
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। महिलाओं की निजता, गरिमा, सम्मान, सुरक्षा, सशक्तिकरण और अधिकारों के मुद्दे पर सरकार और शासन बड़ी-बड़ी बातें करते हैं , लेकिन वह वास्तव में महिलाओं के मुद्दों, उनकी बुनियादी जरूरतों को लेकर कितनी संजीदा हैं, इसकी हकीकत अकेले कृषि विभाग से ही समझी जा सकती है। इस विभाग के करीब तीन दर्जन जिलों के दफ्तरों में उनके लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें हर दिन परेशान होना पड़ता है। इसके बाद भी जिम्मेदार उनकी इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए कोई कदम उठाते नजर नहीं आते हैं।
अहम बात यह है कि प्रदेश में महिलाओं को नौकरी में अहमियत देने के लिए आरक्षण लागू किया गया है, जिसकी वजह से 50 फीसदी आरक्षण अनुपात में वर्ष 2018 से अब तक करीब पांच हजार पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। इसके बाद भी जिला और ब्लॉक स्तर पर इनके लिए कार्यालयों में शौचालयों की व्यवस्था तक नहीं की गई है। इंदौर संभाग में मैदानी महिला अफसरों ने पत्र के माध्यम से विभाग को पीड़ा बताई है। महिला ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्रीमती यशोदा केवड़ा, आरती धावरे, नीलू रोजस्कर, सोनिया वर्मा, योगिता गौड़, कुमुद चौधरी, नितिशा जायसवाल, मिली शर्मा, आरती सावनेर, अनामिका तोमर ने संयुक्त रूप से यह पत्र लिखा है। महिला अधिकारियों ने बताया कि उनकी नियुक्ति तो ब्लाक और जिला स्तर पर हुई है, लेकिन हर दिन शौचालय की समस्या से जूझना पड़ रहा है। अनेक कार्यालयों में शौचालय नहीं हैं। अगर शौचालय हैं तो कहीं खिडक़ी टूटी तो कहीं पानी की व्यवस्था नहीं है।
इन जिलों में नहीं व्यवस्था
अधिकारियों की मानें तो प्रदेश के उज्जैन, धार, मंडला, डिंडोरी, शाजापुर, रतलाम, मंदसौर, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योपुर, ग्वालियर, अशोकनगर, इंदौर, देवास, सीहोर, रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद, हरदा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सतना, रीवा, सिंगरौली, अनूपपुर, उमरिया, झाबुआ, अलीरजपुर जैसे जिलों में महिला अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए शौचालयों की कमी है।
पहले भी विस चुनाव पूर्व कई जिलों से आये थे पत्र
विधानसभा चुनाव के पूर्व कई जिलों से महिलाओं ने पत्र के माध्यम से यह समस्या बताई थी। इसको लेकर कलेक्टरों को सीएम के नाम ज्ञापन भी सौंपे गए थे। महिलाओं ने समस्या बताई कि जिला और ब्लाक स्तर पर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यलयों में शासन की नीति के अनुसार उनकी पदस्थापना की गई है। फील्ड में लगभग 80 फीसदी कार्यालयों में महिला शौचालय नहीं है। यदि है तो उनका दुरुस्तीकरण नहीं है। इससे महिला अधिकारी और कर्मचारियों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में पूर्व में भी शासन को अवगत कराया गया था, लेकिन समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है।