यस एमएलए- क्या गढ़ को बचा पाएगी कांग्रेस?

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भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सिवनी जिले की केवलारी विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। स्व. हरवंश सिंह का यहां एकक्षत्र राज चलता था। लेकिन 2018 के चुनाव में ठाकुर हरवंश सिंह के पुत्र ठाकुर रजनीश यह सीट हार गए। अब 2023 में हर तरफ यही सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस हरवंश सिंह के गढ़ को वापस जीत पाएगी कांग्रेस? ज्ञातव्य है की हरवंश सिंह का 2013 के चुनाव के पहले स्वर्गवास हो जाने के बाद उनके बेटे रजनीश सिंह को कांग्रेस से टिकट मिली थी। पिता की सहानुभूति के कारण रजनीश भाजपा के ढाल सिंह बिसेन से 4803 वोटों से जीते थे। लेकिन 2018 में रजनीश को 16679 मतों से हराकर भाजपा प्रत्याशी राकेश पाल सिंह ने विजय हासिल की थी। ज्ञात हो कि उक्त सीट पर ठाकुर हरवंश सिंह का लगातार 20 वर्षों तक कब्जा रहा है। इसी केवलारी सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री रही कुमारी विमला वर्मा ने वर्ष 1967 से 1985 तक पांच बार चुनाव लडक़र जीत हासिल की थी। हालांकि अब केवलारी सीट भाजपा के कब्जे में है।
विकास के अपने-अपने दावे
क्षेत्र में विकास को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि केवलारी में जो बड़े विकास कार्य पहले हुए हैं, वो कांग्रेस नेत्री विमला वर्मा के कार्यकाल में हुए, परंतु उनके बाद के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने बड़े विकास कार्यों की ओर ध्यान नहीं दिया है, ऐसा इसलिए भी है कि कई बार सत्ता में विरोधी दल के विधायक चुने जाते रहे और जब सत्ता पक्ष का विधायक बना तो यहां का प्रतिनिधित्व मंत्रिमंडल में नहीं रहा। वहीं विधायक राकेश पाल का कहना है कि विकास कार्य तो चल रहे है, क्षेत्र में खेत सडक़ बनना बाकी है। भीमगढ़ से निकली नहरों से टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है।  इसके लिए 204 करोड की सीमेंटीकरण लाइन की योजना मप्र सरकार ने केंद्र को भेजी है। विस चुनाव के पूर्व कार्य प्रारंभ हो जाए ऐसा प्रयास है। आगामी विस चुनाव लड़ने  की तैयारी मेरी द्वारा की जा रही है। वहीं कांग्रेस नेता गंभीर सिंह चौधरी कहते हैं कि केवलारी विस के लिए कांग्रेस की पूरी तैयारी है, पूरा भरोसा है कि अगले चुनाव में यह सीट हम जीतेंगे। पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ की 5 योजनाएं, नारी सम्मान, बिजली, 500 रु. में गैस सिलेंडर, बेरोजगारी दूर करने जो प्रयास हैं वे प्रभावी है, उनसे विस चुनाव में परिवर्तन आएगा।
आदिवासी-ब्राह्मण निर्णायक
केवलारी विधानसभा क्षेत्र में वही प्रत्याशी जीत सकता है, जिसका साथ आदिवासी और ब्राह्मण दे दें। केवलारी में आदिवासी वर्ग का अच्छा खासा वोट बैंक है वहीं, पंवार समुदाय भी बहुतायत संख्या में है। इसके अलावा ब्राह्मण जाति वर्ग का भी वोटर निर्णायक स्थिति में रहता है। ज्यादातर यहां के चुनाव में आदिवासी वर्ग व पवार जाति समुदाय को साधने का प्रयास होता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का महाकौशल में पहले के मुकाबले खराब  प्रदर्शन था। इसलिए पार्टी का फोकस इस क्षेत्र पर है। वहीं सिवनी जिले की बात करें पिछले चुनाव में 4 में से 2 सीटों पर भाजपा को और 2 पर सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। जिले की बात करें तो पिछले चार चुनावों में से सिर्फ एक चुनाव में ही भाजपा को 2 से ज्यादा सीटें मिली थीं। वैसे जिले में राह कांग्रेस के लिए लिए भी आसान नहीं है, क्योंकि यहां पर गोंडवाना गणतंत्र दल के प्रभाव के चलते कई बार कांग्रेस का खेल बिगड़ा है।
विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र के विकास के लिए सत्ता परिवर्तन होना चाहिए। दो साल पहले बह गए भीमगढ़ बांध के समीप का पुल बनाने के लिए प्रयास किए जाएं। विधायक ऐसा हो जो जनता- क्षेत्र के विकास के लिए कुछ करें। जो भी जीतकर आता है ,वह सिर्फ अपनी रोटी सेंकता है।  केवलारी विधानसभा का विधायक ऐसा होना चाहिए जो सुगमता से उपलब्ध हो और क्षेत्र के विकास के लिए काम करे। यहां से मजदूरों का पलायन जारी है। बिजली की समस्या है, इस दिशा में काम करने वाले विधायक की आवश्यकता है।

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