
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। नगर निगमों में पदस्थ अफसरों की अपनी कार्यशैली है। वे नियमों व कायदों को ताक पर रखकर अपनी मर्जी के हिसाब से ही काम करते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है सागर नगर निगम का। यहां पर पदस्थ अफसरों ने अपनी मनमर्जी से एक करोड़ से अधिक लागत से 871 शौचालयों का निर्माण कराकर ठेकेदार को राशि का भी भुगतान कर डाला। दरअसल अफसरों ने इनका निर्माण संबंधित ठेकेदारों को उपकृत करने के लिए करवाया है। अब जाकर इस मामले का खुलासा स्थानीय निधि संपरीक्षा की रिपोर्ट से हुआ है। गौरतलब है कि सागर शहर में मुख्यमंत्री स्वच्छता मिशन के तहत वर्ष 2014 में 2000 व्यक्तिगत शौचालय निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। इसके विरुद्ध नगर निगम निगम ने ठेकेदार के साथ मिलकर 2871 शौचालयों का निर्माण करा दिया। इन पर 1 करोड़ 18 लाख 45 हजार 600 रुपये का व्यय आया। इनका नियम विरुद्ध निर्माण 2014 से 2016 के बीच किया गया। इस मामले में संपरीक्षा की तरफ से आयुक्त नगरीय प्रशासन विभाग को एक पत्र लिखकर वसूली की कार्रवाई करने को कहा है।
अंशदान तक नहीं लिया गया
इस रिपोर्ट में एक और खुलासा किया गया है कि अफसरों ने नियमों के मुताबिक गृह स्वामी से शौचालयों के निर्माण के लिए अंशदान तक नहीं लिया है। बतौर अंशदान के रूप में हर शौचालय के लिए निर्माण लागत का दस फीसदी अंशदान लेने का नियम है। इससे पता चलता है कि इन शौचालयों के निर्माण के लिए अफसरों में कितनी जल्दबाजी थी। इसके बाद भी ठेकेदारों को 13 हजार 600 रुपये प्रति व्यक्तिगत शौचालय के हिसाब से भुगतान कर दिया गया। इसके बाद इस मामले की फाइल को लंबे समय तक अफसर दबाए रखे रहे। यह काम नगर निगम द्वारा मेसर्स सूर्या विकास को दिया गया था। इस काम के लिए ठेकेदार के नगर निगम के पास करीब 19 लाख 66 हजार रुपये बतौर सुरक्षा निधि जमा थे। जब उसके द्वारा जमा सुरक्षा निधि वापस लेने के प्रयास शुरू किए गए, तो इसके लिए प्रक्रिया शुरू होने पर नस्तियां सत्यापन के लिए आवासीय संपरीक्षा को भेजी गईं, जिसके बाद इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ। इस मामले में नगर निगम के अफसरों का कहना है कि ऑडिट में कई तरह की आपत्तियां आती है जिनका निराकरण किया जाता है।