शिव सरकार विकास के लिए फिर लेगी नया कर्ज

  • जितनी कर्ज क्षमता बढ़ेगी उतनी ही अधिक राशि विकास काम पर खर्च होगी

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की शिव सरकार का अब पूरा फोकस विकास पर है। यही वजह है कि सरकार को इसके लिए नया कर्ज लेना पड़ रहा है। यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष अब समाप्ती पर भी सरकार नया कर्ज उठा रही है। नए साल के पहले ही महीने में सरकार द्वारा दो हजार करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है , जिसके बाद अब एक बार फिर से सरकार तीन हजार करोड़ का नया कर्ज लेने जा रही है। यह कर्ज दो दिन बाद यानी की 7 फरवरी को लिया जा रहा है।  इसे मिलाकर इस साल प्रदेश सरकार पर 17 हजार करोड़ का नया कर्ज हो जाएगा। अगर साल की बात करें तो बीते साल के शुरुआती पांच प्रदेश के लिए अच्छे रहे हैं, जिनमें कोई नया कर्ज सरकार ने नहीं लिया है। अगर वित्त वर्ष की बात करें तो अब तक शुरुआती दो और उसके बाद नवंबर और दिसंबर यानी की चार माह ही ऐसे रहे हैं, जिनमें सरकार द्वारा नया कर्ज नहीं लिया गया है। अब नया साल शुरू हुआ तो उसकी शुरुआत भी कर्ज लेने के रुप में हुई है। सरकार ने 25 जनवरी को ही दो हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लिया था इसके बाद अब सरकार फिर से इसी हफ्ते तीन हजार करोड़ का नया कर्ज लेने जा रही है। यह कर्ज आगामी दस साल के लिए लिया जा रहा है।  इस बीच साल में दो बार कूपन रेट पर ब्याज का भुगतान भी किया जाएगा। यह नया कर्ज रिजर्व बैंक में बॉन्ड गिरवी रखकर लिया जाएगा। सरकार का इस साल यानी 31 मार्च तक 3 लाख 12 हजार करोड़ रुपए का कुल कर्ज होने का अनुमान है।
कब कितना लिया कर्ज
प्रदेश सरकार अब तक इस साल में कुल नौ बार में अब तक 14 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है और अब 7 फरवरी को तीन हजार करोड़ का नया कर्ज लेने जा रही है। इसे मिलाकर अब नया कर्ज 17 हजार करोड़ रुपए हो जाएगा। इस साल पहली बार सरकार ने दो हजार करोड़ का कर्ज पहली बार 23 जून को लिया था। इसके बाद उसके द्वारा 28 जुलाई , 8 सितंबर , 15 सितंबर को दो -दो हजार करोड़ और उसके बाद 14 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को एक -एक और 27 अक्टूबर को दो हजार करोड़ का कर्ज लिया था। इसके बाद दो माह तक लगातार कोई नया कर्ज नहीं लिया गया , लेकिन अब एक बार फिर 25 को दो हजार करोड़ का नया कर्ज लिया जा चुका है।
राज्य का बजट ३ लाख करोड़
प्रदेश का वर्ष 2023 का नया बजट बनाया जा रहा है। इस बार तीन लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इससे अधिक का कर्ज सरकार बाजार से ले चुकी है। वर्तमान में राज्य सरकार पर कर्ज का कुल भार तीन लाख करोड़ से ज्यादा का हो गया है।
माना जाता है अच्छा संकेत
सरकार की नजर से देखें तो बाजार और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन से लोन कैपिसिटी बढऩा अच्छा संकेत है। उसकी यह कैपिसिटी जितनी बढ़ेगी, सैद्धांतिक रूप से डेवलपमेंट के लिए उतना ही पैसा खर्च हो सकेगा। इसमें सडक़, बिजली, पानी और पंचायतें शामिल हैं। साथ में वेतन, पेंशन, महंगाई भत्ता और सामाजिक न्याय से जुड़ी योजनाओं पर भी राशि खर्च होगी।
22 हजार करोड़ सिर्फ ब्याज
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो कर्ज लिए जाते हैं, उस पर प्रतिवर्ष ब्याज भी देना होता है। वर्ष 2017-18 में सरकार द्वारा लिए गए कर्ज पर 11,045 करोड़ रुपए ब्याज दिया था। 2020-21 में सरकार द्वारा 15,917 करोड़ व 2021-22 में 20,040 करोड़ रुपए ब्याज दिया जा रहा है। सरकार के अनुसार वर्ष 2022-23 में वह 22,166 करोड़ रुपए केवल ब्याज के भुगतान में खर्च करेगी।

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