एक बार फिर विवादों में… फंसा एमपीपीएससी

  • सही सवाल को गलत बताकर कर दिया डिलीट
  • अपूर्व चतुर्वेदी
एमपीपीएससी

मप्र लोकसेवा आयोग यानी एमपीपीएससी का विवादों से पुराना नाता है। हर बार परीक्षा के बाद प्रश्नों को लेकर आयोग कटघरे में आ जाता है। इस बार परीक्षा में गलत प्रश्न पूछने के चलते बदनाम आयोग सही सवाल को पेपर से हटाए जाने के बाद निशाने पर है। दरअसल आयोग ने पीएससी 2022 की परीक्षा में पूछे गए दो सवालों को अब जाकर डिलीट कर दिया है। इनमें से एक सवाल यह था कि भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ था। प्रश्न के विकल्पों में सही उत्तर 9 अगस्त 1942 भी मौजूद था। पीएससी द्वारा जारी ताजा आंसर की में से इस सवाल को डिलीट कर दिया गया है। जिसके बाद परीक्षा के अभ्यर्थी यह सवाल उठा रहे हैं कि, क्या यह सवाल महज इसलिए हटा दिया गया था क्योंकि, सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में इसकी शुरुआत 8 अगस्त को होना बता दिया था। गौरतलब है कि पीएससी ने 12 जून की रात राज्यसेवा व राज्य वनसेवा-2022 की फाइनल यानी अंतिम उत्तर कुंजी जारी की। इस उत्तर कुंजी में हटाए गए दो प्रश्नों से ही यह विवाद खड़ा हुआ है। 21 मई को राज्यसेवा व वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2022 आयोजित हुई थी। पीएससी ने इस परीक्षा के सामान्य अध्ययन के प्रश्न पत्र में दो सवाल पूछे थे। एक सवाल था कि भारत छोड़ो आंदोलन किस तारीख को शुरू हुआ था? जवाब के विकल्प में 7 अगस्त, 9 अगस्त, 10 और 6 अगस्त दिए गए थे। इसी तरह एक अन्य प्रश्न था- मप्र राज्य निर्वाचन आयोग कब अस्तित्व में आया? जवाब के विकल्प थे 15 जनवरी 1994, 1 फरवरी 1994, 15 मार्च 1994 और 15 अप्रैल 1994। फाइनल आंसर शीट में इन दोनों प्रश्नों को आयोग ने त्रुटिपूर्ण मानकर डिलीट कर दिया। यानी इन्हें मूल्यांकन से हटा दिया गया है। ऐसा उन प्रश्नों के साथ किया जाता है ,जिनके विकल्प में सही जवाब नहीं होता, तकनीकी त्रुटि होती है या एक से अधिक सही विकल्प होने पर विवाद होता है। जबकि,दोनों प्रश्नों के मामले में ऐसा नहीं था।
सही जवाब लिखने वालों को नुकसान
पीएससी ने इन सवालों को क्यों हटाया यह तो वही जाने, लेकिन उम्मीदवार ठगा महसूस कर रहे हैं, क्योंकि सही जवाब लिखने वाले अभ्यर्थियों को दो प्रश्नों से चार अंकों का नुकसान हो रहा है। वहीं पीएससी के ओएसडी रवींद्र पंचभाई का कहना है कि प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी तय करने में आयोग व आयोग के अधिकारियों की कोई भूमिका नहीं होती। संबंधित विषय विशेषज्ञ ही प्रश्नपत्र और उत्तर कुंजी तय करते हैं। अभ्यर्थियों को मॉडल आंसर शीट पर आपत्ति दायर करने का मौका दिया गया था। अभ्यर्थी फाइनल आंसर शीट से हटाए गए प्रश्नों से नाराज हैं। उम्मीदवार आकाश पाठक व अन्य ने आरोप लगाया कि भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त 1942 को शुरू हुआ था। इसे अगस्त क्रांति दिवस कहते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ से लेकर वर्तमान शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार तक ने इस ऐतिहासिक दिन को याद करते हुए ट्वीट भी किया था, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 अगस्त को ही भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ मानते हुए ट्वीट कर दिया था। 8 अगस्त का विकल्प जवाब में नहीं था। ऐसे में मुख्यमंत्री गलत और विपक्षी नेता नाथ सही साबित न हो जाए, इसलिए पीएससी ने प्रश्न ही डिलीट कर दिया।
400 आपत्तियां पहुंची थी
पीएससी के सूत्रों के अनुसार, भारत छोड़ो आंदोलन की तारीख के जवाब पर भी पीएससी में करीब 400 आपत्तियां पहुंची थी। तारीख को लेकर संशय था। विषय विशेषज्ञों ने तथ्य खंगाले तो पता चला कि 9 अगस्त की सुबह क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी हो गई थी। ऐसे में 9 अगस्त आंदोलन की शुरुआत कैसे हो सकती है। तारीख में संशय को देखते हुए प्रश्न निरस्त कर दिया गया। वहीं राज्य निर्वाचन आयोग का गठन 1 फरवरी 1994 को हुआ था। इस प्रश्न को राज्यसेवा-2020 में भी पूछा था और यह जवाब सही भी माना था। इस साल पीएससी ने इस उत्तर को अमान्य करते हुए डिलीट कर दिया। साफ है कि राजनीति और चार अंकों का हेरफेर करने के लिए यह सब हो रहा है। आयोग ने घोषणा भी कर दी है कि फाइनल आंसर शीट पर आपत्ति स्वीकार नहीं करेंगे। अभ्यर्थी इस मनमानी के खिलाफ अब कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।

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