
- 5 हजार मोबाइल की खरीदी पर खर्च होंगे 10 करोड़
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जंगलों की सुरक्षा में तैनात अमले को अब वन महकमा सवंाद के लिए स्मार्ट मोबाइल फोन देने जा रहा है। इसके माध्यम से जहां सूचना का आदान प्रदान करना सुगम हो जाएगा, वहीं तत्काल कार्रवाई करना भी संभव हो सकेगा।
यह वो अमला है, जिसके जिम्मे अतिक्रमण और वन्य जीवों की सुरक्षा का जिम्मा होता है। इन कर्मचारियों को मैदानी स्तर पर पदस्थापना के बाद बीट गार्ड कहा जाता है। बीट गार्ड को जो स्मार्ट फोन दिए जा रहे हैं, वे ई-ऑफिस की तरह काम करेंगे। इनमें तैनाती स्थल पर होने वाले घटनाक्रम की जानकारी को भी अपलोड किया जा सकेगा। जिसकी वजह से किसी अप्रत्याशित घटनाक्रम की रिपोर्ट मुख्यालय के अधिकारियों को तत्काल मिल सकेगी। गौरतलब है कि मप्र को इस समय स्टेट टाइगर का दर्जा प्राप्त है। फिलहाल प्रदेश में 785 बाघ हैं। इनकी संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है, जिसकी वजह से बाघों के शिकार की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। इसके अलावा प्रदेश के जंगलों में अतिक्रमण के मामलों में भी वृद्धि हो रही है। इसे देखते हुए ही अब बीट गार्ड को स्मार्ट बनाया जा रहा है। प्रदेश के जंगलों में अभी करीब 5 हजार बीट गार्ड तैनात हैं, जिन्हें स्मार्ट फोन दिए जाएंगे एक स्मार्ट फोन की कीमत करीब 20 हजार रुपए बताई जा रही है यानी करीब 10 करोड़ के स्मार्ट फोन जंगल महकमें द्वारा खरीदे जा रहे हैं। इसके लिए विभाग द्वारा टेंडर की प्रक्रिया भी की जा चुकी है। बताया जा रहा है कि अगले महीने तक प्रदेश के जंगलों में तैनात सभी बीट गार्ड को स्मार्ट फोन प्रदान कर दिए जाएंगे।
स्मार्ट फोन में होंगी विभाग की सभी एप्लीकेशन
बीट गार्ड को दिए जाने वाले स्मार्ट फोन में वन विभाग के सभी एप्लीकेशन रहेंगे। इनमें बीट गार्ड जानकारी भर सकेंगे। स्मार्ट फोन में संयुक्त वन प्रबंधन की निगरानी प्रणाली, ग्रीन इंडिया मिशन, वृक्षारोपण निगरानी प्रणाली, वर्किंग प्लन लाइब्रेरी, हितग्राही प्रबंधन प्रणाली, रोपणी प्रबंधन सूचना प्रणाली सहित अन्य एप मोबाइल में रहेंगे। इनमें चाही गई जानकारी बीट गार्ड को अपडेट करना होगी।
अतिक्रमण से कम हो रहा है वन क्षेत्र
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी प्रदेश में 77492 वर्ग किमी में जंगल है। इसमें खुला वन क्षेत्र 36619 वर्ग किमी का है। इसके अलावा सामान्य सघन वन 34209 वर्ग किमी का है। वही अति सघन वन 6665 वर्ग किमी में है। जंगल में लगातार हो रहे अतिक्रमण की वजह से खुला वन क्षेत्र बढ़ रहा है। वर्ष 2019 में खुला वन क्षेत्र 36465 वर्ग किमी का था, जो अब बढक़र 36619 वर्ग किमी का हो गया है। 154 वर्ग किमी का खुला वन क्षेत्र बढ़ गया है। जंगल में हो रहे इस अतिक्रमण को रोकना वन विभाग के अमले के लिए बढ़ी चुनौती बना हुआ है।
हर साल 50 हजार से ज्यादा वन अपराध
प्रदेश के जंगलों में हर साल 50 हजार से ज्यादा वन अपराध के मामले पकड़ में आते हैं ये तो वे मामले में जो पकड़ में आते हैं, तो उनका प्रकरण बन जाता है। कई वन अपराधों की जानकारी तो वन विभाग के कर्मचारियों तक पहुंच नहीं पाती है। वन अपराध के मामले में अवैध कटाई, अवैध उत्खनन, अतिक्रमण और शिकार के मामले होते हैं। वर्ष 2021-22 में प्रदेश के जंगलों में 52 हजार से ज्यादा प्रकरण बने थे इससे पहले 56932 प्रकरण दर्ज हुए थे।