
- उज्जैन, धार, ग्वालियर, जबलपुर में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायत
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश के डिप्टी एक्साइज कमिश्नर अजय शर्मा की मुश्किले बढ़ सकती हैं। सूत्रों का कहना है कि आबकारी विभाग के ही एक वर्ग ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि कर्तव्य परायणता की आड़ में उन्होंने जमकर चांदी काटी है। उज्जैन, धार, ग्वालियर, जबलपुर में पदस्थापना के दौरान उन्होंने जमकर भ्रष्टाचार किया। अब वे भोपाल में भी उसी राह पर चल रहे हैं। आबकारी विभाग के सूत्रों का कहना है कि सहायक आबकारी आयुक्त अजय शर्मा जब से भोपाल में पदस्थ हुए हैं तब से यहां अवैध शराब का कारोबार बढ़ गया है, वहीं छापामारी का डर दिखाकर वे अवैध वसूली कर रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि उनके खिलाफ सरकार से शिकायत करने भी तैयारी की जा रही है। उधर, शर्मा अब उपमुख्यमंत्री जगदीश देवडा और नए पीएस दोनों पर पकड़ डालने का मंसूबा बना रहे हैं। गौरतलब है कि मार्च 2021 में जब भोपाल में लगातार अवैध शराब की खेप अन्य जिलों से आ रही थी, तब उस पर अंकुश लगाने में असमर्थ साबित हुए तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त संजीव कुमार दुबे को हटाकर सहायक आयुक्त अबकारी के पद पर अजय शर्मा को नियुक्त किया गया। सूत्रों का कहना है कि राजधानी में पदस्थापना के बाद शर्मा का खेल और तेजी से शुरू हो गया। डिस्टलर की दारू की खपत बढ़ाने और आबकारी राजस्व को हजम कर देने वाली कम्पोजिट दुकान शराब पॉलिसी के पीछे अजय शर्मा का ही हाथ था। आबकारी विभाग कहा जाता है कि अजय शर्मा आबकारी के वे अधिकारी हैं जिन्होंने उज्जैन, धार, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल में भ्रष्टाचार की मिसाल बनाई है। अजय शर्मा के बारे में उज्जैन के ठेकेदार बताते हैं कि वे ठेकेदारों के घर बिक जाने तक की दशा तक शोषण करते हैं। धार को 4 साल तक और उज्जैन और भोपाल को 3 साल तक दबा कर निचोडऩे का रिकार्ड अजय शर्मा के नाम है।
कम्पोजिट शॉप प्रणाली के प्रमुख शिल्पकार
इकबाल सिंह बैस की कायनात में कम्पोजिट शॉप प्रणाली की आबकारी नीति से आबकारी राजस्व बेंच खाने की पॉलसी के अजय शर्मा प्रमुख शिल्पकार हैं! विभागीय सूत्र बताते हैं कम्पोजिट शॉप प्रणाली से अनाप-शनाप बढ़ी दारू की खपत से डिस्टलर को कमाई की जो गुप्त धारा मिली है उसकी कुछ बड़ी बौछार शर्मा जी के घर तक भी पहुंची है। तभी अजय शर्मा भोपाल के सहायक आयुक्त और उपायुक्त दोनों के प्रभार में रहे और आजकल उपायुक्त भोपाल के रूप में विदेशी मदिरा भांडागार से भोपाल जिले में दो नंबर की शराब के कारोबार के मजे ले रहे हैं। अब अजय शर्मा का मुख्य लक्ष्य और शिकार नए प्रमुख सचिव हैं। नए प्रमुख सचिव अगर अजय शर्मा की पकड़ और प्रभाव में नहीं रहे तो अजय शर्मा अपने शिवराज और बैंस लिंक के दम पर उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के ओएसडी बनने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि विभाग पर पूरा कंट्रोल अजय शर्मा का एकमात्र शगल है। गौरतलब है कि मप्र में मंत्रियों के ओएसडी बनने वालों की लंबी फेहरिस्त है। ऐसे ही उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के ओएसडी बनाए जाने के लिए दो अफसरों के नाम भेजे गए। हालांकि दोनों अफसरों के खिलाफ आरोप के चलते जीएडी एसीएस ने फाइल लौटा दी है। जीएडी की ओर से फाइल लौटाने के बाद अब वित्त विभाग ने दूसरे अफसरों के नाम भेजे हैं। क्योंकि डिप्टी कमिश्नर अजय शर्मा और उपायुक्त संदीप तिवारी के खिलाफ पुराने गंभीर आरोप हैं। सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों के ओएसडी की नियुक्ति के मामले में जीएडी सतर्कता बरत रहा है। दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी चाहते हैं कि मंत्रियों के स्टाफ में दागी कर्मचारी नहीं आए। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने साफ कह दिया है कि किसी भी कीमत पर ऐसे दागी अफसरों की तैनाती मंत्रियों के स्टाफ में नहीं होगी, जो पूर्व में विवादित रह चुके हैं या फिर उनके खिलाफ रिपोर्ट अच्छी नहीं है। मुख्यमंत्री की हिदायत के बाद ही वित्त और आबकारी मंत्री के ओएसडी की नियुक्ति की प्रक्रिया में देरी हो रही है। बताते हैं कि दोनों अफसरों के नाम पद से हटने के पहले भेजे गए थे। शर्मा और सक्सेना दोनों ही उनके करीबी रहे हैं।
षड्यंत्रकारी कार्यप्रणाली
बताया जाता है कि भ्रष्टाचार के आरोप में जब तत्कालीन मंत्री जयंत मलैया ने उन्हें ग्वालियर अटैच कर दिया था, तब इस बात का उन्हें इतना मलाल रहा कि उन्होंने उनके बाद जबलपुर गए एसी सत्यनारायण दुबे को दो साल सस्पेंड कराए रखा। इसी प्रकार खुद के प्रमोशन में आड़े आ रहे वरिष्ठ अधिकारी प्रमोद झा के खिलाफ भी लोकायुक्त में एफआईआर का षडयंत्र भी अजय शर्मा का ही रचा हुआ था। प्रमोद झा और न जाने कितने आबकारी अधिकारी अजय शर्मा के षड्यन्त्रों के शिकार होते रहे हैं। इस बात की विभाग में दहशत चली आ रही है। अजय शर्मा कमलनाथ सरकार में कमिश्नर राजेश बहुगुणा और कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव के भी नाक के बाल थे और ग्वालियर हेड ऑफिस में बैठकर भी अजय शर्मा ने ग्वालियर जिले में पदस्थ सहायक आयुक्त संदीप शर्मा को निपटा गए थे। उन्होंने कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव को सेट कर संदीप शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच संस्थित करा गए। कहा जाता है संजीव दुबे के खिलाफ उन्होंने दीपाली रस्तोगी का बखूबी इस्तेमाल किया और संजीव दुबे को विभागीय जांच कर सेवा से निकाल बाहर करने का रास्ता भी अजय शर्मा ने ही सुझाया था।
पांच रुपए का एक्स्ट्रा चार्ज वसूली मामला
कहते हैं जबलपुर में वे सिंडीकेट से बोतलों पर की जा रही ओवर रेटिंग पर प्रतिनग पांच रुपया हिस्सा मांगते थे इसलिए मंत्री जयंत मलैया ने उन्हें ग्वालियर अटैच करके जबलपुर से हटा दिया था। कई सालों तक शर्मा को लूप लाइन में रहना पड़ा था। उन्हें फिर डिप्टी कमिश्नर उडऩदस्ता की जिम्मेदारी मिल गई। इसके पीछे भी रसूखदारों ने शर्मा की मदद की थी। फिर आबकारी नीति बनाने की कमान मिली, लेकिन रिव्यू के दौरान विभाग ने पाया कि सरकार के राजस्व को नुकसान होगा। इसलिए शर्मा की सिफारिशों को शामिल नहीं किया गया।