सिर्फ 10% सोलर एनर्जी ही हो पा रही पैदा

सोलर एनर्जी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार द्वारा भोपाल शहर को सोलर शहर बनाने की योजना परवान ही नहीं चढ़ पा रही है। हालत यह है कि शहर में 1100 मेगावाट सोलर एनर्जी पैदा करने का लक्ष्य तय किया गया था , लेकिन अब तक महज 11 मेगावाट बिजली का उत्पादन ही शुरु हो सका है। दरअसल प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांची के बाद भोपाल को देश की दूसरी सोलर सिटी सिटी बनाने की घोषणा बहुत पहले कर दी गई थी , लेकिन इस पर अमल होता नहीं दिख रहा है। इसकी फाइल अब भी एक से दूसरी जगह आने जाने में ही अटकी हुई है। अगर शहर की बात की जाए तो जरूरत करीब 2200 मेगावाट बिजली की होती है। ऐसे में अगर तय लक्ष्य को पा लिया जाए तो भोपाल में न केवल बिजली आपूर्ति की व्यवस्था में सुधर होगा, बल्कि रोजगार के अवसरभी बढ़ेगें। अगर सोलर प्लांट की बात की जाए तो दो किलोवाट क्षमता के सोलर प्लांट के लिए 100 वर्गफीट जगह चाहिए। जिसमें सोलर पैनल, इनवर्टर, एसडीसी बॉक्स, केबल व मीटर लगता है। सोलर रूफटॉप प्लांट बैंडर 3 दिन में लगा देता है। सब्सिडी 30 दिन में बैंक खाते में आ जाती है।
केंद्र सरकार सोलर के लिए सब्सिडी दे रही है। इस योजना को इसी साल फरवरी में केंद्र सरकार द्वारा पीएम सूर्यघर नाम से शुरु की थी। इस योजना में तीन किलोवॉट तक के प्लांट से हर रोज 12 यूनिट बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है। शहर में दो माह में 25 हजार सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य था। जबकि, पीएम सूर्य घर व अन्य योजना मिलाकर महज 2500 प्लांट ही स्थापित हो पाए हैं। हर घर प्लांट लगवाने के लक्ष्य में नगर निगम भी फिसड्डी साबित हुआ है।
यह होगा फायदा
दरअसल,  इससे न केवल कार्बन उत्र्सजन नियंत्रित करने में मदद मिलती है बल्कि बिजली की लागत और उसके उत्पादन से होने वाले प्रदूषण में भी कमी आएगी। 1100 मेगावाट सोलर एनर्जी के इस्तेमाल से यह क्षमता 285 लाख पेड़ों के बराकर कार्बन उत्सर्जन सोखने की होगी। इसी तरह से लोगों को भारी -भरकम बिजली बिलों से राहत भी मिलेगी।
हर घर में हो सोलर उपकरण: सोलर सिटी बनाने के लिए शहर के हर घर में ऑफ-ग्रिड सौर संयंत्र का इस्तेमाल करना होगा। सोलर कुकर, सोलर स्टडी लैंप, सोलर ड्रायर, सोलर वॉटर हीटर, सोलर लालटेन जैसे उपकरणों को बढ़ावा देना होगा।

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