव बनाया है। संगठन नेताओं का कहना है कि अध्यक्ष की नियुक्ति जरूरी है, क्योंकि फरवरी से चेयरमैन नहीं होने के कारण कर्मचारियों की अनेक लंबित मांगें हैं। जब तक कल्याण समिति की अनुशंसा से इन मांगों का ज्ञापन विभागों तक नहीं पहुंचेगा। तब तक इनका समाधान होना संभव नहीं दिख रहा है। मप्र राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष हेमंत श्रीवास्तव का कहना है कि इस समय कर्मचारियों की समस्याएं सुनने का कोई स्थाई मंच नहीं है। हम निरंतर मांग कर रहे हैं कि कल्याण समिति में अध्यक्ष पद की नियुक्ति हो, ताकि सरकारी सेवकों की लंबित मांगों का समाधान हो सके।
समस्याएं निरंतर बढ़ रही
अजाक्स मंत्रालय इकाई के अध्यक्ष घनश्याम भकौरिया का कहना है कि पूरे राज्य का कर्मचारी आशा भरी निगाहों से देख रहा है कि कब तक मंत्रालय में कर्मचारी कल्याण समिति का नया अध्यक्ष नियुक्त होगा। क्योंकि सरकारी सेवकों की समस्याएं निरंतर बढ़ रही हैं। आलम यह है कि कर्मचारियों की मांगों की सूची लगातार बढ़ रही है। जिनमें प्रमुख है महिला बाल विकास पर्यवेक्षकों को ग्रेड-पे, लिपिक संवर्ग की वेतन विसंगतियां शिक्षक संवर्ग में शामिल अध्यापकों को क्रमोन्नति, पैक्स कर्मचारियों को 60 फीसदी भर्ती अधूरी, कृषि अधिकारियों को समयमान वेतनमान, दैनिक वेतन भोगी कर्मियों का नियमितीकरण, स्थाई सेवकों को नियमित कर्मियों जैसी सुविधा नहीं मिलना आदि।

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