यस एमएलए: मतदाता हर बार बदल देता है अपना निर्णय

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सतना जिले की अमरपाटन विस सीट वैसे तो पूर्व में कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है, लेकिन बीते कुछ चुनावों से इस सीट के मतदाताओं ने हर चुनाव में बदलाव करना शुरु कर दिया है, जिसकी वजह से एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस की जीत होती रहती है। इसके बाद भी इस  सीट के तहत आने वाले ग्रामीण इलाकों की सूरत नहीं बदल पा रही है। यह हाल तब बने हुए हैं, जबकि इस सीट से कई बार जीते कांग्रेस नेता राजेन्द्र सिंह कांग्रेस की सरकार में कई बार मंत्री और विधानसभा उपाध्यक्ष तक रह चुके हैं।
फिलहाल अभी यहां से भाजपा विधायक रामखेलावन पटेल शिवराज सरकार में मंत्री हैं। यही वजह है कि पंचायत चुनाव के समय मंत्री पटेल को कई जगह गांवो में विरोध तक का सामना करना पड़ा है। इस सीट की खासियत यह है कि यहां पर बसपा प्रत्याशी की इस हार जीत में बेहद अहम भूमिका होती है। इसकी वजह है इस सीट पर बसपा का अपना बड़ा वोट बैंक होना, जिसकी वजह से वह यहां पर तीसरी ताकत के रुप में स्थापित हो चुकी है। अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र में बसपा अब तक भले ही एक भी बार जीत दर्ज नहीं कर सकी है, लेकिन उसका प्रत्याशी बीते दो चुनावों से 35 हजार से ज्यादा वोट पाता रहा है। इस बार भी चुनाव में इस सीट पर राजेन्द्र सिंह और पटेल के बीच ही मुकाबला होने के आसार बने हुए हैं। यह बात अलग है कि भाजपा व कांग्रेस से अन्य कुछ नेता भी मजबूत दावेदार बने हुए हैं। इनमें रामखेलावन कोल, अरुण द्विवेदी और पूर्व जिला पंचायत सदस्य हरीश कांत त्रिपाठी के नाम शामिल है। इसी तरह से कांग्रेस से पूर्व जिला अध्यक्ष दिलीप,  धर्मेश तिवारी और कमलेश्वर पटेल के नाम शामिल हैं। रामखेलावन कोल भी पार्टी की टिकट के प्रमुख दावेदारों के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं। इसके पीछे भाजपा से ही जुड़े नेताओं का तर्क है कि जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल के जरिए पार्टी जिले भर में एसटी वोटों को अपनी तरफ लाने की कवायद कर सकती है। वैसे भी पिछले दो चुनावों को देखा जाए तो यहां बसपा के छंगेलाल कोल 35 हजार से ज्यादा वोट पा रहे हैं। ऐसे में पार्टी इन वोटरों को अपनी तरफ लाने के लिए कौल के नाम पर भी मुहर लगा सकती है।  
बसपा बन चुकी है तीसरी ताकत
पिछले तीन दशक में हुए 7 चुनावों की यदि बात की जाए तो अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी ने अपनी दमदार मौजूदगी दर्शाई है। इन सातों चुनावों में भले ही बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को विजय न मिली हो लेकिन, पार्टी प्रत्याशी को 20 हजार से ऊपर वोट हर चुनाव में मिले हैं। अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक व प्रदेश के पंचायत राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल भी बहुजन समाज पार्टी से दो बार अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। एक बार 1998 में तो दूसरी बार 2003 में। उस दौरान बसपा के उम्मीदवार रहे क्षेत्र के वर्तमान भाजपा विधायक रामखेलावन पटेल को क्रमश: 21 हजार 716 और 25 हजार 345 मत मिले थे। 2008 में रामखेलावन ने भाजपा से चुनाव लड़ा और विधायक बने। इस चुनाव में बसपा ने धर्मेन्द्र तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया था और उन्हें 23 हजार 526 मत मिले थे। 2013 और 18 के विधानसभा चुनाव में तो बसपा के वोट बैंक में जबरदस्त उछाल आया है। 2013 में बसपा उम्मीदवार रहे छंगेलाल कोल को 35 हजार 20 वोट मिले थे तो 2018 में फिर छंगेलाल को बतौर बसपा उम्मीदवार के रुप में 37 हजार 918 वोट मिले।
इस तरह की समस्याएं
इस सीट पर जो प्रमुख समस्याएं हैं ,उनमें शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, सडक़ों की बदहाल स्थिति, बेरोजगारी शामिल है। हालात यह हैं कि यहां से विधायक बनने के बाद कांग्रेस व भाजपा दोनों ही सरकारों में मंत्री बने लेकिन इन समस्याओं को हल करने में किसी ने भी अधिक रुची नहीं ली। इस सीट पर समस्याओं के समाधान से ज्याद राजनीति हुई है। कांग्रेस व भाजपा दोनों ने कुछ नहीं किया।
जातिगत समीकरण
इस सीट पर ब्राह्मण, पटेल मतदाता ज्यादा हैं। हरिजन व कोल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। क्षेत्र का पूरा समीकरण इन जातियों के ईद-गिर्द ही घूमता है।

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