दोधन डेम से शुरु होगी केन-बेतवा लिंक परियोजना

केन-बेतवा लिंक परियोजना

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार वह समय आ ही गया है जब बुदेंलखंड की बहुप्रतिक्षित केन-बेतवा लिंक परियोजना पर काम होना शुरु होने वाला है। इसके काम की शुरुआत दोधन डेम से होगी। इसके निर्माण के लिए तकनीकी निविदा को अंतिम रुप दिया जा चुका है। चुनावी आचार संहिता समाप्त होते ही उन कंपनियों का चयन किया जाएगा, जिन्हें फाइनेंशियल निविदा में शामिल होने की पात्रता मिल जाएगी। अहम बात यह है कि इस काम के लिए  अडानी और दिलीप बिल्डकॉन जैसी 22 कंपनियां आगे आयी हैं। दरअसल इस डेम की लागत करीब पांच हजार करोड़ रुपए तय की गई है, जबकि पूरी परियोजना की लागत 44 हजार 605 करोड़ रुपए है। माना जा रहा है कि सब कुछ ठीक रहा तो अगले दो माह बाद बांध के निर्माण का काम शुरु हो सकता है। इसकी निर्माण की अवधि छह साल तय की गई है। बांध की ऊंचाई 15 मीटर से ज्यादा होगी। पर्यावरण स्वीकृति, भूमि अधिग्रहण और प्रभावित गांवों के सर्वे सहित अन्य कार्यों के कराने के बाद अब परियोजना को मूर्तरूप देने का काम तेज हो गया है। वहीं गांवों के विस्थापन के संबंध में सभी अवॉर्ड पारित हो गए हैं। वन विभाग को तीन सेंचुरी के लिए 35 सौ करोड़ नेट प्रजेंट वैल्यू के लिए भी दी गई है। इस परियोजना के लिए केन्द्र सरकार 90 फीसदी रायिा दे रही है जबकि मप्र और उप्र सरकार को 5-5 फीसदी राशि देनी है। उल्लेखनीय है कि इस परियोजना के लिए दोनों राज्यों के बीच 2005 में अनुबंध हुआ था। इसके बाद  डीपीआर बनने से लेकर तमाम औपचारिकताएं पूरा करने में 16 साल लग गए और दोनों राज्यों के बीच 2021 में समझौता हो पाया।
सात जिलों में दूर होगा जल संकट  
इस परियोजना से मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, सागर और दतिया के साथ-साथ शिवपुरी, विदिशा और रायसेन जिलों को भी लाभ मिलेगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना के पूरा हो जाने से जहां 8 लाख 11 हज़ार हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा पहुंचाई जा सकेगी, वहीं 41 लाख लोगों को सहज तौर पर पीने का पानी मिल पाएगा। उत्तर प्रदेश के 2 लाख 52 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाईं और पेय जल की सुविधा भी इससे मिल सकेगी।
यह है सिचाई का लक्ष्य
केन बेसिन में 4.47 लाख हेक्टेयर मप्र का और 2.27 लाख हेक्टेयर उप्र का कृषि योग्य सिंचित क्षेत्र लाभान्वित होगा। बेतवा बेसिन से मप्र के 2 लाख 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को लाभ मिलेगा। परियोजना से उत्पन्न होने वाली बिजली का पूरा उपयोग मध्यप्रदेश कर सकेगा। एमओयू द्वारा उत्तरप्रदेश को केन कछार से 1700 मिलियन घन मीटर पानी आवंटित किया गया है।

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