
कीव। रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। बीते करीब दो वर्षों में पश्चिमी देशों की मदद और सैनिकों की बहादुरी की बदौलत रूस के खिलाफ जंग में मोर्चा भिड़ाने के बाद अब यूक्रेन को कुछ बड़े झटके लगे हैं। यूरोप और अमेरिका की तरफ से आर्थिक मदद रोके जाने के बाद जंग में यूक्रेन को अब सैनिकों की कमी पड़ गई है। राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने खुद इस बात को कबूला है। उन्होंने अपनी सेना में 5,00,000 सैनिकों की भर्ती की मांग की है।
जेलेंस्की ने एक न्यूज कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि उनके कमांडरों ने देश के करीब 4,50,000 से 5,00,000 लोगों को सेना में भर्ती करने की योजना बनाई है। उन्होंने साफ किया कि यह एक संवेदनशील और खर्च बढ़ाने वाला मुद्दा है। हालांकि, ऐसी किसी भी योजना को आगे बढ़ाने से पहले वे इस पर ज्यादा जानकारी हासिल करेंगे। जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन के करीब 5,00,000 सैनिक पहले ही रूस के साथ जंग में तैनात हैं।
गौरतलब है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में कहा था कि उनकी सेना यूक्रेन में अपना अभियान तब तक जारी रखेगी, जब तक हमारे सारे मकसद पूरे नहीं हो जाते। पुतिन ने बताया था कि फिलहाल रूस की तरफ से युद्धक्षेत्र में 6,17,000 से ज्यादा सैनिक विशेष सैन्य अभियान में जुटे हैं। हालांकि, उन्होंने एयर डिफेंस सिस्टम और संचार जैसे क्षेत्रों में कुछ समस्याओं की बात भी कही थी।
बता दें कि सोमवार को बाइडन सरकार की ओर से यूक्रेन की मदद के लिए लाए गए सहायता पैकेज के प्रस्ताव पर सीनेट की मुहर नहीं लग पाई। सांसदों के बीच बॉर्डर सुरक्षा नीति पर चर्चा हुई। इसे लेकर डेमोक्रेट पार्टी और विपक्षी रिपब्लिकन के बीच लंबे समय से गतिरोध बना है। हालांकि, बाइडन सरकार इस बीच ही रिपब्लिकन पार्टी के विरोध की वजह से यूक्रेन को भेजी जाने वाली सहायता पर समझौते के लिए चर्चा प्रस्ताव लाई। 110 अरब डॉलर के इस पैकेज में यूक्रेन, इस्राइल और अन्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने का प्रस्ताव दिया गया। हालांकि, सांसदों ने कहा कि उनके पास आगे भी काफी काम है और इस पर चर्चा बाद में हो सकती है।
इस बीच यूक्रेन के लिए आर्थिक पैकेज के रुकने से बाइडन सरकार की ओर से किए गए जेलेंस्की से किए गए वादों पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं, जिसके तहत यूक्रेन को मदद भेजी जानी थी। इतना ही नहीं सीनेट में आव्रजन और सीमा सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर गतिरोध की वजह से पैकेज के लंबे समय तक अटके रहने का अनुमान है। इससे पहले यूरोपीय यूनियन की तरफ से यूक्रेन को 55 अरब डॉलर की रकम मुहैया कराई जानी थी। हालांकि, हंगरी की ओर से इस पर रोड़ा लगा दिया गया और यूक्रेन को यह आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है। चौंकाने वाली बात यह है कि हंगरी की तरफ से यह रोक उस वक्त लगाई गई, जब जेलेंस्की ने यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिए बातचीत पर समझौता किया था।