मोदी जन्मदिन पर दे सकते है नए बांध की सौगात

नरेंद्र मोदी
  • केन-बेतवा लिंक परियोजना पर तेजी से काम करने की कवायद

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर प्रदेश को एक नए बांध की सौगात मिल सकती है। इसके लिए तेजी से कवायद की जा रही है। यह बांध पूर्व से स्वीकृत केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत बनाया जाना है। सूत्रों का कहना है कि इस बांध की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद रख सकते हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा तेजी से कवायद की जा रही है। दरअसल पानी संकट से जूझने वाले बुंदेलखंड अंचल के लिए केन-बेतवा लिंक परियोजना बेहद महत्वपूर्ण है। यह पूरी कवायद इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर की जा रही है।
राज्य व केन्द्र सरकार दोनों ही चाहती हैं कि इस परियोजना पर चुनाव से पहले तेजी से काम शुरू हो जाए, जिससे की इसका पार्टी को चुनाव में सियासी फायदा मिल सके। यही वजह है कि पन्ना और छतरपुर के कलेक्टरों को अगस्त तक गांवों के विस्थापन के निर्देश देते हुए पुनर्वास के लिए 221 करोड़ रुपये भी दिए जा चुके हैं। उधर, जल संसाधन विभाग ने दौधन बांध निर्माण की निविदा के दस्तावेज भी तैयार किए जा चुके हैं। अगस्त के पहले सप्ताह में निविदा जारी की जा सकती है। बांध की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन (17 सितंबर) पर रखने की तैयारी है। यह देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना है। इससे मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को सिंचाई और पीने का पानी मिलेगा। हाल ही में भोपाल आए केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार ने परियोजना कार्यालय का शुभारंभ किया। प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें परियोजना से जुड़े मप्र और उप्र के अधिकारी शामिल हुए। पन्ना-छतरपुर कलेक्टर सहित कुछ और अधिकारी वर्चुअली शामिल हुए। मुख्य सचिव ने दोनों जिलों के कलेक्टरों से कहा कि अगस्त तक हर हाल में गांवों के विस्थापन का काम पूरा कर लें। हमें सितंबर में काम शुरू करना है। बैठक में एकीकृत भूमि शमन योजना (इंटिग्रेटेड लैंड मिटिगेशन प्लान) पर भी चर्चा हुई। करीब तीन हजार करोड़ की इस योजना में कॉरिडोर निर्माण से लेकर अन्य काम होने हैं।
वन विभाग ने मांगी अनुमति…
वन विभाग ने परियोजना के अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में काम करने की अनुमति देने के लिए केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को आवेदन किया है। इसके साथ ही दोनों जिलों के कलेक्टरों ने भी 3500 हेक्टेयर राजस्व भूमि चिन्हितज कर ली है , जो वन भूमि के बदले दी जानी है। दरअसल परियोजना के डूब क्षेत्र में आ रही 6017 हेक्टेयर वनभूमि की भरपाई राजस्व भूमि देकर करनी है। कलेक्टरों ने इसी वर्ष 5439 हेक्टेयर भूमि दे दी थी, शेष 578 हेक्टेयर भूमि और और देनी थी। इस बीच पता चला है कि जिस भूमि को राजस्व बताकर दिया गया है, उसमें से 3500 हेक्टेयर पहले से वन भूमि ही है।
 छह साल में तैयार किया जाना है बांध
परियोजना की टेक्निकल बिड बीते रोज खुल चुकी हैं। इसमेंं देश की 10 कंपनियों ने हिस्सा लिया। इन कंपनियों के अधिकारियों ने बांध के निविदा दस्तावेज देखे और धरोहर राशि 10 करोड़ से कम रखने सहित कई सुझाव दिए। नेशनल वाटर डेवलपमेंट अथॉरिटी के अधिकारियों ने बताया कि परियोजना का काम छह साल में पूरा करना होगा। अब निविदा का अंतिम निर्धारण किया जाएगा। कंपनियों के अधिकारियों ने तकनीकी मूल्यांकन समिति को धरोहर राशि 50 करोड़ रुपये से कम कर 10 करोड़ रुपये करने और बैंक गारंटी परफार्मेंस राशि पांच से घटाकर तीन प्रतिशत करने का सुझाव दिया है। अब समिति सुझावों पर विचार करेगी और दस्तावेजों में संशोधन कर निविदा जारी की जाएगी।

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