
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यालय खोलकर मप्र में ऑनलाइन बिजनेस करने वाली तकरीबन 1500 कंपनियों को सेल टैक्स विभाग ने नोटिस दिया है। इसकी वजह यह है कि ये कंपनियां कारोबार तो मप्र में कर रही हैं, लेकिन जीएसटी का फायदा दूसरे राज्य को मिल रहा है। इसको लेकर मप्र सरकार ने दिल्ली में होने वालीजीएसटी काउंसिल की हर बैठक में उठाता रहा है।
गौरतलब है कि देश-विदेश की अधिकांश बड़ी और नामी ऑनलाइन कंपनियों के कार्यालय दक्षिण भारत के राज्यों तथा एनसीआर में होने के कारण जीएसटी में मप्र को भारी नुकसान हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार इससे लगभग पांच सौ करोड़ रुपए का नुकसान मप्र की हो रहा है। गत दिनों केन्द्र सरकार के जीएसटी विभाग के अधिकारियों द्वारा बुलाई गई बैठक में मप्र सहित कई राज्यों ने जीएसटी कलेक्शन में उनके राज्य का हिस्सा न मिलने का मामला उठाया। राज्यों का कहना था कि ऑनलाइन खरीदी व ब्रिकी में केन्द्र सरकार को पूरी जीएसटी मिल रही और जीएसटी चोरी भी नहीं हो रही है। लेकिन जीएसटी कलेक्शन की पूरी राशि उन राज्यों की जा रही है, जहां कंपनियों के कार्यालय हैं। इस जीएसटी कलेक्शन की राशि का हिस्सा यूजर्स राज्य से मांग रहे है। बैठक में प्लेस ऑफ सप्लाई की व्यवस्था को सही करने का मामला उठाया गया। इससे कई समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
कुछ कंपनियों ने जमा कराया जीएसटी
मप्र सरकार ने केन्द्र सरकार से भी अनुरोध किया है कि इस पर गंभीरता में विचार करे, और उनके राज्य के यूजरों से अन्य राज्यों को मिलने वाली जीएसटी की कम से कम आधी राशि तो उन्हें दिलवाई जाए। लेकिन अभी तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं हुआ है। उधर मप्र में ऑनलाइन बिजनेस कर रही पन्द्रह सौ से अधिक कंपनियों को सेल टैक्स विभाग के अधिकारियों ने नोटिस जारी किया है। इसमें कुछ कंपनी ने जीएसटी की कुछ राशि मप्र सरकार के खाते में जमा करा दी है। अन्य कंपनियों ने नोटिस को गंभीरता से नहीं लिया, उस कारण उनके खिलाफ अब सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार मप्र सरकार की जीएसटी हर साल बढ़ रही है, लेकिन उस गति से नहीं बढ़ रही है। जिस गति से आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना तथा एनसीआर क्षेत्र के राज्यों की बढ़ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण अधिकांश आनलाइन कंपनियों के मुख्यालय वहां होना है। जिससे कंपनियों को मिलने वाली राशि की जीएसटी का हिस्सा उन राज्यों को मिलता है, चाहे यूजर्स किसी भी राज्य के हो। उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश में मोबाइल व इंटरनेट यूजर्स की संख्या करोड़ों में है। इससे जीएसटी की अच्छी खासी राशि उन राज्यों को मिलती है, जिसमें कंपनियों के ऑफिस है। ऑनलाइन की खरीदी की भी यही स्थिति है। टैक्स बचाने के लिए कई ऑनलाइन कंपनियों ने हर स्थानों के कार्यालय बंद कर केवल एक कार्यालय देश के बड़े महानगर में खोल लिए हैं। मप्र सरकार के जीएसटी विभाग द्वारा नोटिस जारी किए जाने से प्रदेश में ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनियों में हड़कंप मच गया है। देखना है केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव के बाद इसका निराकरण क्या करती है।