नई दिल्ली । पिछले वर्ष दिसंबर माह में दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के दौरान विकसित देशों ने कोयले पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की तो भारत ने ग्लोबल साउथ के हितों की रक्षा करते हुए यह लड़ाई लड़ी। ‘मोदी: एनर्जाइजिंग ए ग्रीन फ्यूचर’ पुस्तक का विमोचन के अवसर पर पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए ऐतिहासिक रूप से जिम्मेदार अमीर देशों को ग्लोबल साउथ के विकास में बाधा डालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
समारोह में पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने दुबई में हुई कॉप-28 की बैठक से जुड़ी बातों को साझा करते हुए कहा कि कोयले पर प्रतिबंध को लेकर विकसित राष्ट्र एक हो गए थे, लेकिन भारत ने ग्लोबल साउथ की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उसकी लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि भारत ने उस वक्त तर्क दिया था कि अगर जीवाश्म ईधन सब्सिडी को छोटे देशों में गरीबी उन्मूलन से जोड़ा जाता है, तो उसे रोका नहीं जा सकता हैं।
दुबई में एक मसौदा समझौते के चैप्टर में कोयले को लेकर कठोर भाषा का इस्तेमाल किया गया था, हालांकि यह वैकल्पिक था। जिसमें लिखा था कि कोयले से बिजली उत्पादन पर रोक लगाई जाएं। मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी देश ऊर्जा पहुंच के बिना विकास नहीं कर सकता हैं। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने केलिए हरित विकास हासिल करने पर जोर दे रहा हैं।
बीते माह एक सम्मेलन में पत्रकारों के जवाब देते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा था कि भारत अपने लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जब तक हम विकसित देश का दर्जा हासिल नहीं कर लेते, तब तक कोयला बिजली पर निर्भर रहना होगा। देश केवल तेल और गैस आयात करके अपने लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता हैं। बता दें भारत अपनी लगभग 70 प्रतिशत बिजली उत्पादन के लिए कोयले पर निर्भर है