वॉशिंगटन। दिग्गज उद्योगपति एलन मस्क की दिमागी तकनीक संबंधी स्टार्टअप न्यूरालिंक ने दावा किया है कि इंसानी दिमाग में चिप लगाने का उनका दूसरा परीक्षण सफल रहा है। कंपनी ने ये भी दावा किया है कि दूसरे परीक्षण में मरीज को कई परेशानी नहीं हुई है। दरअसल पहले परीक्षण में जिस मरीज को ब्रेन चिप लगाई गई थी, उसमें थ्रेड रिट्रैक्शन की समस्या देखी गई थी।
न्यूरालिंक पैरालाइज मरीजों या जिनकी रीढ़ की हड्डी में चोट है, उनके लिए दिमागी चिप बनाने का काम करती है। ये वायरलेस चिप होती हैं, जिनकी मदद से शारीरिक रूप से अक्षम मरीजों के सामान्य रूप से काम करने में मदद मिलती है। पहले परीक्षण के दौरान न्यूरालिंक ने जनवरी में जिस मरीज नोलैंड अरबॉग के दिमाग में चिप लगाई थी, उसे कुछ समय बाद थ्रेड रिट्रैक्शन की समस्या हुई। सर्जरी के बाद अरबॉग के दिमाग में मौजूद कई छोटे-छोटे तंतुओं में सिकुड़न की समस्या देखी गई थी। इससे दिमागी सिग्नल मापने वाले इलेक्ट्रोड्स की संख्या में गिरावट देखी गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, थ्रेड रिट्रैक्शन की समस्या जानवरों में परीक्षण के दौरान भी देखी गई थी। अब कंपनी ने दावा किया है कि दूसरे परीक्षण में यह समस्या नहीं हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिस पहले मरीज को न्यूरालिंक ने डिजिटल चिप लगाई थी, वह अब वीडियो गेम्स खेलने, इंटरनेट चलाने, सोशल मीडिया पर पोस्ट करने आदि काम करने में सक्षम हो गया है। बीते महीने ही दूसरे मरीज में चिप का परीक्षण किया गया है।
न्यूरालिंक एक ब्रेन-चिप स्टार्टअप है, जिसकी स्थापना एलन मस्क ने साल 2016 में की थी। इस स्टार्टअप के तहत सर्जरी की मदद से इंसानी दिमाग में एक सिक्के के आकार का उपकरण (चिप) प्रत्यारोपित की जाती है। जिसके बहुत पतले तार मस्तिष्क में जाकर मस्तिष्क-कम्प्यूटर इंटरफेस (बी.सी.आई.) विकसित करते हैं। यह डिस्क मस्तिष्क की गतिविधि को पंजीकृत करेगी और उसे एक सामान्य ब्लूटूथ कनेक्शन के माध्यम से स्मार्टफोन जैसे डिवाइस पर भेज देगी।