
- एक पखवाड़े बाद नहीं होगी कोई सुनवाई
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का राज्य सूचना आयोग सरकार की उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। यही वजह है कि लंबे समय से रिक्त चल रहे सूचना आयुक्त के पदों को भरने में कोई रुचि नहीं ली जा रही है, जिसकी वजह से अब एक पखवाड़े बाद आयोग बगैर आयुक्तों के हो जाएगा, जिसकी वजह से आयोग में सुनवाई होना पूरी तरह सें बंद हो जाएगी। यह हाल प्रदेश में तब बने हुए हैं जबकि, आयोग में पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। अब लोकसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है, जिसकी वजह से अगर एक पखवाड़े में रिक्त पदों को नहीं भरा गया तो, जून तक आयोग में किसी भी मामले की सुनवाई नहीं हो सकेगी। यानी की लोगों को कोई सूचना नहीं मिलेगी। दरअसल लोगों द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी जाने वाली जानकारी संबंधित विभागों के अफसरों द्वारा नहीं दिए जाने के मामलों की सुनवाई सूचना आयोग में होती है।
आयोग ऐसे संबंधित अफसरों को न केवल जानकारी देने का निर्देश देता है, बल्कि लापरवाह अफसरों पर जुर्माना भी लगाता है। लेकिन अब सरकारी कार्यालयों से आम लोगों को सूचनाएं दिलवाने के लिए गठित राज्य सूचना आयोग अब खाली होने जा रहा है। यदि राज्य शासन ने अगले कुछ दिनों की भीतर नए सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की तो 20 मार्च के बाद सूचना के अधिकार के तहत आयोग के जरिए सूचनाएं मिलना ही पूरी तरह से बंद हो जाएंगी। फिलहाल सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा एक ही आयुक्त हैं। उनका भी कार्यकाल इसी माह 20 मार्च को पूरा हो रहा है। गौरतलब है कि सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त सहित कुल 11 आयुक्तों के पद हैं, जिनमें से 7 का कार्यकाल पूरा होने की वजह से उनके पद पहले ही से रिक्त हो चुके हैं । इन पदों को भरने के लिए पूर्व की शिव सरकार ने कोई रुचि नहीं ली, जिसकी वजह से इस तरह के हालात बने हैं। यही वजह है की आयोग में होने वाली अपीलों की सुनवाई नहीं हो पाने की वजह से आयोग में 13 हजार से ज्यादा मामले लंबित चल रहे हैं।
करनी पड़ी थी बैठक निरस्त
सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर पूर्व की शिवराज सरकार महज खानापूर्ति करने में ही लगी रही। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले 9 अक्टूबर 2023 को सुबह 9 बजे सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बैठक बुलाई थी। इसको लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने सवाल उठाए और मनमानी बताया और न्यायालय की शरण में जाने की बात कही। आनन-फानन में बैठक बुलाने पर सिंह ने आने से ही इंकार कर दिया था। हालांकि इसके तत्काल बाद सरकार ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ी बैठक ही निरस्त कर दी। इसके बाद से इस मामले में कोई भी पहल नहीं की गई है।