
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार भले ही सुशासन के कितने भी दावे करे, लेकिन प्रदेश के छह दर्जन अफसर ऐसे हैं, जो इस दावे की कलई पूरी तौर पर खोलकर रख देते हैं। यह वे अफसर हैं, जो दूसरों के सरकारी नौकरी के हक पर डाका डालकर मौज कर रहे हैं। इनके मामले में सरकार से लेकर शासन तक को भी पता है, लेकिन फिर भी उनके खिलाफ अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। इसकी वजह से कहा जा रहा है कि, शायद सरकार व शासन दोनों को यह दाग अच्छे लगते हैं। दरअसल प्रदेश में कई ऐसे सरकारी बड़े अफसर व कर्मचारी हैं, जो आरक्षित वर्ग का फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाकर सरकारी नौकरी में आकर मौज काट रहे हैं। प्रदेश के सरकारी विभागों में बड़ी संख्या में ऐसे अफसर हैं, जिन पर फर्जी जाति प्रमाण-पत्र देने के आरोप हैं, लेकिन इससे संबंधित जांच और शिकायतें फाइलों से बाहर ही नहीं निकल पा रही हैं। इसकी वजह है ऐसे मामलों में सरकार द्वारा कार्रवाई करने में कोई रुचि नहीं लेना।
दरअसल ऐसे कई अफसरों की सरकार में तो कई की शासन में मजबूत पकड़ मानी जाती है। अहम बात यह है कि ऐसे मामलों की जांच के लिए छानबीन समिति भी बनी हुई है, लेकिन वह भी सक्रिय नजर नहीं आती है। खास बात यह है कि लोक निर्माण विभाग में इस तरह के मामले सर्वाधिक हैं। इस विभाग में इस तरह के 168 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें विभाग के मुखिया प्रमुख अभियंता नरेंद्र कुमार पर पर इसी तरह के आरोप हैं। अगर प्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की ऐसे ही मामलों की बात की जाए तो वहां पर इसी तरह के एक मामले में पीडब्ल्यूडी के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर राकेश कुमार वर्मा को बर्खास्त किया जा चुका है। यह बात अलग है कि वहां पर भी 12 साल चली जांच के बाद यह कार्रवाई की गई, लेकिन इसके उलट मप्र में डेढ़ से दो दशक पुराने मामलों में भी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
इस तरह के आरोपों में घिरे अफसर
जो अफसर इस तरह के मामलों में घिरे हुए हैं इनमें नरेंद्र कुमार, प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग, वीके भूगांवकर, सहायक यंत्री- इनके खिलाफ छानबीन समिति ने फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आरोपों को सही पाया था, लेकिन केंद्र सरकार के एक आदेश का हवाला देकर नौकरी कराई गई। इसके बाद हाईकोर्ट ने केंद्र के आदेश को रद्द कर दिया। ऐसे में मामला फिर से पुलिस तक पहुंच गया। इसी तरह से दीपक असाई, प्रभारी मुख्य अभियंता पर भी फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आरोप हैं। इनका मामला भी छानबीन समिति के पास है। बरसों से प्रकरण लंबित हैं। इनके खिलाफ और भी शिकायतें लंबित हैं। एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अजय लिखार फर्जी जाति प्रमाण- पत्र मामले में कोर्ट से केस हारे, छानबीन समिति ने निरस्त किया। इसके बाद स्टे लिया। अब स्टे के आधार पर नौकरी कर रहे। इसी तरह के आरोप संजय मस्के (प्रभारी मुख्य अभियंता राजधानी परिक्षेत्र), केके लच्छे, अधीक्षण यंत्री, जीएस बघेल अधीक्षण यंत्री, एससी वर्मा, शालीग्राम बघेल अधीक्षण यंत्री पर भी हैं।