
पदस्थापना के अभाव में वर्किंग प्लान का काम भी नहीं हो पा रहा है शुरु
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एक आईएफएस अफसर का रसूख ऐसा है कि उसके सामने पूरा वन विभाग ही असहाय नजर आने लगा है। अब उक्त अफसर की मंशा पूरी करने के लिए वर्किंग प्लान में पदस्थापना के लिए विभाग द्वारा नियमों तक में बदलाव की कवायद की जा रही है। इस वजह से वर्किंग प्लान के लिए अफसरों तक की पदस्थापना तक नहीं हो पा रही है, जिसकी वजह से वर्किंग प्लान का काम तक शुरु नहीं हो पा रहा है, जिससे सरकारी खजाने को आर्थिक हानी तक का सामना करना पड़ रहा है। हद यह है कि इसी तरह के एक मामले में पहले एक अफसर को निलंबित तक किया जा चुका है, लेकिन जब रसूखदार अफसर का मामला सामने आया तो पूरे विभाग को सन्निपात हो गया। अब इस मामले में अफसर के रसूख को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा वर्किंग प्लान के नियमों में संशोधन किए जाने को लेकर मंथन का दौर तक शुरु कर दिया गया है। दरअसल मुख्यालय से लेकर मंत्रालय तक के शीर्ष अफसरों द्वारा तमाम तरह के किए गए प्रयासों के बाद भी आठ माह में भी विभाग वर्किंग प्लान में 2008 बैच के तीन आईएफएस अफसरों की पदस्थापना नहीं कर पाए। यह स्थिति तब है, जब विभाग ने दो अलग-अलग याचिकाओं में हाईकोर्ट जबलपुर और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में जवाब प्रस्तुत कर चुका है कि वर्किंग प्लान में विलंब होने से राज्य शासन को राजस्व हानि होती है। दरअसल इसमेें वर्ष 2008 बैच के आईएफएस अधिकारी आदर्श श्रीवास्तव, कमल अरोड़ा, प्रेम नारायण मिश्रा और नरेश कुमार यादव की इस साल के पहले माह यानी की जनवरी में पदस्थापना की जानी थी। इसके आदेश एक माह की देरी से पहले ही आदेश फरवरी में जारी किए तो उसमें महज आदर्श श्रीवास्तव की ही पदस्थापना की गई। इसके बाद इस बैच के आईएफएस अफसर जबलपुर सर्किल में पदस्थ वन संरक्षक कमल अरोड़ा, पीसीसीएफ मुख्यालय सतपुड़ा में पदस्थ वन संरक्षक प्रेम नारायण मिश्रा और कान्हा नेशनल पार्क के डिप्टी डायरेक्टर नरेश यादव की वर्किंग प्लान में पदस्थापना आज तक नहीं की गई है। दरअसल इसकी वजह है, इनमें से एक अफसर द्वारा दिखाया गया अपना रसूख। यानी एक अफसर की पदस्थापना रुकने से तीन आईएफएस अफसरों की भी वर्किंग प्लान में पदस्थापना नहीं हो पाई है। इसका कारण भी साफ था कि सीनियर अधिकारी की पदस्थापना के बाद ही जूनियर अफसर की पदस्थापना का प्रावधान है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हरिशंकर मिश्रा और रमेश चंद्र विश्वकर्मा ने वर्किंग प्लान में पदस्थापना को लेकर कैट और हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस प्रकरण में विभाग ने हाईकोर्ट जबलपुर में प्रस्तुत जवाब में कहा है कि वर्किंग प्लान भी लंबे होने से शासन को राजस्व की हानि होती है।
मिश्रा का पत्र बना मुसीबत
प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुख्यालय के शिकायत एवं सतर्कता में पदस्थ पीएन मिश्रा की चि_ी वन विभाग के मुख्यालय से लेकर मंत्रालय के सीनियर अफसरों तक के लिए मुसीबत बन गई है। मिश्रा ने अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया और वन बल प्रमुख आरके गुप्ता को पत्र लिखकर आग्रह किया है, कि उनकी पदस्थापना स्वयं के व्यय पर वर्किंग प्लान में की जाए। मिश्रा ने इस आशय के दो पत्र लिखे हैं। गौरतलब है कि वन विभाग यदि मिश्रा के पत्र पर अमल करते हुए उनकी पदस्थापना वर्किंग प्लान में करता है, तो उसके पहले वन संरक्षक जबलपुर कमल अरोड़ा की पदस्थापना करनी ही होगी। विभाग अरोरा की पदस्थापना वर्किंग प्लान में नहीं कर पा रहा है।