- लागत 426 करोड़, अब तक वसूल लिए 1600 करोड़
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश की सीमाओं लगे मप्र को अक्सर अपनी सडक़ों की दुर्दशा के लिए शर्मिंदगी उठानी पड़ती रही है। प्राइवेट पार्टनरशिप ट्रांसफर मोड पर चमचमाती सडक़ों की सौगात मिलना शुरू हुई और लोग इसके बदले अदा की जाने वाली रकम को भी बर्दाश्त करते गए। अदायगी का यह सिलसिला ऐसा चला कि रोड निर्माण में खर्च हुई लागत का चार गुना अदा हो चुका है, लेकिन देनदारी का क्रम बंद ही नहीं हो पा रहा है। यानि की ठेकेदारों की जेब भरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। ऐसे प्रदेश में कई टोल प्लाजा है।
भोपाल-इंदौर के बीच बने कॉरिडोर को करीब 14 बरस बीत चुके हैं। वर्ष 2010 में इसका निर्माण हुआ था। इस निर्माण में करीब 426.64 करोड़ रुपए की लागत आई थी। 12 अगस्त 2010 से शुरू हुई इस निर्माण लागत की वसूली के लिए 200 किलोमीटर के इस सफर में करीब पांच टोल नाके स्थापित किए गए थे। इनसे करीब 40 किलोमीटर के सफर के बदले एक निश्चित राशि वसूली जा रही है। सूत्रों का कहना है कि 14 बरस की इस अवधि में टोल प्लाजा प्रबंधक वाहन चालकों से अब तक करीब 1610 करोड़ रुपए वसूल चुके हैं। जो निर्माण लागत का चार गुना जैसा है। बावजूद इसके इन टोल प्लाजा से 21 मई 2033 तक सतत वसूली जारी रहने वाली है। बाकी बची 9 वर्ष की अवधि में भी करीब 1035 करोड़ रुपए की और वसूली संभावित है। पिछले कुछ वर्षों से टोल प्लाजा पर लागू किए गए फास्टैग सिस्टम की कवायद वैसे तो वाहनों को कतार से राहत देने की थी, लेकिन इसकी अनिवार्यता वाहन चालकों पर दोहरा बोझ भी डाल रही है। बिना फास्टैग के टोल प्लाजा से गुजरने वालों को निर्धारित से दोगुनी राशि अदा करने की मजबूरी भी बनी रहती है।
किस हाईवे पर कितना वसूला गया टोल टैक्स?
राजस्थान की सीमा से शुरू होकर एमपी की आर्थिक राजधानी इंदौर तक जाने वाले नयागांव-जावरा-लेबड़ 4-लेन हाइवे का सच जान लीजिए। 250 किलोमीटर में फैले इस स्टेट हाइवे को बनाने में जितना पैसा खर्च हुआ, उससे चार पांच गुना ज्यादा टोल लेने के बाद भी जनता की जेब से टोल निकालना जारी है। मध्य प्रदेश में जावरा से नयागांव तक सडक़ बनाने की लागत 425.71 करोड़ रुपए आई। इस सडक़ पर टोल वसूली 17 फरवरी 2012 से शुरु हुई। अब तक यहां से 2168 करोड़ रुपए टोल वसूला जा चुका है, यानी 1743 करोड़ रुपए ज्यादा। इस सडक़ पर सरकार का 26 अक्टूबर 2033 तक टोल वसूलने का प्लान है। स्थानीय लोग कहते हैं कि सडक़ें तो अच्छी बन गई हैं, लेकिन यहां टोल जो लगता है वो महंगा है। टोल बंद होना चाहिए। जब गाड़ी खरीदते हैं तो रोड टैक्स पहले ही जमा करा लिया जाता है और फिर टोल टैक्स भी देना होता है, जो कि महंगा पड़ता है। इंदौर के रास्ते पर हर 50 किलोमीटर पर एक टोल नाका आता है।
इस पर उठा था ऐतराज
भोपाल और इंदौर के बीच बने कॉरिडोर के लिए तय की गई योजना में इस मार्ग को सिक्स लेन बनाने की थी। जबकि उसका अधिकांश हिस्सा फोर लेन ही है। इस कॉरिडोर के कंपलीट होने पर आई आपत्ति के बाद इंदौर सीमा में एक हिस्से को सिक्स लेन कर खानापूर्ति कर ली गई थी।