
- फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के मामले में नहीं की जाती कार्रवाई
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में ऐसे सैकड़ों अफसर व कर्मचारी हैं, जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर दूसरों के हक पर डाका डालकर सरकार नौकरी कर रहे हैं। वे इन प्रमाण पत्रों के आधार पर पदोन्नत होकर विभागों के आला पदों तक पहुंच गए हैं, लेकिन सरकार व शासन उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाना तो दूर धोखाधड़ी का मामला तक दर्ज नहीं कर सकी है। इसकी वजह से कई तो नौकरी करने के बाद सेवानिवृत्त तक हो चुके हैं, और अब वे पेंशन का लाभ ले रहे हैं। ऐसा ही मामला है लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर संजय मस्के का। वे भर्ती तो इंजिनियर के पद पर हुए थे, लेकिन फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में फंसे मस्के पर सरकार व शासन ने कार्रवाई तो नहीं की, बल्कि उन्हें लगातार पदोन्नत करते गए और अब तो उन्हें विभाग में ही मुख्य अभियंता तक बना दिया गया। इस मामले में मस्के का दावा है कि जिस समय उनका प्रमाण पत्र बना था, तब आवक-जावक नंबर दर्ज होने की कोई व्यवस्था ही नहीं लागू थी। यह बात अलग है कि इस मामले में तहसीलदार ने लिखित में कहा है कि उनका जाति प्रमाण पत्र पांढुर्ना से नहीं बना है। पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर संजय मस्के का जाति प्रमाण पत्र एससी वर्ग से 11 सितंबर 1990 मिला है। राज्य स्तरीय छानबीन समिति में की गई शिकायत के आधार पर समिति ने जब पांढुर्ना तहसीलदार से 22 सितंबर 2022 को रिपोर्ट बुलाई तो तहसीलदार ने क्रमांक 1440/2022 के जरिए भेजी रिपोर्ट में कहा कि संजय मस्के आत्मज शंकरराव मस्के के संदेहास्पद जाति प्रमाण पत्र का मिलान वर्ष 1990 की राजस्व पंजी में पंजीबद्ध होना नहीं पाया गया। जिसकी वजह से राजस्व प्रकरण की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं है। 18 मई 1967 को नगर पालिका पांढुर्ना की स्थापना हुई है, इसके पूर्व पांढुर्ना ग्राम था। उक्त जाति प्रमाण पत्र तत्कालीन अवधि में पंजीबद्ध नहीं किया गया है, इसलिए जाति प्रमाण पत्र पर क्रमांक अंकित नहीं है। इसके बाद भी इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यही नहीं उन्हें पदोन्नत जरुर किया जाता रहा है।
प्रदेश में हैं सैकड़ों मामले
प्रदेश में अनुसूचित जाति तथा जनजाति वर्ग के नाम पर फर्जी और संदिग्ध प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी पाने वालों की कमी नहीं है। कई अफसरों ने तो नौकरी ही नहीं पाई, बल्कि प्रमोशन का लाभ भी उठाया। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों में आईपीएस, राज्य प्रशासनिक सेवा, डीएफओ, तहसीलदार, पटवारी, राजस्व निरीक्षक, पुलिस इंस्पेक्टर से लेकर इंजीनियर तक शामिल हैं। सरकार ने तत्कालीन आईएफएस एके भूगांवकर पर हाईकोर्ट आदेश के चलते कार्रवाई की थी, लेकिन वह सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले आए थे। इसी तरह उनके भाई व्हीके भूगांवकर अभी भी धड़ल्ले से पीडब्ल्यूडी में अधीक्षण यंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। वैसे सरकार ने इन्हें न तो प्रमोशन दिया और न ही विभाग में किसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से नवाजा है।