
मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार की बड़ी सफलता
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के विपक्षी आरोपों के बीच प्रदेश सरकार के लिए एक बड़ी राहत वाली खबर आयी है। यह खबर है गरीबी रेखा के तहत आने वाले लोगों की समृद्धि की। इस मामले की जानकारी नीति आयोग द्वारा जारी किए गए राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक से सामने आयी है। जिसमें कहा गया है कि मध्यप्रदेश में 15.94 प्रतिशत अर्थात 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी सीमा से बाहर निकल आए हैं। इसकी वजह बताई गई है कि मध्य प्रदेश में लोगों के पोषण, रहन- सहन, खान पान के स्तर में लगातार सकारात्मक बदलाव आया है। इसकी वजह है केंद्र और राज्य सरकार के कार्यक्रमों और योजनाओं का सफल क्रियान्वयन। इसमें बताया गया है कि इस मामले में देश के पांच राज्यों में तीव्रता से कमी आयी है। इन राज्यों में मप्र के अलावा उप्र , बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान शामिल हैं। अगर आबादी के मान से देखें तो, इस मामले में उत्तर प्रदेश में ही अकेले 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए जो कि गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट है। नीति आयोग के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक की एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023 के अनुसार वर्ष 2015- 16 से 2019-21 की अवधि के दौरान रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बहुआयामी गरीबों की संख्या जो वर्ष 2015-16 में 24.85 प्रतिशत थी , जो गिरकर वर्ष 2019-2021 में 14.96 प्रतिशत हो गई। इसमें 9.89 प्रतिशत अंकों की उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। इस रिपोर्ट के आने के बाद बीते रोज कैबिनेट बैठक में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सभी मंत्रियों को बधाई दी। सीएम ने कहा कि नीति आयोग की एक रिपोर्ट आई है इसके लिए सभी को बधाई। उन्होंने इस उपलब्धि पर कहा कि मैं समझता हूं कि यह मध्यप्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है। एक करोड़ 36 लाख लोगों को केंद्र और राज्य की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। अलग-अलग लाभ दे रहे हैं उसका इंपैक्ट आता है। कुल मिलाकर यह हमें सफलता मिली है। मैं मानता हूं कि यह एक बढ़ा काम है ,जो हमारे मध्यप्रदेश में केंद्र और राज्य की कई योजनाओं की वजह से हुआ है। बता दें कि नीति आयोग ने 17 जुलाई को यह रिपोर्ट जारी की है। नीति आयोग के माध्यम से देश और प्रदेशवासियों को मिली जानकारियां निश्चित ही एक नई ऊर्जा का संचार करने वाली खबर है।
तीन राज्यों में गरीबी कम हुई
इस सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत देश के उन राज्यों में शामिल हो गया है, जहां बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तीव्रता से कमी आई। जहां गरीबी में एक उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई। सीएम ने कहा कि इन सब कार्यों के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत वर्ष 2030 की तय समय-सीमा से पहले ही एसडीजी लक्ष्य यानी सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ गया है। इससे सभी का विकास सुनिश्चित करने और गरीबी हटाने के लक्ष्यों को बल मिला है और सरकार और शासन की इस लक्ष्य के लिए प्रतिबद्धता भी दिखी है। स्वच्छता, पोषण, रसोई गैस उपलब्धता, वित्तीय समावेशन, पेयजल सुविधा और बिजली उपलब्धता जैसे लक्षित क्षेत्रों में बड़ी सफलता मिली है। आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रख कर सरकार द्वारा अनेक योजनाओं एवं कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है, जैसे रोजगार सृजन कार्यक्रम, आय समर्थन कार्यक्रम, रोजग़ार गारंटी तथा आवास योजना आदि। प्रधानमंत्री जन धन योजना ऐसा ही एक कार्यक्रम है। गरीबी उन्मूलन की दिशा में सरकार द्वारा धन एवं आय के वितरण में समानता स्थापित करने , जनसंख्या पर प्रभावी नियन्त्रण के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं। इसी तरह से सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजग़ार कार्यक्रम , राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना, ग्रामीण श्रम रोजगार गारंटी कार्यक्रम, राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना और शहरी गरीबों के लिये स्वरोजगार कार्यक्रम भी शुरु किए गए हैं।
रिपोर्ट पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल में 25 हजार से ज्यादा घोषणा की है। इन घोषणाओं में महत्वपूर्ण अधिकांश घोषणा पूरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के लोग अपनी मेहनत के बलबूते पर आगे बढ़े हैं। सरकार की योजनाएं केवल भाषण में ही सुनाई देती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही नीति आयोग की रिपोर्ट पर अपनी पीठ थपथपा रहे हो लेकिन , उनकी थोथी घोषणाओं से लोगों का पेट नहीं भरता है। सरकार को भ्रष्टाचार मिटाने की दिशा में भी सोचना चाहिए।