यस एमएलए- क्या भाजपा-कांग्रेस को हरा पाएंगे अलावा?

भाजपा-कांग्रेस

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। 2018 में भाजपा के गढ़ मनावर विधानसभा सीट को फतह करने वाले कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा इस बार जयस के बैनर तले चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अलावा भाजपा और कांग्रेस को हराकर चुनाव जीत पाएंगे? गौरतलब है कि 2018 में अलावा ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा था और भाजपा की पूर्व कैबिनेट मंत्री रंजना बघेल को 39,501 वोटों से हराया। कहा जा रहा था कि आदिवासी वोटों पर अपनी जबरदस्त पकड़ रखने के कारण ही कांग्रेस ने अलावा पर दांव खेला था। हालांकि, इस सीट पर उनका काफी विरोध हुआ बावजूद इसके वह जीतने में कामयाब रहे। अलावा की जीत के पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि वह बीते कई सालों से आदिवासियों के अधिकार, संस्कृति और अस्मिता के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
धार जिले की मनावर सीट पर आदिवासी समाज की आबादी सबसे ज्यादा है और इसी वजह से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। मनावर विधानसभा क्षेत्र बीते चुनाव में राजनीतिक सुर्खियों के केंद्र में रहा। परंपरागत प्रतिस्पर्धियों भाजपा और कांग्रेस से इतर जयस की सक्रियता यहां रही है। संगठन के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. हीरालाल अलावा यहां से विधायक हैं। तमाम योजनाओं के बाद क्षेत्र को मूलभूत समस्याओं से मुक्ति की उम्मीद थी, पर वह पूरी नहीं हुई। सीमेंट फैक्टरी सहित अन्य छोटे- मोटे उद्योग यहां होने के बाद भी पलायन बड़ी समस्या है। हर वर्ष हजारों आदिवासी रोजगार की तलाश में गुजरात-महाराष्ट्र का रुख करते हैं। विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के हाल भी अच्छे नहीं हैं।
मनावर विधानसभा क्षेत्र में समस्याओं की कोई कमी नहीं है। यहां अस्पतालों में डाक्टरों की कमी है तो सिकलसेल, एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए जिस तरह के अभियान की आवश्यकता है, वह भी नजर नहीं आता। बड़ा कपास उत्पादक क्षेत्र होने के बाद भी यहां कपास से जुड़े उद्योगों को लाने की पहल नहीं हुई। यहां कृषि विज्ञान केंद्र तो खुला, लेकिन मानव संसाधन का अभाव होने से किसानों के लिए यह उपयोगी साबित नहीं हो पाया। कृषि महाविद्यालय खोले जाने की वर्षों पुरानी मांग लंबित है। क्षेत्र के उमरबन विकासखंड की मैदानी स्थिति तो और खराब है। विकास की मुख्यधारा से यह अब तक नहीं जुड़ पाया है। पानी और सड़क की मूलभूत समस्याएं विधानसभा क्षेत्र एसटी बहुल क्षेत्र है। यहां पर छोटे छोटे फलिया में लोग निवास करते। ऐसे में इन क्षेत्रों में ग्राम पंचायत स्तर तक लोगों तक पूरी सुविधा पहुंच नहीं पाई है। इसके अलावा लोग पेयजल की समस्या को लेकर परेशान हैं। फ्लोराइड युक्त पानी की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है। ग्राम सावलाखेड़ी सहित कई स्थानों तक जाने के लिए सड़क कच्ची है। मनावर नगर में ट्रैफिक  जाम की समस्या अधिक है। आए दिन लोग परेशान होते रहते हैं। गर्मी के मौसम में आमसी, पाडला, मंडावदा, सातपूरा, बढिय़ा, उमरबन खुर्द, पिपलिया आदि ग्रामों में पेयजल और मवेशियों के लिए पीने के पानी का इंतजाम करना चुनौती होता है।
विकास के अपने-अपने दावे
विधानसभा क्षेत्र में विकास को लेकर विधायक डॉ. हीरालाल अलावा का कहना है कि मनावर के नवीन सिविल अस्पताल के निर्माण के लिए नौ करोड़ 53 लाख रुपये की राशि स्वीकृत कराकर निर्माण कार्य भी शुरू करवा दिया है। उमरबन में शासकीय महाविद्यालय, बालिका छात्रावास, सेमल्दा से अंजड़ नर्मदा नदी पर पुल की स्वीकृति भी कराई। ग्रामीण क्षेत्र के बडग़ांवखेड़ी, अजंदीमान, भरड़पुर, जलखेड़ा आदि में प्रधानमंत्री रोड निर्माण कराया। ग्रामों में जल जीवन मिशन के अंतर्गत 31 पंचायतों में 28 करोड़ 10 लाख रुपये की लागत से नल-जल योजना स्वीकृत कराई। विकास का लेकर हम लगातार ध्यान दे रहे हैं। वहीं भाजपा नेत्री रंजना बघेल का कहना है कि विधायक डॉ. अलावा ने पांच साल में कोई काम नहीं किया। क्षेत्र के लोगों की आवश्यकताओं को देखकर हमने मजरे-मजरे घूमकर कई विकास कार्य कराए। जहां जरूरत थी, वहां सडक़ों के लिए सरकार से अनुमति दिलवाई। जनपद भवन, एसडीएम कार्यालय आदि के निर्माण कार्य भी कराए।
उच्च शैक्षणिक संस्थानों का अभाव
विधानसभा क्षेत्र में शासकीय महाविद्यालय में अब तक विज्ञान संकाय की स्नातकोत्तर कक्षाएं भी शुरू नहीं हो सकी हैं। जनपद अध्यक्ष रूकमा रवि मुवेल बताती हैं। कि विधायक ने घोषणा की थी कि बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता और क्षेत्र को मेडिकल व इंजीनियरिंग कालेज की सौगात मिलेगी, लेकिन इनमें से कुछ नहीं मिला। मनावर क्षेत्र यूं तो नहरों के मामलों में समृद्ध है, लेकिन वितरण व्यवस्था सहित अन्य खामियों के चलते नहरों से पानी नहीं मिल पाता है।

Related Articles