देश विरोधी ताकतों का नया ठिकाना बन रहा है खंडवा

देश विरोधी ताकतों
  • केंद्रीय एजेंसियों सहित एटीएस भी रख रही है नजर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के निमाड़  इलाके का खंडवा जिला इन दिनों देशभर में चर्चा में बना हुआ है। इसकी वजह है वहां से हाल ही में पकड़ा गया एक संदिग्ध आंतकवादी। दरअसल शांति के टापू वाले इस प्रदेश में खंडवा वह जिला है, जहां पर सिमी से लेकर अन्य आतंकी संगठनों के लोग भी पूर्व में पकड़े जा चुके हैं। इस जिले में आतंकियों के फलने -फूलने के लिए 16 साल पहले एटीएस जवान सीताराम यादव सहित तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर आतंक का बीजारोपण अबु फैजल द्वारा किया गया था। इसके बाद से समय-समय पर इस इलाके से आतंकी पकड़े जा चुके हैं। अब एक बार फिर खंडवा की जमीन से इसी तरह के आतंकियों की फसल उगाने का प्रयास किया जा रहा है। सुरक्षाबलों ने यहां से 32 वर्षीय अब्दुल रकीब के बाद  अब 36 वर्षीय फैजल शेख को गिरफ्तार किया गया है। मप्र पुलिस की एटीएस ने उसे किसी वारदात को अंजाम देने से पहले ही धरदबोचा है।
इसी तरह से एक साल पहले खंडवा से अब्दुल रकबी पुत्र अब्दुल वकील कुरैशी भी इंटरनेट के माध्यम से बम बनाने की ट्रेनिंग देने और पश्चिम बंगाल की आंतकी घटना को अंजाम देने वालों के संपर्क में होने के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। उसे पश्चिम बंगाल की एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। फैजल के भी उसका साथी होने से एनआईए, एसएफटी और एटीएस के राडार पर था। जांच ऐजेंसी को पुख्ता सबूत हाथ लगते ही उसे खंडवा से गिरफ्तार कर लिया गया। इंटरनेट के जरिए आतंक को जिंदा रखने का प्रयास खंडवा में 28 नवंबर 2009 को तिहरे हत्याकांड को प्रतिबंधित स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के गुर्गों ने अंजाम दिया था। इनका सरगना मुंबई का डॉ. अबू फैजल था।
उत्तर प्रदेश निवासी है अबू फैजल
मूलत: उत्तर प्रदेश का रहने वाला अबू फैजल खंडवा में अपना आतंकी साम्राज्य खड़ा करना चाहता था, इसके लिए निमाड़ और मालवा में इस्लामिक आंतकवाद का जहर फैलाने के लिए युवा को जोड़ने की कोशिश की। इसमें कुछ हद तक वह सफल भी हुआ, लेकिन जांच एजेंसियों और पुलिस की कोशिशों से सिमी सहित अन्य आंतकी संगठन खंडवा में अपनी जड़ें नहीं जमा सके। सिमी गुर्गों की गिरफ्तारी के बाद जमीनी गतिविधियों पर लगाम लग गई, लेकिन इंटरनेट के जरिए युवाओं में इस्लामिक कट्टरवाद और नफरत का जहर भर कर आतंक को कायम रखने के प्रयास जारी है। इसके परिणाम स्वरूप यहां रकीब और फैजल जैसे युवा भटक कर आतंक की राह अख्तियार कर रहे है। आतंकी अबू फैजल और यासीन भटकल से प्रभावित होकर खंडवा का युवा फैजल हनीफ शेख विध्वंस और दहशत के जरिए स्वयं को अन्य युवाओं का रोल मॉडल व हीरो बनने की कोशिश में लगा था। वह अपने मंसूबों में सफल हो पाता इससे पहले एटीएस भोपाल की टीम ने उसे धरदबोचा।
2013 में जेल से भागे थे सिमी आंतकी
स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया संगठन को 2001 में आतंकी गतिविधियों के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था। खंडवा में तिहरे हत्याकांड के बाद सातों सिमी आतंकी जिला जेल से 1 अक्टूबर 2013 को भाग निकले थे। इनमें मुंबई निवासी अबू फैजल, खंडवा के गणेश तलाई का अमजद खान,असलम, जाकिर हुसैन, मेहबूब उर्फ गुड्डू और करेली निवासी एजाजउद्दीन पर हत्या और हत्या के प्रयास के आरोप में एक सहयोगी आबिद अंसारी जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में बंद थे। खंडवा जेल से भागने के 3 साल बाद इन्हें एटीएस ने गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल भोपाल में रखा था। 31 अक्टूबर 2016 को शेख मुजीब, असलम, हबीब उर्फ शेट्टी, साजिद उर्फ शेरू, अबु फैजल, महबूब, एजाजुद्दीन और इकरार शेख भोपाल जेल से भागने में कामयाब हो गए थे। इस दौरान एनकाउंटर में सिमी के 7 आतंकी मारे गए थे। इनमें अबु फैजल बच गया था। भोपाल सेंट्रल जेल में पहले से सजा काट रहे, आतंकी अबू फैजल को दिसंबर 2023 में एनआइए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा वर्ष 2013 में खंडवा जेल तोड़ने के मामले में सुनाई गई थी।
मशहूर होने के लिए चुनी आतंक की राह
फैजान के भाई मोहम्मद इमरान का कहना है कि फैजान को फेमस होने का जुनून सवार था। इंटरनेट अकाउंट पर भडक़ाऊ सामग्री अपलोड करने से उसे कई बार समझाया, लेकिन वह समझ नहीं पाया और दहशतगर्दी की राह पर चल पड़ा। उसका यह कदम पूरे परिवार के लिए कलंक बन गया। फैजान के परिवार में माता-पिता व एक भाई है। पिता की जूनी इंदौर लाइन पर लेथ मशीन की दुकान है। उसी में फैजान काम करता है। वहीं रकीब आईएसआईएस संगठन से जुड़ा है। फैजान व रकीब दोनों की जेहादी मानसिकता थी। फैजान के बारे में क्षेत्र के लोग बताते हैं कि वह सायको किस्म का हैं। वह आतंकी रियाज भटकल को हीरो मानता है, इसलिए वह रियाज के कर्नाटक स्थित घर तक भी जा चुका है। वहां उसका घर देखा और उसके बारे में जानकारी भी ली।

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