सौर ऊर्जा से जगमगाएंगी शहरों की सडक़ें

सौर ऊर्जा
  • बिजली के बिलों से मिलेगी बड़ी राहत

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सौर ऊर्जा यानी सोलर एनर्जी वक्त की जरूरत बन गई है। जिस तरह बिजली महंगी हो रही है, बिजली के वैकल्पिक स्रोत सोलर एनर्जी के प्रति लोगों का रुझान भी तेजी से बढ़ रहा है। वहीं बिजली की लगातार बढ़ती दरों से राहत पाने नगरीय प्रशासन विभाग ने प्रदेश की शहरों को सौर ऊर्जा से रोशन करने की तैयारी शुरू कर दी है।
सोलर ऊर्जा प्लांट लगाने पर प्रति मेगावॉट 4 करोड़ रुपए खर्च आता है। 4 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। 200 मेगावॉट प्लांट के लिए 800 एकड़ जमीन और इतनी ही राशि की जरूरत होगी। प्लांट रीवा संभाग या फिर मालवा क्षेत्र में लगाने की योजना है। विभाग कंपनी से अनुबंध कर 25 वर्षों तक बिजली सप्लाई के लिए पैसा देगा। गौरतलब है कि शहरों की सडक़ों को रोशन करने के लिए नगरीय निकायों को बिजली का भारी भरकम बिल का भुगतान करना पड़ता है।
कई बार निकाय बिजली का बिल जमा नहीं कर पाते हैं, ऐसे में बिजली विभाग लाइट काट देता है। इससे सडक़ों पर अंधेरा छा जाता है। बता दें कि स्ट्रीट लाइट, पेयजल सप्लाई और एचटीपी से पानी शोधन जैसे प्रोजेक्ट पर सबसे ज्यादा बिजली खर्च होती है। बढ़ते बिजली बिल के भार को देखते हुए नगरीय प्रशासन विभाग 200 मेगावॉट का सोलर पॉवर प्लांट लगाने जा रहा है। इस प्लांट से प्रदेशभर के शहरों की सडक़ें सौर ऊर्जा से रोशन होंगी। साथ ही सोलर ऊर्जा से मिलने वाली सस्ती बिजली से निकायों का खर्च कम होगा। विभाग की मंशा इस प्रोजेक्ट को पीपीपी मोड पर देने की है।
निजी कंपनी को इस पर 800 करोड़ तक खर्च करने पड़ेंगे। इसके बदले 25 साल तक बिजली खरीदी जाएगी। अभी निकायों को 600 मेगावॉट बिजली की जरूरत होती है। चुंगी क्षतिपूर्ति से मिलने वाली राशि से विभाग हर माह 75 करोड़ का भुगतान बिजली बिलों पर करता है। इससे निकायों के सामने वेतन भुगतान की समस्या खड़ी हो जाती है। इस समस्या से बचने के लिए विभाग सोलर प्लांट को लगाने जा रहा है।
सरकारी भवनों में लगे सोलर पैनल, होने लगी बचत
सोलर एनर्जी को शासन बढ़ावा दे रहा है। यहीं कारण है कि सरकारी भवनों भी सोलर एनर्जी से रोशन हो रहे हैं। कई जिलों में कलेक्टर कार्यालय, जिला पंचायत, नगर निगम जैसी सरकारी इमारतों में सोलर पैनल लगे हैं। इसके माध्यम से बिजली पैदा कर विभाग बिजली बिल कम कर बचत भी कर रहे हैं। वहीं औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने वाले उद्यमियों व व्यापारियों के लिए भी सोलर एनर्जी वरदान साबित हो रही है। सोलर एनर्जी से न सिर्फ बिजली बल्कि रोजगार से पैदा हो रहे हैं। सोलर एनर्जी को लेकर कंपनिया पैनल तो तैयार कर रही पर उसे लगाने के बाद मेंटनेंस नहीं हो पा रहा। इंदौर में पेयजल आपूर्ति के लिए जलूद से पानी पंपिंग की जाती है। इसमें हर माह 25 करोड़ रुपए बिजली बिल आता है। बिजली बचाने के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र लगने से निगम को हर माह 7 करोड़ की बचत होगी। भोपाल भी नीमच में 21 मेगावॉट का सौर ऊर्जा और 15 मेगावॉट का पवन ऊर्जा प्लांट लगा रहा है। इससे निगम को हर साल 14 करोड़ की बचत होगी।

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