
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। इंदौर की वीआईपी सीट माने जानी वाली विधानसभा सीट राऊ की बड़ी ही रोचक कहानी है। अब तक यहां जिस पार्टी ने भी राज किया है, वह हमेशा कम वोट प्रतिशत से ही जीता है। वर्तमान कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी यहां से तीन चुनाव लड़ चुके हैं। वर्ष 2008 में उन्हें भाजपा के जीतू जिराती से हार मिली थी, लेकिन अगले चुनाव में उन्होंने जिराती को हराया और इसके बाद भाजपा के मधु वर्मा को पराजित किया, मगर उनकी जीत का अंतर घटा है। दो बार के विधायक और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष होने से राऊ में जीतू पटवारी के अलावा कांग्रेस में कोई बड़ा चेहरा टिकट का दावेदार नहीं है।
बता दें कि राऊ विधानसभा सीट इंदौर की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट मानी जाती है। इस सीट पर अब तक मतदाताओं ने अधिकतर कांग्रेस पर ही विश्वास जताया है। फिलहाल इस बार राऊ विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह तो मतदाता ही तय करेंगे। इंदौर से सटे राऊ विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीण के साथ कुछ शहरी हिस्सा भी आता है। यहां जातिगत समीकरण के साथ प्रत्याशी के व्यक्तिगत संबंध निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि बीते चुनावों में भाजपा को मजबूत स्थिति के बावजूद हार का सामना करना पड़ा। इस बार भी परिणाम प्रत्याशी की छवि और संपर्क पर निर्भर करेगा।
सियासी समीकरण
इंदौर शहर की ग्रामीण सीट माने जाने वाली विधानसभा सीट राऊ में वर्तमान में कांग्रेस के जितेंद्र उर्फ जीतू पटवारी विधायक के पद पर काबिज हैं। उन्हें कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। उन्हें भारत जोड़ो यात्रा में भी राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिलाते हुए देखा गया है। जीतू पटवारी अपने अंदाज में विरोधी पर हमेशा आक्रामक रहते हैं। इस कारण उन्हें प्रदेश में कांग्रेस के भविष्य के बड़े नेता के रूप में देखा जा रहा है। जीतू पटवारी ने जीतू जिराती से एक बार हारने के बाद दूसरी बार विधानसभा 2013 में जीत हासिल की थी। इसके बाद पिछली 2018 के चुनाव में भी वे भाजपा के वरिष्ठ नेता मधु वर्मा को भी शिकस्त दे चुके हैं। मधु वर्मा पूर्व इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रह चुके हैं। मध्य प्रदेश के पिछड़ा आयोग वर्ग के कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी मिल चुका है। फिलहाल, वे बीजेपी के देवास जिले के प्रभारी के रूप में काम कर रहे हैं। मधु वर्मा का कहना है कि बीजेपी द्वारा जो कार्य दिया गया है, उसे वह अपनी निष्ठा से कर रहे हैं। अपनी विधानसभा में भी लगातार कार्य कर रहे हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी अगर टिकट देती है तो पिछली बार भले ही कम वोट से हार मिली हो, लेकिन इस बार उसके दोगुने वोट के अंतर से जीत हासिल करेंगे। बात करें जितेंद्र उर्फ जीतू जिराती की तो वह विधानसभा 2008 के चुनाव में कांग्रेस के जीतू पटवारी को 73 हजार 326 वोटों से शिकस्त देकर अपनी पांच साल की विधायकी बखूबी निभा चुके हैं। लेकिन, 2013 में उन्हें उसी जीतू पटवारी से 18559 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
6 बार जीत चुकी है कांग्रेस
गौरतलब है कि करीब 3 लाख 25 हजार मतदाताओं वाली राऊ विधानसभा सीट में अब तक कांग्रेस ने 6 बार जीत दर्ज की है। वही बीजेपी केवल 2 बार ही जीत का मजा चखने में कामयाब हो सकी है। हालांकि, अब तक इस विधानसभा सीट पर जितनी भी जीत बीजेपी ने दर्ज की हो, लेकिन जीत और हार का अंतर काफी कम रहता आया है। राऊ मुख्य चौराहे के बाजार में प्रभु यादव, मनीष मोहरी, बाबूलाल गोयल और सुनील मुंडे चर्चा में बताते हैं कि विधायक पटवारी कितने काम करते हैं, इससे ज्यादा उनकी सहजता प्रभावित करती है। वे साइकिल से कभी भी आ जाते हैं, बातें करते हैं, हालचाल पूछते हैं। प्रभु यादव कहते हैं, राऊ चौराहे पर सालों से हाट लगता था। यातायात सुधारने के नाम पर यहां से दुकानदारों के हटाया गया। गरीब की रोजी-रोटी प्रभावित हुई और अब यहां क्षेत्र के प्रभावी लोग अपने वाहन खड़े करते हैं। मनीष मोहरी बताते हैं कि मुख्य मार्ग पर भारी वाहन बेतरतीब खड़े हो जाते हैं, जिससे ट्रेफिक बाधित होता है। बाबूलाल और सुनील के अनुसार क्षेत्र में सडक़ और पानी की समस्या नहीं है। क्षेत्रीय जनता का कहना है कि क्षेत्र में विकास कार्यों में तेजी लाने की जरूरत है। युवाओं के रोजगार के लिए अवसर बढ़ाने होंगे।
विकास के अपने-अपने दावे